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यूपी में बीजेपी को तगड़ा झटका: स्वामी प्रसाद मौर्य का योगी कैबिनेट से इस्तीफा!

सपा में शामिल हो मौर्य बोले- दर्जनों विधायक बीजेपी छोड़कर आएंगे…

लखनऊ, (राजेश जायसवाल): उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को बड़ा झटका लगा है। योगी सरकार में मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है। मौर्य योगी सरकार में श्रम विभाग के मंत्री थे।
बताया जा रहा है कि मौर्य काफी समय से बीजेपी से असंतुष्ट चल रहे थे। अब चुनाव से ठीक पहले उन्होंने पाला बदलते हुए एक लेटर जारी किया और इस्तीफे की वजहों का जिक्र किया है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने मंगलवार को ट्विटर पर अपने फ़ैसले की जानकारी दी। उन्होंने राज्यपाल को संबोधित पत्र भी ट्विटर पर पोस्ट किया है।
इसमें उन्होंने लिखा- ‘श्रम, सेवायोजन एवं समन्वय मंत्री के रूप में विपरीत परिस्थितियों व विचारधारा में रहकर भी बहुत ही मनोयोग के साथ उत्तरदायित्व का निर्वहन किया है किंतु दलितों, पिछड़ों, किसानों, बेरोजगार नौजवानों एवं छोटे-लघु एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों की घोर उपेक्षात्मक रवैये के कारण उत्तर प्रदेश के योगी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देता हूं’।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने दावा किया है कि उनके इस्तीफ़े का असर 2022 विधानसभा चुनाव के बाद दिखाई देगा।
इसके बाद समाजवादी पार्टी के मुखिया व पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मौर्य के साथ एक फोटो ट्वीट करते हुए लिखा सपा में ससम्मान हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन! सामाजिक न्याय का इंक़लाब होगा ~ बाइस में बदलाव होगा!

स्वामी का ‘पार्टी’ बदलने का लंबा इतिहास रहा
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में जन्मे स्वामी प्रसाद मौर्य ने इलाहाबाद यूनिवर्स‌टी से लॉ में स्नातक और एमए की डिग्री की हासिल की है। 1980 में उन्होंने राजनीति में सक्रिय रूप से कदम रखा। वह इलाहाबाद युवा लोकदल की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य बने और जून 1981 से सन 1989 तक महामंत्री पद पर रहे। इसके बाद 1989 से सन 1991 तक यूपी लोकदल के मुख्य सचिव रहे। स्वामी 1991 से 1995 तक उत्तर प्रदेश जनता दल के महासचिव के पद पर रहे। 1996 को स्वामी प्रसाद मौर्य ने बसपा की सदस्यता ली और प्रदेश महासचिव बने। इसके बाद उन्होंने बसपा के टिकट पर डलमऊ रायबरेली से विधानसभा सदस्य बने और चार बार विधायक बने। मंत्री ने 2009 में पडरौना विधानसभा उपचुनाव जीता और केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह की मां को हराया। मई 2002 से अगस्त 2003 तक उन्हें मंत्री का दर्जा मिला और अगस्त 2003 से सितंबर 2003 तक नेता प्रतिपक्ष भी रहे। स्वामी प्रसाद मौर्य वर्ष 2007 से 2009 तक मंत्री रहे। जनवरी 2008 में उन्हें बसपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद 2016 में उन्होंने बसपा से बगावत करके भाजपा का हाथ थाम लिया था।
अस्सी के दशक से राजनीति में सक्रिय रहे स्वामी प्रसाद मौर्य का दल बदलना आम बात है। लगभग 20 साल बसपा में रहने के बाद 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले ये बीजेपी में शामिल हुए। बीजेपी में शामिल मौर्य ने अखिलेश पर निशाना साधते हुए कहा था कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष गुंडों और अपराधियों के बल पर शासन करते हैं। अब स्वामी प्रसाद ने अखिलेश का ही दामन थाम लिया है। इस समय यूपी की राजनीति में सपा को मुख्य विपक्षी दल कहा जा रहा है।
बता दें कि काफी दिनों से स्वामी प्रसाद मौर्य पार्टी से नाराज चल रहे थे। वो अपने लिए, अपने बेटे के लिए और अपने कई समर्थकों के लिए टिकट मांग रहे थे। खबर है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ कई और विधायक भी बीजेपी का दामन छोड़ साइकिल पर सवार हो सकते हैं।

नेतृत्व ने नहीं सुनी बात!
मौर्य ने इस्तीफ़े का ऐलान करने के बाद मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने पार्टी के बड़े नेताओं के सामने भी ये मुद्दे उठाए थे लेकिन कुछ हुआ नहीं। उचित प्लेटफॉर्म पर बात उठाई, बात तो सुनी गई लेकिन कुछ हुआ नहीं। स्वामी प्रसाद मौर्य ने दावा किया कि उनके साथ कितने और नेता बीजेपी छोड़कर आएंगे, ये अगले एक-दो दिन में साफ़ हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अभी दर्जनों विधायक बीजेपी छोड़कर आएंगे। आप आगे की वार और आगे की धार देखते रहिए।
‘भारतीय जनता पार्टी’ की सरकार ने बहुतों को झटका दिया है। अगर मैं इस्तीफ़ा देकर झटका दे रहा हूं तो कौन सी नई बात है।
मौर्य ने ये फैसला ऐसे वक़्त लिया है जब मंगलवार को बीजेपी की अहम बैठक चल रही थी।इसमें गृहमंत्री अमित शाह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ हिस्सा ले रहे हैं।
आज दोपहर मौर्य के इस्तीफ़े का पत्र लेकर बीजेपी विधायक रोशनलाल वर्मा राजभवन पहुँचे थे। वर्मा शाहजहांपुर से विधायक हैं। वर्मा ने मीडिया से कहा, इस्तीफ़ा ईमेल से भेजा जा चुका है। लेकिन वो हार्ड कॉपी लेकर राजभवन आए हैं।
रोशनलाल वर्मा ने बताया कि उनके नेता स्वामी प्रसाद मौर्य है और वे भी जल्द ही कोई न कोई फ़ैसला कर लेंगे।

बीजेपी विधायक बृजेश कुमार प्रजापति ने दिया इस्तीफा
भाजपा विधायक बृजेश कुमार प्रजापति ने भी पार्टी की प्रथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। अपने इस्तीफे में उन्होंने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य पिछड़े वर्ग की आवाज हैं। वो हमारे नेता हैं। मैं उनके साथ हूं।
बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी डॉक्टर संघमित्रा मौर्य उत्तर प्रदेश के बदायूं से बीजेपी की सांसद हैं।

45 से ज्यादा उम्मीदवारों का कट सकता है टिकट
इस बीच सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि आलाकमान काफी बड़ी संख्या में टिकट काटने की तैयारी में है। दरअसल, दिल्ली में इस समय पार्टी की ओर से टिकटों के बंटवारे को लेकर मंथन चल रहा है। खबर है कि इस बार भाजपा के मौजूदा 45 से ज्यादा उम्मीदवारों का टिकट कट सकता है। उम्मीदवारों का लेखा-जोखा उनके सामने है। ऐसे में वे गणित बैठाकर उन सभी उम्मीदवारों का टिकट काट रहे हैं जिन पर दांव खेलने से निराशा हो सकती है।

डरे विधायक दे रहे इस्तीफा
इस बीच लगातार भाजपा के विधायकों के इस्तीफों की खबरें भी आ रही हैं। इस पर भाजपा के आला नेताओं का कहना है कि केवल वे ही विधायक ​पीछे हट रहे हैं, जिन्हें लग रहा है कि उनका टिकट कट जाएगा।
दरअसल, इन उम्मीदवारों को आशंका है कि उनके काम के दम पर जब विश्लेषण होगा तो निश्चित तौर पर उनका टिकट कट जाएगा, इसलिए ये लोग पहले से ही इस्तीफा देकर पार्टी छोड़कर जाने की तैयारी में हैं। साथ ही बड़े नेताओं का यह भी मानना है कि काफी लोग योगी सरकार की कार्यप्रणाली से खुश हैं। उनसे जनता को किसी तरह की नाराजगी नहीं है। लेकिन कुछ विधायक हैं, जिनसे लोकल स्तर पर जनता परेशान है या नाराज़ है।
विधानसभा चुनाव नजदीक हैं इसलिए पार्टी किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहती है।खबरों के अनुसार, पार्टी में अंदर ही अंदर नाराज़ नेताओं को मनाने की भी कोशिशें जारी हैं।