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Mumbai: पवई के विस्थापित निवासियों ने खटखटाया हाई कोर्ट का दरवाजा

मुंबई: पवई स्थित जय भीम नगर के निवासियों ने उच्च न्यायालय में एक आपराधिक याचिका दायर की है। जिसमें मांग की गई है कि महानगरपालिका और पुलिस को ध्वस्त झोपड़ियों को उसी स्थान पर फिर से बनाना चाहिए। इस याचिका में प्रशासन से मुआवजे की भी मांग की गई है। साथ ही इन झोपड़ियों के खिलाफ कार्रवाई करने वाले महानगरपालिका और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भी शिकायत दर्ज की गई। हालांकि, इस शिकायत पर किसी ने ध्यान नहीं दिया, याचिका में मांग की गई है कि हा कोर्ट इस संबंध में निर्देश दे।
निवासियों में मीना लिम्बोले समेत २८ लोगों के समूह ने यह याचिका दायर की है। याचिका पर हाल ही में न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-धेरे और न्यायमूर्ति शाम चांडक की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई।फिलहाल, इस याचिका पर सरकारी वकील क्रांति हिवराले के अनुरोध पर हाईकोर्ट ने ९ जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी है।

याचिका में क्या हैं मांगें?
मलिन बस्तियों पर कार्रवाई की जांच के लिए सेवानिवृत्त जज के नेतृत्व में एसआईटी नियुक्त की जाए। झोपड़ियों पर हथौड़ा चलाने वाले महानगरपालिका व पुलिस अधिकारियों की सही जांच होनी चाहिए। इस जांच की रिपोर्ट भी कोर्ट को सौंपी जाए।
यहां पर ३० साल से झोपड़ियां हैं। हमारे पास आधार कार्ड, वोटर कार्ड, डोमिसाइल, बिजली बिल सहित अन्य सभी आधिकारिक दस्तावेज हैं। करीब ८०० झोपड़ियों वाला यह प्लॉट हीरानंदानी बिल्डर के पास है। १ मई को सार्वजनिक शौचालयों और पानी की टंकियों पर बेदखली का नोटिस चिपका दिया गया। यह नोटिस सीधे तौर पर झुग्गीवासियों को नहीं दिया गया। फिर ६ जून को दोपहर
में बीएमसी ने आदर्श आचार संहिता के बीच करीब ६०० बस्तियों पर महानगरपालिका सहायक आयुक्त की देखरेख में सीधे ध्वस्तीकरण कार्रवाई की। इस याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है उस वक्त भी नागरिकों ने उन्हें सारे दस्तावेज दिखाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया।