महाराष्ट्रमुंबई शहरशहर और राज्य राणे ने कभी भी स्थिति के समक्ष आत्मसमर्पण नहीं किया: गडकरी 18th August 201918th August 2019 networkmahanagar 🔊 Listen to this महाराष्ट्र के लिए अभी भी काम करने की इच्छा: नारायण राणे मुंबई, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि नारायण राणे और गोपीनाथ मुंडे दोनों हमारे नेता हैं। गडकरी ने कहा कि राणे और वे स्टेट फॉरवर्ड हैं। दोनों के मन में छलकपट नहीं है। राजनीति में पद नहीं रहने से दोस्त कम हो जाते हैं, लेकिन राणे और मेरी दोस्ती हमेशा कायम रही। गडकरी ने कहा कि वे 2001 से 2009 के बीच राणे के जीवन के उतार-चढ़ाव को नजदीक से देख चुके हैं। ऐसे में इस पुस्तक में राणे के 75 फीसदी जीवन नहीं आया है। गडकरी ने कहा कि शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे राणे को बहुत चाहते थे, लेकिन समय के साथ राजनीति में काफी परिर्वतन होते हैं। इसी प्रकार राजनेताओं को भी बदलना पड़ता है। राणे ने कभी भी स्थिति के समक्ष आत्मसमर्पण नहीं किया। राणे ने चिठ्ठी डालकर किया था कांग्रेस प्रवेश का निर्णयपवार अन्याय सहन नहीं करने वाले स्वभाव वाले नारायण राणे ने शिवसेना छोड़ी। इसके बाद कांग्रेस या राष्ट्रवादी कांग्रेस में जाएं? इसे लेकर उनके मन में दुविधा थी, ऐसे में उन्होंने दो चिठ्ठी बनाई। इसमें से एक चिठ्ठी उठाई, जो कांग्रेस की थी। यह गलती थी या बड़ी भूल, इस पर मैं नहीं बोलूंगा। यह बात राष्ट्रवादी कांग्रेस के अध्यक्ष शरद पवार ने की। वे शुक्रवार को वाईवी चव्हाण सेंटर में नारायण राणे मराठी में लिखित आत्मकथा ‘झंझावत’ और ‘अंग्रेजी में नो होल्डस बोर्ड’ के विमोचन समारोह में बोल रहे थे। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी उपस्थित थे। इसके अलावा मंत्री विनोद तावडे, आशीष शेलार, सुनील तटकरे, नीलम राणे, निलेश और नितेश राणे आदि उपस्थित थे। पवार ने कहा कि नारायण राणे ने शिवसेना छोड़ने का निर्णय लिया? यह बात मुझे पता नहीं, यदि पता भी होती तो कहता नहीं। इस मौके पर पवार ने राणे के कांग्रेस में जाने का निर्णय किस तरह गलत था, इसे बारे में अप्रत्यक्ष रूप से बात की। पवार ने कहा कि राणे के कांग्रेस में प्रवेश लेने के निर्णय लेने के बाद एक बार उनकी मुलाकात हुई थी। उस वक्त मैंने राणे से कहा था कि कांग्रेस को लेकर मेरा लंबा अनुभव रहा है, कांग्रेस में पांच-छह माह में कुछ नहीं मिलता। ऐसे में उन्हें ज्यादा अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। पवार ने कहा कि यदि राणे को मुख्यमंत्री का पूरा टर्म मिलता तो राज्य को दूरदृष्टि वाला उत्तम प्रशासक मिलता और उसे इतिहास याद रखता। पवार ने कहा कि सत्ता पक्ष के बजाय विपक्ष में काम करने का आनंद अधिक होता है। विपक्ष में रहते हुए कोई जिम्मेदारी नहीं होती। ऐसे में समाज का अंतिम व्यक्ति भी मिल सकता है। यह कहते हुए उन्होंने कहा कि लेकिन हमेशा विपक्ष में रहेंगे, इस भ्रम में किसी को रहना नहीं चाहिए। दिन बदल रहे हैं। महाराष्ट्र के लिए अभी भी काम करने की इच्छाइस अवसर पर नारायण राणे ने कहा कि उन्होंने सबसे ज्यादा प्रेम शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे से किया। आज मेरे पास जो भी कुछ भी है, उसका श्रेय बाला साहेब को जाता है। राणे ने कहा कि शिवसेना में रहते हुए मैंने कभी पद नहीं मांगा। शाखा प्रमुख, मंत्री, मुख्यमंत्री जैसे सभी पद बाला साहेब ने दिए। आठ माह के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में मैंने अनेक निर्णय लिए। उस दरम्यान मेरे मित्र कम, दुश्मन ज्यादा बने। इसके बाद मैं मुख्यमंत्री नहीं बन सकूं, इसके लिए कई लोगों ने प्रयास किए। इस बीच अनेक साल खराब चले गए। अभी मैं दिल्ली मन से नहीं गया। महाराष्ट्र में आज भी कई काम करने की इच्छा है। Post Views: 126