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टीएमसी में शामिल हुए यशवंत सिन्हा, बोले- केंद्र का मकसद हर स्तर पर चुनाव जीतना है…

नयी दिल्ली: पश्चिम बंगाल चुनाव 2021 को लेकर भारतीय जनता पार्टी और तृणमल कांग्रेस के बीच जारी सियासी टकराव के बीच बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा आज ममता बनर्जी की पार्टी में शामिल हो गए। टीएमसी में शामिल होने के तत्काल बाद उन्होंने बीजेपी नेतृत्व पर जमकर निशाना साधते हुए कहा कि आज देश विचित्र स्थिति में पहुंच गई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा राजनीति में अभी तक हम लोग सोचते रहे कि लोकतांत्रिक मूूल्यों, भाईचारे, देश की अखंडता, सबको साथ लेकर चलने के मुद्दे कोई नहीं भटकेगा। लेकिन वर्तमान केंद्र सरकार को इन लोेकतांत्रिक मूल्यों की परवाह नहीं है। उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार का मकसद हर पर चुनाव जीतना है। यह स्थिति देश के लिए चिंताजनक है।

पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने आज कोलकाता टीएमसी ऑफिस में सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय और मंत्री सुब्रत मुखर्जी की मौजूदगी में टीएमसी का दामन थाम लिया। पार्टी में शामिल होने से पहले उन्होंने ममता बनर्जी के साथ बातचीत भी की थी। सुदीप बंद्योपाध्याय ने बताया कि दीदी के साथ यशवंत सिन्हा की बातचीत काफी सकारात्मक रही।

सरकार की मनमानी पर अंकुश लगाने वाला कोई नहीं
उन्होंने कहा कि अटलजी की पार्टी और आज की पार्टी में जमीन और आसमान का अंतर है। अटलजी सर्वसम्मित पर विश्वास करते थे। आज की सरकार सिर्फ दबाने में विश्वास करती है। उन्होंने कहा कि जो लोग विश्वास करते हैं कि देश में प्रजातंत्र रहना चाहिए। उन्हें इकट्ठे होकर आगे आने की जरूरत है। ममता की तारीफ करते हुए यशवंत सिन्हा ने कहा कि ममताजी शुरू से ही फाइटर रही हैं। बंगाल चुनाव में टीएमसी भारी बहुमत से सत्ता में वापस आएगी।
उन्होंने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि सरकार की मनमानी पर अंकुश लगाने वाला कोई नहीं बचा। प्रजातंत्र का मतलब सिर्फ 5 साल में चुनाव करवाना ही नहीं होता। उन्होंने कहा कि देश अभी बहुत ही नाजुक परिस्थिति से गुजर रहा है। आज हर संस्था कमजोर हो रही है। आज इस देश का किसान परेशान है। अन्नदाता दिल्ली के बॉर्डर पर बैठने के लिए मजबूर

बता दें कि यशवंत सिन्हा पूर्व आईपीएस अधिकारी रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के कैबिनेट में मंत्री रहे। बाद में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के वित्त और विदेश मंत्री रहे। लोकसभा चुनाव 2014 के बाद उनकी नई बीजेपी नेतृत्व से नहीं बनी और उन्होंने बीजेपी का छोड़ दिया। पिछले कुछ वर्षों से यशवंत सिन्हा लगातार मोदी सरकार की जीएसटी, नोटबंदी, वित्तीय व विदेश नीतियों की आलोचना करते आए हैं।