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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार

नयी दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का मंगलवार दोपहर को लोधी रोड विद्युत शवदाह गृह में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। उनके बेटे ने अंतिम संस्कार किया। परिजनों और रिश्तेदारों ने कोविड-19 से बचाव के दिशा-निर्देशों के अनुरूप पीपीई किट में मुखर्जी को अंतिम विदाई दी। सेना की टुकड़ी ने पूर्व राष्ट्रपति को तोपों की सलामी दी।
उल्लेखनीय है कि 84 वर्षीय मुखर्जी का सोमवार शाम को दिल्ली छावनी स्थित सेना के रिसर्च ऐंड रेफरल अस्पताल में निधन हो गया था। वह 21 दिनों से अस्पताल में भर्ती थे। इससे पहले सुबह राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तीनों सेनाओं के प्रमुखों सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के अंतिम दर्शन किए और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। अस्पताल से पूर्व राष्ट्रपति के पार्थिव शरीर को आज उनके सरकारी निवास 10, राजाजी मार्ग लाया गया, जहां गणमान्य व्यक्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, थल सेना अध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे, वायु सेना प्रमुख आर के एस भदौरिया, नौसेना प्रमुख करमबीर सिंह सहित अन्य प्रमुख हस्तियों ने भी मुखर्जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और हर्ष वर्धन, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी राजा ने भी दिवंगत नेता के दर्शन किए और उन्हें श्रद्धांजलि दी।

केंद्र सरकार ने की 7 दिन के राजकीय शोक की घोषणा
केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर 31 अगस्त से 6 सितंबर तक 7 दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। मुखर्जी 2012 से 2017 तक देश के 13वें राष्ट्रपति रहे। लंबे समय तक कांग्रेस के नेता रहे मुखर्जी 7 बार सांसद भी रहे। भाजपा-नीत केंद्र सरकार ने साल 2019 में उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजा था। पश्चिम बंगाल में जन्में इस राजनीतिज्ञ को चलता फिरता ‘इनसाइक्लोपीडिया’ कहा जाता था और हर कोई उनकी याददाश्त क्षमता, तीक्ष्ण बुद्धि और मुद्दों की गहरी समझ का मुरीद था। मुखर्जी भारत के एकमात्र ऐसे नेता थे जो देश के प्रधानमंत्री पद पर न रहते हुए भी 8 वर्षों तक लोकसभा के नेता रहे। वे 1980 से 1985 के बीच राज्यसभा में भी कांग्रेस पार्टी के नेता रहे।