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UP: मिनटों में 3-3 तत्काल टिकटों की हो जाती थी बुकिंग, फर्जी सॉफ्टवेयर से हर महीने लाखों कमा रहे थे इंजिनियर्स, गिरफ्तार

गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में फर्जी सॉफ्टवेयर की मदद से तत्काल टिकटों में फर्जीवाडे़ का मामला सामने आया है। मामले में आरपीएफ ने दो सॉफ्टवेयर इंजिनियरों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने देशभर में 15 हजार से ज्यादा एजेंटों को सॉफ्टवेयर किराए पर दे रखा था। वह हर एजेंट से सॉफ्टवेयर के लिए 600 रुपये प्रतिमाह किराए के रूप में लेते थे। पुलिस ने बताया कि एक आरोपी को ग्रेटर नोएडा से और दूसरे को बिहार के लखीसराय से गिरफ्तार किया गया है। दोनों ही आरोपी नोएडा में एक मीडिया संस्थान में नौकरी करते हैं।

कैसे करते थे फर्जीवाड़ा?
आनंद विहार से बंगाल और बिहार जाने के लिए तत्काल टिकटों के लिए काफी मारामारी रहती है। ऐसे में बहुत से लोगों को टिकट नहीं मिल पाता। ऐसे में वह एजेंटों की मदद से टिकट बुक कराने की कोशिश करते हैं। दरअसल, आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर तत्काल का टिकट बुक कराने के लिए काफी सारी जानकारियां भरनी होती हैं, जो काफी समय लेती हैं। आम लोग ढाई से तीन मिनट में इन जानकारियों को भरकर ही टिकट बुक कर पाते हैं।
आरोपी सॉफ्टवेयर इंजिनियरों ने टिकट बुक करने के लिए तत्काल प्लस और तत्काल प्रो नाम से दो सॉफ्टवेयर बना रखे थे। ये सॉफ्टवेयर एक मिनट में दो से तीन लोगों का टिकट बुक कर देता है। इसमें ऐसी व्यवस्था है कि सॉफ्टवेयर में कई यात्रियों की डिटेल एक साथ भरकर सभी को एक साथ सबमिट कर दिया जाता है। ऐसे में आईआरसीटीसी से टिकट बुक कराने की कोशिश करने वाले तमाम यात्रियों का टिकट कन्फर्म नहीं हो पाता था।
देशभर के तमाम एजेंट सोशल मीडिया के माध्यम से आरोपियों से संपर्क साधते थे और उनसे सॉफ्टवेयर किराए पर लेते थे। दोनों आरोपी सॉफ्टवेयर के लिए 600 रुपये प्रतिमाह किराया भी लेते थे। आरपीएफ ने बताया कि दोनों को इससे हर महीने 90 लाख रुपये की कमाई हो जाती थी। दोनों आरोपियों के पास एमसीए की डिग्री है और दोनों ही मीडिया संस्थान में नौकरी करते हैं, जहां उन्हें अच्छी-खासी सैलरी भी मिलती है।