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Mumbai: बेघर को घर मुहैया करा रही ‘आरजू’ संस्था

चार हजार से अधिक लाभार्थी परिवारों को मिले सस्ते घर…!

मैं राजस्थान से हूँ, परन्तु मेरा जन्म मुंबई में हुआ और यहीं पला-बढ़ा। ग्रेजुएशन भी मैंने मुंबई से ही की। इस मायानगरी में रहते हुए मैंने अपने जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव देखें। खासकर उन लोगों के बारे में मेरे मन में हमेशा ये ख्याल आता था जो लोग मुंबई की सकरी गलियों में बने ‘चाली’ यानी स्लम एरिया में रहकर अपना जीवन-यापन कर रहे हैं, उनकी दिनचर्या शौचालयों में लगे लम्बी लाइनों और पीने के लिए पानी से शुरु होती है। जब मैं उन परिवारों की माताएं, बहनों को सुबह उठकर शौचालयों में लाइन लगाते देखता था तो मेरे मन को बहुत पीड़ा होती थी। तभी मैंने प्रण कर लिया कि एक न एक दिन मैं इन्हें इस परेशानी से जरूर निजात दिलाऊंगा। इसके लिए सबसे पहले मैंने साल २००८ में महाराष्ट्र राज्य चैरिटी कमिश्नर ऑफिस से ‘आरजू स्वाभिमान नागरिक समिति’ नामक संस्था पंजीकृत कराई और फिर यहीं से अपने मिशन की तरफ चल पड़ा।

‘आरजू स्वाभिमान नागरिक समिति’ के अध्यक्ष राजेंद्र खुशालराज मेहता बताते है कि इस संस्था ने अब तक मुंबई तथा उपनगरों में प्रधानमंत्री आवास योजना की सब्सिडी का लाभ दिलाते हुए चार हजार से अधिक लाभार्थी परिवारों को कम बजट वाले सस्ते घर मुहैया कराए हैं।

समाजसेवी राजेंद्र मेहता का कहना है कि समिति का मुख्य उद्देश्य मुंबई को झोपड़ा मुक्त बनाने के साथ-साथ जिन लोगों के पास पैसे के आभाव के चलते अपना घर नहीं हैं, ऐसे जरूरतमंद लोगों को उनके बजट में किफायती आशियाना उपलब्ध कराकर उनका सपना पूरा करना है। उन्होंने बताया कि संस्था ने अब दूसरे चरण में भांडुप, गोरेगांव और कांदिवली में भी किफायती आवास का निर्माण शुरू कर दी है। जरूरतमंद लोग स्वयं दादर स्थित संस्था के कार्यालय में आकर सारी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

राजेंद्र मेहता कहते हैं कि आज़ाद भारत में वो भी मुंबई जैसे शहर में एक गरीब भी अपना खुद का घर होने के सपने संजोये दिन-रात परिश्रम करता है, परन्तु इसमें अधिकांश लोगों का सपना अधूरा रह जाता है। मिडिल क्लास फैमिली के पास सस्ते घर लेने के लिए भी उनके पास पैसे नहीं होते, बैंक और क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटियां भी उन्हें लोन नहीं देते, जिसके कारण निजी घर होने का इनका सपना अधूरा रह जाता है। जिसके लिए २०१६ में मैंने ‘निवारा को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी लिमिटेड’ की स्थापना की। आज काफी जरूरतमंद फैमिली इसका लाभ उठा रहे हैं।

राजेंद्र मेहता बताते हैं कि २०२० में कोरोना महामारी के दौरान भी मैं कभी घर पर नहीं बैठा। संस्था की टीम और कई स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ जुड़कर संक्रमण की रोकथाम एवं बचाव हेतु जागरूकता अभियान चलाया। लोगों के घरों पर जा-जाकर, हैंड सैनिटाइजर की बॉटल और होम्योपैथिक आर्सेनिकम एल्बम ३० दवाइयां बांटी। अपने एरिया और आसपास के लोगों को अस्पताल में एडमिट कराने में मदद पहुंचाई। जिसके लिए तमाम सामाजिक संगठनों ने ”कोरोना योद्धा” सम्मान से सम्मानित किया है। आत्मविश्वास से लबरेज़, मेहता आगे कहते हैं आपके सपने भी तभी पूरे होते हैं जब आपके भीतर मेहनत, लगन और ईमानदारी से काम करने का जज्बा होगा। आखिर में उन्होंने कहा कि आगे भी मैं इसी जज्बे के साथ समाज के हित के लिए काम करता रहूंगा।