गढ़चिरौली नक्सली
नेटवर्क महानगर
नक्सलवाद को पूरे देश से जड़ से मिटाने के लिए गृह मंत्रालय के नेतृत्व में अभियान चल रहा है। महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में माओवाद के खिलाफ सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली है। यहां टॉप नक्सली मल्लोजुला वेणुगोपाल उर्फ भूपति और 60 अन्य नक्सलियों ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है। एक अधिकारी ने बताया कि नक्सलियों ने सोमवार देर रात पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। भूपति को माओवादी संगठन का एक बहुत ही चतुर रणनीतिकार माना जाता है। वह लंबे समय से महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की सीमा पर नक्सली प्लाटूनों के अभियानों की देखरेख कर रहा था।
हाल के महीनों में भूपति और नक्सली संगठन के बड़े नेताओं के बीच अनबन चल रही थी। इस वजह से संगठन के अंदर ही झगड़े शुरू हो गए थे। भूपति का मानना था कि हथियारों के दम पर लड़ाई अब सफल नहीं हो रही है। उसने यह भी कहा कि लोगों का समर्थन कम हो रहा है और सैकड़ों नक्सली मारे जा चुके हैं। इसलिए, उसने शांति और बातचीत का रास्ता अपनाने की अपील की थी।
सूत्रों की मानें तो भूपति के इस विचार का संगठन के दूसरे बड़े नक्सलियों ने विरोध किया। उन्होंने एक दूसरे नेता के नेतृत्व में लड़ाई जारी रखने का फैसला किया। लेकिन, केंद्रीय नक्सली नेतृत्व के दबाव के कारण भूपति आखिरकार हथियार डालने के लिए मान गया। उसने संगठन छोड़ने का ऐलान किया और अपने समर्थकों के साथ गढ़चिरौली पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
हाल के महीनों में गढ़चिरौली जिले में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस साल की शुरुआत में भूपति की पत्नी तारका ने भी आत्मसमर्पण किया था। वह प्रतिबंधित आंदोलन की दंडकारण्य विशेष क्षेत्रीय समिति की सदस्य थी।
सितंबर में, सोनू ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर संकेत दिया था कि वह पुलिस के सामने हथियार डाल सकता है। सूत्रों ने बताया कि, वेणुगोपाल राव उर्फ सोनू छत्तीसगढ़ और देश के अन्य हिस्सों में माओवादी कार्यकर्ताओं के एक बड़े हिस्से का समर्थन प्राप्त था। कुछ हफ्ते पहले, ऐसी अफवाहें फैली थी कि तेलंगाना निवासी सोनू ने प्रतिबंधित पार्टी भी छोड़ दी है। अपने नाम से लिखे एक पत्र में, उसने अपने साथियों से हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होकर खुद को बचाने का आह्वान किया था। सीनियर नक्सली कमांडर सोनू ने पिछले कुछ दिनों में कई बार सरेंडर करने की इच्छा जाहिर की थी। लगातार प्रेस नोट जारी कर सशस्त्र माओवाद छोड़ने की और सरकार से शांति वार्ता करने का प्रस्ताव दिया था।
पुलिस के मुताबिक, सोनू की स्थिति को भाकपा (माओवादी) के कई उप-क्षेत्रीय ब्यूरो का समर्थन प्राप्त है। पुलिस ने यह भी दावा किया कि इस भूमिगत नेता ने अगस्त में बयान जारी कर संकेत दिया था कि वह और कई अन्य लोग युद्धविराम के लिए तैयार हैं।
सोनू का आत्मसमर्पण भारत में माओवादी आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। इसे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के 2026 तक देश भर से उग्रवादी आंदोलन को जड़ से उखाड़ फेंकने के लक्ष्य की दिशा में एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। पुलिस और राज्य सरकार के लगातार अभियानों की वजह से इस इलाके में माओवादी संगठन काफी हद तक कमजोर हो गया है। इस समर्पण का असर पूरे देश में रहेगा।
