दिल्लीदेश दुनियाब्रेकिंग न्यूज़शहर और राज्य MP: पाकिस्तान खुफिया एजेंसी के पांच एजेंट गिरफ्तार… 23rd August 2019 networkmahanagar 🔊 Listen to this भोपाल, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI (इंटर सर्विस इंटेलीजेंस) के पांच एजेंट मध्य प्रदेश से पकड़े गए हैं। ऑनलाइन ठगी के जरिये ‘टेरर फंडिंग’ और जासूसी के मामले में जहां तीन की गिरफ्तारी हुई है, वहीं दो को हिरासत में लिया गया है। मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में इन्होंने जाल फैला रखा है। आरोपितों के फोन में 17 पाकिस्तानी नंबर मिले हैं।पुलिस मुख्यालय के प्रवक्ता आशुतोष प्रताप सिंह ने मीडिया को बताया कि सतना से सुनील सिंह, बलराम सिंह और शुभम मिश्रा को गिरफ्तार किया गया है। इनको एटीएस की टीम भोपाल ले आई है। इनके खिलाफ धारा 123 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया गया है। दो आरोपित भारवेंद्र सिंह और प्रदीप कुशवाहा सतना पुलिस की हिरासत में हैं। इन लोगों ने अपने कई साथियों के साथ मिलकर पाकिस्तानी एजेंटों को बैंक खाते, एटीएम कार्ड की जानकारियों के साथ धनराशि भेजी थी। ये पहले भी योजनाबद्ध तरीके से जासूसी कर रहे थे। साथ ही युद्ध की स्थिति में सामरिक महत्व की जानकारियां एकत्रित कर रहे थे।पाकिस्तानी हैंडलरों से मिलकर ये लोग देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त थे। फोन कॉल के जरिये इनाम जीतने का लोगों को झांसा देकर राशि वसूलने वाले गिरोह से भी इनकी सांठगांठ थी। एटीएस मामले की अन्य कडि़यां खोलने में जुटी है। पुलिस के रडार पर अन्य आरोपी भी हैं। इलाहाबाद, चित्रकूट, सतना और रीवा के कुछ लोगों की निगरानी की जा रही है। जासूसी पर खर्च करते थे रुपयेसतना से गिरफ्तार आरोपितों से पाकिस्तान के कई नंबरों से संपर्क, डाटा ट्रांसफर और बड़ी धनराशि के लेनदेन का ब्योरा मिला है। एटीएस का कहना है कि टेरर फंडिंग का यह पैसा पाक हैंडलर्स व जासूसी पर खर्च हो रहा था। यह राशि कश्मीर, झारखंड, बिहार, और पश्चिम बंगाल के कई खातों में पहुंचाई गई। आठ फीसद देते थे कमीशनपुलिस प्रवक्ता ने बताया कि आरोपित जिन लोगों के बैंक खातों का उपयोग कर रहे थे, उन्हें इसके एवज में बतौर कमीशन आठ फीसद राशि भी दे रहे थे। इनके पास से पुलिस को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के लिए काम कर रहे हैंडलरों के मोबाइल और फोन नंबर, लेपटॉप और अन्य दस्तावेज मिले हैं। 17 पाकिस्तानी नंबरों पर इनका संपर्क बार-बार हुआ। मप्र एटीएस इनकी भूमिका टेरर फंडिंग के लिए फाइनेंशियल स्लीपर सेल के बतौर देख रही है। इन दिशा में छानबीन भी कर रही है। वीडियो कॉलिंग के जरिये करते थे संपर्कआरोपित आतंकियों के फंड मैनेजरों से वीडियो कॉलिंग, वॉट्सएप कॉलिंग और आइएमओ के जरिये संपर्क में थे। आयकर विभाग को धोखा देने के लिए मप्र के खातों में 50 हजार रुपये से कम की राशि मंगवाते थे, जबकि बिहार, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों के खातों में इन्होंने लाखों रुपये का लेनदेन भी किया है। 2017 में भी गिरफ्तार हो चुका है बलराममप्र एटीएस ने 2017 में बलराम सहित 15 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। ये सभी पाकिस्तानी हैंडलरों के इशारे पर फर्जी बैंक खाते खुलवाकर उनमें धनराशि जमा करवा रहे थे। बलराम इस मामले में जमानत पर है। Post Views: 195