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भिवंडी: बेटे की मौत का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाई बूढ़ी मां, अन्न त्याग कर दे दी अपनी जान…!

मुंबई, मां ममता का दूसरा रूप कही जाती है। अपने बच्चों से दूर रहना उसके लिए सजा से कम नहीं होता। लेकिन अगर बच्चा हमेशा के लिए छोड़कर चला जाए तो मां को भी अपना जीवन व्यर्थ लगने लगता है। भिवंडी में भी एक ऐसी घटना सामने आई है, जहां एक बूढ़ी मां अपने बेटे की मौत का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाई।
भिवंडी में शाहपुर तालुका के राए गांव की एक दृष्टिहीन वृद्ध मां को जब पता चला कि उसके इकलौते बेटे की मौत हो गई है, तो वह बेटे की मौत का सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकी और उसने अन्न त्याग दिया। अंतत: बेटे की मौत के नौवें दिन ही उसकी मौत हो गई। इस घटना से राए गांव का पूरा माहौल गमगीन है।
राए गांव के नारायण फरडे प्रतिवर्ष पंढरपुर दर्शन के लिए जाते थे। इस वर्ष भी आषाढ़ी एकादशी के अवसर पर वह पंढरपुर गए थे। वह वहां बीमार पड़ गए और 23 जुलाई को उनका पंढरपुर में ही निधन हो गया। घर पर उनकी दृष्टिहीन और वृद्ध मां भागीरथी फरडे (92) थीं। उन्हें बेटे की मौत की खबर मिली तो उन्होंने खाना-पीना छोड़ दिया। लोगों ने उन्हें ऐसा न करने के लिए समझाया, लेकिन वह इस सदमे से उबर नहीं पा रही थीं। उन्होंने लोगों से कहा कि नारायण उनकी दिन-रात सेवा करते थे। उन्होंने कभी अपनी मां को तकलीफ नहीं होने दी। इसके कारण वह अपने इकलौते बेटे को भूल नहीं पा रही हैं। बेटे की मौत को लेकर उनके घर में कीर्तन और भजन चल रहे थे। इसी दौरान भागीरथी ने भी अपने प्राण त्याग दिए। भागीरथी की मौत के बाद पड़ोसियों और पूरे राए गांव में गम का माहौल पसरा हुआ है।