ब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई शहरशहर और राज्य मुंबई: एट्रासिटी के पीड़ित का इलाज कराए सरकार, रेजिडेंट डाक्टरों के मुद्दों को सुलझाएं उच्चाधिकार कमेटी: हाईकोर्ट 29th August 2019 networkmahanagar 🔊 Listen to this मुंबई, बांबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को एट्रासिटी (जाति उत्पीड़न) के पीड़ित युवक के सर्जरी के उपचार का खर्च वहन करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति एनएम जमादार की खंडपीठ ने यह निर्देश पुणे निवासी सागर जाधव की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया। आरक्षित वर्ग के जाधव ने ऐसे लोगों का विरोध किया था जो उसके दोस्त को परेशान करते थे। इससे नाराज आरोपियों ने साल 2014 में जाधव की बेरहमी से पिटाई की थी। जिससे उसके शरीर में 90 प्रतिशत विकलांगता आ गई थी। इस प्रकऱण को लेकर पुणे के वालचंद पुलिसस्टेशन में शिकायत दर्ज की गई थी। शुरुआत में जाधव दो महीने तक कोमा में था। इसके बाद उसने अस्पताल में सर्जरी कराई थी अब उसे दूसरी सर्जरी करानी है। जिसका खर्च करीब 6 लाख रुपए है । इसलिए उसने एट्रासिटी कानून की धारा 15ए के तहत हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में उसने 50 लाख रुपए के मुआवजे व इलाज का खर्च दिए जाने की मांग की है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता चेतन माली ने पक्ष रखा। याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकारी वकील केवी सस्ते ने खंडपीठ के सामने कहा एट्रासिटी कानून के तहत पीड़ित के लिए सरकार ने दिसंबर 2016 में एक शासनादेश जारी किया है जिसमें पीड़ित के लिए साढे चार लाख रुपए के मुआवजे का प्रावधान किया गया है। इसमें 50 प्रतिशत रकम पीड़ित की मेडिकल जांच के बाद दी जाती है जबकि शेष 50 प्रतिशत रकम आरोपपत्र दायर करने के बाद दी जाती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि याचिकार्ता जो सर्जरी निजी अस्पताल में कराना चाहते है वह पुणे के सूसन अस्पताल में भी की जा सकती है। यहां पर भी अच्छे डाक्टर है। इस बात को जानने के बाद खंडपीठ ने अंतरिम आदेश के तौर पर बीजे मेडिकल कालेज व सूसन अस्पताल के अधिष्ठता को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द यािचकाकर्ता के उपचार की दिशा में कदम उठाए। राज्य सरकार याचिकार्ता की सर्जरी के उपचार के सारे खर्च का वहन करे। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की अगली सुनवाई 20 सितंबर तक के लिए रोक दी है। Post Views: 213