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देवेंद्र फडणवीस का तंज- मुंबई के मातोश्री से नहीं, ‘दिल्ली के मातोश्री’ से चलेगी उद्धव ठाकरे सरकार

मुंबई: महाराष्ट्र की उद्धव सरकार पर बुधवार को राज्य के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने तंज कसा है। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा कि शिवसेना के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार मुंबई के ‘मातोश्री’ से नहीं बल्कि ‘दिल्ली के मातोश्री’ से चलेगी।
गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे के मुंबई स्थित घर का नाम मातोश्री है। फडणवीस ने गठबंधन में सहयोगी कांग्रेस नेतृत्व के दखल को लेकर यह तंज कसा है।
विधानसभा में विपक्ष के नेता ने पालघर जिला परिषद के चुनाव अभियान के दौरान एक रैली में कहा कि यह सरकार ‘मातोश्री’ से नहीं, बल्कि ‘दिल्ली के ‘मातोश्री’ से नियंत्रित होगी। हालांकि अपने बयान में फडणवीस ने किसी का नाम नहीं लिया।

मातोश्री का मतलब मां
गौरतलब है कि मातोश्री मराठी शब्द है जिसका मतलब मां होता है। शिवसेना की अगुवाई वाली महाराष्ट्र विकास आघाडी (एमवीए) सरकार में एनसीपी और कांग्रेस साझीदार हैं। शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे के जीवनकाल के दौरान ‘मातोश्री’ महाराष्ट्र की राजनीति में एक शक्ति केंद्र के रूप में जाना जाता था। बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं, बॉलिवुड अभिनेता और दिवंगत पॉप गायक माइकल जैक्सन समेत कई प्रतिष्ठित हस्तियां बांद्रा स्थित ‘मातोश्री’ आ चुकी हैं।

फडणवीस की टिप्पणी से नाराज होगी कांग्रेस?
माना जा रहा है कि फडणवीस की टिप्पणी शिवसेना को नाराज़ करने का काम करेगी। अपने हमले जारी रखते हुए, फडणवीस ने उद्धव ठाकरे के इस बयान पर भी तंज कसा कि उन्होंने अपने दिवंगत पिता बालासाहेब ठाकरे से वादा किया था कि वह शिवसैनिक को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाएंगे। फडणवीस ने कहा कि अगर बालासाहेब को पता चलेगा कि चुनाव के बाद शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के साथ चली गई है, तो वह स्वर्ग में रो रहे होंगे। उन्होंने शिवसेना पर जनादेश के साथ ‘विश्वासघात’ करने का भी आरोप लगाया। फडणवीस ने लोगों से उद्धव ठाकरे नीत पार्टी को आगामी पालघर जिला परिषद चुनाव में करारा जवाब देने को कहा। बीजेपी नेता ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि शिवसेना ने हिन्दुत्व के विचारक सावरकर को ‘अपशब्द’ कहने वालों के साथ समझौता किया है।

फडणवीस के सवाल?
फडणवीस ने सवाल किया कि अंदरूनी कलह के बीच ठाकरे नीत सरकार कितने दिन चलेगी? फडणवीस ने आरोप लगाया कि शिवसेना ने न सिर्फ जनादेश के साथ विश्वासघात किया, बल्कि चुनाव पूर्व सहयोगी बीजेपी के साथ भी विश्वासघात किया है। दोनों पार्टियों ने विधानसभा चुनाव गठबंधन में लड़ा था। उन्होंने कहा कि पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जितनी सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनमें से 70 फीसदी सीटों पर जीत दर्ज की और सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।

शिवसेना पर आरोप
वहीं, शिवसेना ने जितनी सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनमें से वह सिर्फ 45 प्रतिशत सीट ही जीत पाई। विधानसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि नागरिकों ने शिवसेना-बीजेपी गठबंधन को स्पष्ट जनादेश दिया था, लेकिन एनसीपी और कांग्रेस से हाथ मिलाने वाली शिवसेना के विश्वासघात के कारण बीजेपी सत्ता से बाहर हो गई। बीजेपी के साथ विश्वासघात को लेकर मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए फडणवीस ने कहा कि पहले दिन से ये तीनों पार्टियां अपने मंत्रियों का नाम तय नहीं कर सकीं।
फडणवीस ने कहा कि मंत्रियों के चयन के बाद शिवसेना नेताओं और कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ रहा है। वहीं, कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने तो पार्टी कार्यालय में उत्पात मचाया और तोड़फोड़ की। ठाकरे द्वारा किसान ऋण योजना की घोषणा पर फडणवीस ने कहा कि यह आंख में धूल झोंकने के अलावा कुछ नहीं है। इसमें कई शर्तें लगा दी गई हैं, जिससे राज्य के करीब 60 लाख किसानों को योजना का लाभ नहीं मिलेगा।

महाराष्‍ट्र कांग्रेस में अंतर्कलह
गौरतलब है कि उद्धव सरकार के कैबिनेट विस्तार के बाद प्रदेश कांग्रेस में अंदरूनी कलह भी खुलकर सामने आने लगा है। कई विधायकों ने मंत्रीपद नहीं मिलने पर नाराजगी जताई, वहीं मंत्री पद पाने वाले नेता अपने कैबिनेट पोर्टफोलियो को लेकर असंतुष्टि जताई है।