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ओबीसी आरक्षण…तो अब सितंबर में होगा मुंबई मनपा चुनाव!

दोनों सदनों में पेश हुए दो विधेयक, सर्व सहमति से हुआ पारित

मुंबई, (राजेश जायसवाल): बिना अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) आरक्षण के स्थानीय निकाय चुनाव रोकने के लिए राज्य की आघाडी सरकार ने सोमवार को विधानमंडल के दोनों सदनों में दो विधेयक पेश किए। विपक्ष ने भी इन विधेयकों का समर्थन किया और दोनों विधेयक सर्व सहमति से पारित हो गए। इससे अब स्थानीय निकाय चुनाव 5 से 6 महीने टलने की सम्भावना प्रबल हो गई है।
बता दें कि विधेयक के तहत अब राज्य चुनाव आयोग के पास सिर्फ चुनाव कराने का अधिकार बचा है। चुनाव से जुड़े दूसरे अधिकार राज्य सरकार के पास आ जाएंगे।
मध्य प्रदेश की तर्ज पर बनाए गए इस कानून के मुताबिक, अब जबतक राज्य सरकार प्रभाग (वार्ड) संरचना से जुड़ी रिपोर्ट चुनाव आयोग को नहीं सौंपता तब तक राज्य चुनाव आयोग चुनाव का ऐलान नहीं कर सकता।
नए विधेयक के मुताबिक, प्रभाग रचना के साथ चुनाव की तारीखें तय करने का अधिकार भी राज्य सरकार के पास होगा। इस बदलाव के बाद अब राज्य सरकार राज्य में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों को तब तक आगे टाल सकती है जब तक ओबीसी आरक्षण का मुद्दा सुलझ नहीं जाता।

SC की शर्तें मानने का मिलेगा वक्त
फिलहाल, सुप्रीमकोर्ट में चल रही कानूनी लड़ाई में राज्य सरकार को ट्रिपल टेस्ट करना है जिसके लिए अब उसे समय मिल जाएगा। मंजूर किए गए विधेयक के बाद प्रभाग रचना, वार्ड रचना, मतदाता सूची तैयार करने, चुनाव कार्यक्रम बनाने जैसे अधिकार राज्य सरकार के पास चले जाएंगे जिसकी मदद से मुंबई, ठाणे, पुणे समेत दूसरी महानगरपालिकाओं विधानसभा में एकनाथ शिंदे ने दो विधेयक महाराष्ट्र ग्राम पंचायत अधिनियम व महाराष्ट्र जिला परिषद व पंचायत समिति अधिनियम 1961 सुधार विधेयक और मुंबई महापालिका अधिनियम महाराष्ट्र महानगरपालिका अधिनियम व महाराष्ट्र नगर परिषद नगर पंचायत व औद्योगिक नगरी अधिनियम 1965 सुधार विधेयक विधानसभा में पेश किया जिसे दोनों पक्षों से सदस्यों ने एकमत से मंजूर कर लिया।

…तो अब सितंबर में होगा मुंबई मनपा चुनाव?
राज्य के खाद्य व आपूर्ति मंत्री व ओबीसी नेता छगन भुजबल ने कहा कि राज्य सरकार ने राज्य चुनाव आयोग के जो अधिकार अपने पास लिए हैं, वह 1992 पहले तक राज्य सरकार के पास ही थे। उन्होंने कहा कि इम्पीरिकल डेटा तैयार करने के कार्य में 2 से 3 महिने का समय लगेगा। कुल मिलाकर इन विधेयकों से मुंबई मनपा सहित अन्य स्थानिय निकाय चुनाव करीब 6 माह के लिए शर्तियां टल जाएंगे। मुंबई मनपा चुनाव के अब सितंबर तक होने की सम्भावना है।
विधानभवन परिसर में पत्रकारों से बातचीत में भुजबल ने कहा कि इस बीच ओबीसी आरक्षण के लिए जरुरी डेटा जुटाकर चुनाव आयोग को सौपा जाएगा। उन्होंने बताया कि इस विधेयक के माध्यम से प्रभाग रचना को लेकर शुरु कार्य को स्थगित कर दिया गया है।

आज समाप्त हो रहा महापौर और नगरसेवकों का कार्यकाल
वहीँ मुंबई मनपा (BMC) में नगरसेवकों का कार्यकाल आज यानी सात मार्च को समाप्त हो जायेगा। मंगलवार को बीएमसी की कमान कमिश्नर के हाथों में आ जाएगी। यह करीब 38 साल के बाद होगा। एडमिनिस्ट्रेशन से लेकर मुंबई के विकासकार्यों के सभी निर्णय अब कमिश्नर लेंगे। निर्णय लेने में अब नगरसेवकों की भी कोई भूमिका नहीं रह जाएगी।
बता दें कि मनपा चुनाव समय से न हो पाने के कारण राज्य मंत्रिमंडल ने 9 फरवरी को बीएमसी में प्रशासक नियुक्त करने का निर्णय लिया था। बीएमसी के एक अधिकारी ने बताया कि बीएमसी में पहली बार 1 अप्रैल 1984 से 25 अप्रैल 1985 तक प्रशासक की नियुक्ति हुई थी। वर्ष 1990 से 1992 तक महिला आरक्षण के मुद्दे पर बीएमसी का कार्यकाल बढ़ाया गया था। इस बार भी बीएमसी में नेता प्रतिपक्ष रवि राजा ने प्रशासक नियुक्त करने का विरोध करते हुए कार्यकाल बढ़ाने की मांग की थी।

मुंबई को यूं ही नहीं छोड़ूंगी…
शिवसेना नेता किशोरी पेडणेकर ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है और कल से वे एक नई इनिंग की शुरुआत करेंगी। उन्होंने कहा, मेयर और नगरसेवक के तौर पर 5 साल पूरे हो गए हैं। मैं केयरटेकर मेयर के तौर पर काम करती रहूंगी। मुंबई को यूं ही नहीं छोड़ूंगी। अब पार्टी को मजबूत करने के लिए वक्त दूंगी। पेशे से मैं नर्स थी। मुझे मेरी पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने इतना बड़ा सौभाग्य दिया। मैं उनका जितना आभार मानूं, उतना कम है। मैंने कोरोना काल में स्थिति को संभालने की जिम्मेदारी निभाई। पूरे कार्यकाल में सिर्फ किरीट सोमैया ने ही मुझ पर व्यक्तिगत टीका-टिप्पणियां की। उन्होंने मुझे परेशान किया लेकिन याद रहे, द्रौपदी की रक्षा के लिए श्रीकृष्ण आए थे।

5,000 करोड़ का प्रस्ताव पास
बीएमसी की स्थायी समिति ने अपने कार्यकाल के आख़िरी दिन मुंबई के विकास के लिए आधे घंटे के अंदर करीब 5,000 करोड़ रुपये के प्रस्ताव पास किए। विपक्षी दल बीजेपी की आपत्ति को दरकिनार करते हुए स्थायी समिति अध्यक्ष यशवंत जाधव ने 365 प्रस्तावों में से करीब 300 प्रस्तावों को मंजूरी दी। इसके विरोध में बीजेपी नगरसेवकों ने बीएमसी कमिश्नर के दफ़्तर के बाहर धरना-प्रदर्शन भी किया। जवाब में शिवसेना के नगरसेवकों ने स्थायी समिति अध्यक्ष के कार्यालय के बाहर नारेबाजी की और यशवंत जाधव के निर्णय का पुरजोर समर्थन किया।

प्रमुख प्रस्तावों में-
1) नाहुर अस्पताल के विकास कार्यों के लिए 769 करोड़ रुपये
2) कांदिवली स्थित डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर (शताब्दी) हॉस्पिटल के लिए 509 करोड़
3) मलबार टेकडी जलाशय के विकासकार्य के लिए 698 करोड़
4) नायर अस्पताल के लिए 348 करोड़ रुपये के प्रस्ताव शामिल हैं।

इसी तरह, पवई-घाटकोपर जलाशय टनल के लिए 607 करोड़
फायर ब्रिगेड के आधुनिकीकरण के लिए 126 करोड़
सीवरेज लाइन के लिए 80 करोड़
दक्षिण मुंबई में छोटी सड़कों के विकास के लिए 23 करोड़
नाले बनाने के लिए 22 करोड़ रुपये
मानखुर्द में छोटी सड़कों के लिए 26 करोड़
कुर्ला में छोटी सड़कों के विकास के लिए 25 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इनमें पहले के करीब 600 करोड़ रुपये के प्रस्ताव और अन्य कार्यों के लिए 300 करोड़ रुपये के लंबित प्रस्ताव भी शामिल थे।