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स्लम पुनर्वास योजना के नाम पर डेवलपर्स ने एमएमआरडीए को लगाया करोड़ों का चूना!

नेटवर्क महानगर / मुंबई
मुंबई में स्लम पुनर्वास योजना (एसआरएस) और म्हाडा को चूना लगाने वाले डेवलपर्स अब एमएमआरडीए द्वारा बनाये गए ट्रांजिट कैंपों में घुसपैठियों को रहने की अनुमति देकर उनसे करोड़ों रूपये की काली कमाई कर रहे हैं।

मिली जानकारी के मुताबिक, कुर्ला में बिल्डर्स और उसके कर्मचारियों द्वारा एमएमआरडीए के ट्रांजिट कैंपों में जाली दस्तावेजों के आधार पर स्लम पुनर्वास परियोजना पीड़ितों को आवंटित एक हजार से अधिक फ्लैटों में घुसपैठियों को रहने की अनुमति देकर उनसे करोड़ों रूपये वसूले किये हैं। इस धोखाधड़ी को लेकर विनोबा भावे नगर पुलिस स्टेशन में बिल्डर्स के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है। एमएमआरडीए का आरोप है कि इस तरह की धोखाधड़ी से किराये के रूप में मिलने वाले ४४ करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

कुर्ला प्रीमियम में बिल्डरों द्वारा पुनर्विकसित लगभग ३० इमारतों और खाली भूखंडों को २०२१ में एमएमआरडीए को हस्तांतरित कर दिया गया था। उस वक्त देखा गया था कि ३० में से दो इमारतों के एक हजार से ज्यादा फ्लैट्स का इस्तेमाल बिल्डर ने ट्रांजिट कैंप के लिए कर लिया था। २०१४ से २०१६ की अवधि के दौरान स्लम पुनर्वास प्राधिकरण ने आवासीय फ्लैट के लिए ७ हजार और गैर-आवासीय फ्लैट के लिए १० हजार ५०० रुपये के हिसाब से किराया वसूला था। परियोजना पूरा होने के बाद पीड़ितों को दी गई इन दोनों इमारतों को खाली करना पड़ा और एमएमआरडीए को सौंपना पड़ा। परन्तु अब पाया गया कि निवासी अभी भी इन दो इमारतों में रह रहे हैं और दोनों इमारतों के फ्लैटों में रहने वाले लोग परियोजना पीड़ित नहीं, बल्कि घुसपैठिये थे।

बिल्डर्स और उसके कर्मचारियों ने मूल निवासियों को दिए गए स्वामित्व विलेखों में उनके स्थान पर अन्य नागरिकों के नाम डाल दिए गए। पुलिस को पूछताछ में पता चला कि बिल्डर के कर्मचारियों ने इस आधार पर उन्हें रहने की इजाजत देकर उनसे मोटी रकम वसूल रहे थे।