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अमरनाथ यात्रा: इतिहास में पहली बार हुआ आरती का LIVE प्रसारण, श्रद्धालुओं ने घर बैठे किए दर्शन

जम्मू-कश्मीर: अमरनाथ यात्रा शुरू होने से पहले रविवार सुबह पवित्र गुफा में विशेष आरती की गई। यात्रा के इतिहास में पहली बार लाइव आरती का प्रसारण हुआ। पवित्र गुफा में मंत्रोच्चारण के साथ पूजा-अर्चना में उपराज्यपाल जीसी मुर्मू अपने परिवार के सदस्यों, पुजारी व श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड के अधिकारियों के साथ मौजूद रहे। दूसरी ओर, व्यास पूर्णिमा पर पवित्र छड़ी मुबारक के संरक्षक और दशनामी अखाड़ा के महंत दीपेंद्र गिरी पहलगाम में लिद्दर दरिया किनारे शिव मंदिर में भूमि पूजन और ध्वजारोहण किया। बता दें कि इस साल यात्रा 23 जून को शुरू होनी थी, लेकिन कोरोना के कारण यात्रा की तारीख घोषित नहीं की गई। यात्रा शुरू करने की तैयारी तेजी से चल रही हैं।

दक्षिण कश्मीर में श्री अमरनाथ जी की पवित्र गुफा में बाबा बर्फानी करीब 13 फीट में विराजमान हैं। उपराज्यपाल ने गुफा में जम्मू-कश्मीर में शांति और खुशहाली की प्रार्थना की। साथ ही उन्होंने कोरोना के जल्द खात्मे की कामना की। उपराज्यपाल ने पवित्र गुफा स्थल पर यात्रा के प्रबंधों का जायजा लिया। इस मौके पर 15वीं कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू, श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बिपुल पाठक, कश्मीर के डिवीजनल कमिश्नर पीके पोले और अन्य अधिकारी उपस्थित थे। दूरदर्शन पर अब रोज आरती का सीधा प्रसारण सुबह साढ़े सात बजे और शाम साढ़े पांच बजे होगा। यह पहली बार है जब पवित्र गुफा में विराजमान भोले बाबा के दर्शन श्रद्धालुओं ने घर बैठे किए। तीन अगस्त रक्षा बंधन वाले दिन तक श्रद्धालुओं को पवित्र गुफा में होने वाले आरती के दर्शन करने का मौका मिलेगा। वहीं, यात्रा शुरू करने को लेकर कोई तिथि निर्धारित नहीं हुई है, लेकिन प्रशासन तेजी के साथ प्रबंधों को अंतिम रूप दे रहा है। जम्मू से रोज पांच सौ यात्रियों को सड़क के रास्ते से श्रद्धालुओं को बालटाल जाने की अनुमति होगी।

लिद्दर नदी किनारे में पूजा अर्चना
श्री अमरनाथ यात्रा के लिए रविवार सुबह छड़ी मुबारक पहलगाम पहुंची। करीब सौ साधु संतों व अन्य श्रद्धालुओं के साथ सुबह छह बजे दशनामी अखाड़ा श्रीनगर से पहलगाम में लिद्दर नदी के किनारे छड़ी मुबारक का भूमि पूजन, नवग्रह पूजन और ध्वजारोहण की रस्म पूरी की गई। छड़ी मुबारक का नेतृत्व करने वाले दीपेंद्र गिरि ने कहा कि साल 1996 में भी प्राकृतिक आपदा के कारण विकट स्थिति बनी थी। इस बार यात्रा कब शुरू होगी और कितने दिन की होगी, इसे लेकर आने वाले दिनों में स्थिति साफ होगी। यात्रा का पारंपरिक रूट तो पहलगाम ही है, लेकिन इस बार यात्रा बालटाल से चलेगी। बालटाल रास्ता करीब 14 Km लंबा है। कोरोना के खात्मे के लिए भी गुफा में विशेष पूजा की जाएगी।