दिल्लीब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई शहरराजनीतिशहर और राज्य IFSC का मुख्यालय गुजरात में बनाए जाने के केंद्र के फैसले को लेकर खड़ा हुआ सियासी तूफान 4th May 2020 networkmahanagar 🔊 Listen to this प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एनसीपी सुप्रीमों शरद पवार (फाइल फोटो) मुंबई: इटरनेशनल फायनेंशियल सर्विसेस सेंटर (IFSC) के हेडक्वार्टर को लेकर महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार के बीच ठन गई है। IFSC का मुख्यालय मुंबई की बजाय गुजरात के गांधीनगर में बनाने के केंद्र सरकार के फैसले पर एनसीपी सुप्रीमों शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर नाराजगी जताई है। उन्होंने पीएम मोदी से तुरंत फैसले को पलटने की मांग की है।दरअसल, IFSC सेंटर मुंबई मे बनाने को लेकर महाराष्ट्र के नेताओं ने सालों से केंद्र सरकार पर दबाव बनाया हुआ है। लेकिन केंद्र के इस सेंटर को मुंबई की बजाय गुजरात के गांधीनगर मे शिफ्ट करने के फैसले से अब सियासी तूफान खड़ा हो गया है।महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस केंद्र की बीजेपी सरकार पर आक्रामक हो गई हैं। IFSC सेंटर को लेकर सूबे में आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। वरिष्ठ नेता शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर कहा है कि- मुझे माननीय से उम्मीद है कि PMOIndia राज्य की राजनीति को अलग रखते हुए तर्कसंगत, विवेकपूर्ण निर्णय लेने और इसे अत्यधिक राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा मानता है। उन्होंने आगे लिखा- मुझे उम्मीद है कि मेरा पत्र एक सही भावना से लिया जाएगा और IFSC मुख्यालय को भारत की वित्तीय राजधानी में स्थापित करने पर विचार किया जाएगा। उधर, इस फैसले को लेकर महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री बालासाहेब थोरात पहले की केंद्र पर हमला बोल चुके हैं। थोरात ने ट्वीट कर कहा था- केंद्र सरकार का IFSC मुख्यालय को गुजरात में स्थापित करने का फैसला बेहद निराशाजनक है। केंद्र का ये कदम मुंबई के कद को कम करने के लिए उठाया गया है। केंद्र को अपने इस फैसले पर पुनिर्विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुंबई देश की वित्तीय राजधानी है। उन्होंने इस मुद्दे पर महाराष्ट्र बीजेपी नेताओं की खामोशी पर भी सवाल उठाए थे। शिवसेना भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार और बीजेपी से खफा है।महाराष्ट्र कैबिनेट में मंत्री और शिवसेना नेता अरविंद सावंत ने कहा कि उन्होंने संसद में केंद्र सरकार से IFSC केंद्र गुजरात नहीं ले जाने की अपील की थी। लेकिन सरकार ने शिवसेना की मांग को नजरअंदाज कर दिया। Post Views: 196