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बड़ी ख़बर: Oxford University की कोरोनावायरस वैक्सीन देगी ‘दोहरा सुरक्षा कवच’

लंदन: देश में कोरोना वायरस का संक्रमण दस लाख के आंकड़े को पार कर गया है। वहीं मरने वालों की संख्या भी 26 हजार के करीब पहुंच गई है। यहां राहत की बात यह है कि देश में रिकवरी रेट 63.24 प्रतिशत है। ऐसे में एक राहतभरी ख़बर यह है कि इंसानों पर किए गए पहले ट्रायल में सफल रही ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन के बाकी सब कैंडिडेट से आगे निकलने का एक बड़ा कारण सामने आया है। दरअसल, यह वैक्सीन घातक कोरोना वायरस से ‘दोहरी सुरक्षा’ देती है। आमतौर पर वैक्सीन दिए जाने पर इंसान के शरीर में ऐंटीबॉडी बनने को सफलता माना जाता है। हालांकि, ऑक्सफर्ड की वैक्सीन में सिर्फ ऐंटीबॉडी नहीं वाइट ब्लड सेल (Killer T-cells) भी पाए गए हैं जिसकी वजह से यह ज्यादा खास है।

ऑक्सफर्ड की यह स्टडी ‘द लैंसेट’ जर्नल में सोमवार को प्रकाशित होगी लेकिन इसके नतीजों पर अभी से चर्चा शुरू हो चुकी है। यूनिवर्सिटी Astrazeneca के साथ मिलकर यह वैक्सीन तैयार कर रही है। इंसानों पर पहले ट्रायल में पाया गया है कि वॉलंटिअर्स में इसने न सिर्फ ऐंटीबॉडी बल्कि इन्फेक्शन से लड़ने वाले खास वाइट ब्लड सेल्स (White Blood cells) भी विकसित किए जिन्हें T-cells कहा जाता है। ये दोनों साथ मिलकर शरीर को सुरक्षा देते हैं। दरअसल, पहले की स्टडीज में यह बात सामने आई है कि ऐंटीबॉडी कुछ महीनों में खत्म भी हो सकती हैं लेकिन T-cells सालों तक शरीर में रहते हैं।

ऑक्सफर्ड के रिसर्चर्स इन नतीजों से उत्साहित तो हैं लेकिन माना जा रहा है कि जब तक यह साफ नहीं हो जाता कि वैक्सीन लंबे समय तक कोरोना वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बना पाती है या नहीं, तब तक इसे लेकर इंतजार करना होगा। यह वैक्सीन ChAdOx1 nCoV-19 (अब AZD1222) यूनिवर्सिटी के जेनर इंस्टिट्यूट में सरकार और AstraZeneca के साथ मिलकर बनाई जा रही है। AstraZeneca इसका उत्पादन करेगी।

सितंबर तक उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य
वैक्सीन कब तक उपलब्ध हो पाएगी, इसे लेकर द डेली टेलिग्राफ ने ट्रायल के डेटा पर मुहर लगाने वाले बर्कशायर रिसर्च एथिक्स कमिटी के चेयरमैन डेविड कार्पेंटर के हवाले से कहा है, किसी एक तारीख का दावा नहीं किया जा सकता, कुछ भी गलत हो सकता है लेकिन असलियत ये है कि एक बड़ी फार्मा कंपनी के साथ काम करते हुए वैक्सीन सितंबर तक बड़े स्तर पर मुहैया की जा सकती है और इसी लक्ष्य पर वे काम कर रहे हैं।