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मप्र: पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर का निधन

भोपाल, ‘अब क्या खाक मुसलमां होंगे…’ अक्सर डायरी लिखने वाले स्व. बाबूलाल गौर ने विधानसभा चुनाव से पहले 2018 की एक डायरी में यह बात भी लिखी। पता चलने पर तब लोगों ने पूछा था कि ऐसा क्यों लिखा? कहीं इसका मंतव्य भाजपा छोड़कर कांग्रेस में जाने की खबरों से तो नहीं है? गौर ने हां में सिर हिलाया और ठहाके लगाने लगे। तब वाकया ध्यान में आया कि बहू कृष्णा को टिकट नहीं मिलने पर गौर के कांग्रेस में जाने की अटकलों ने जोर पकड़ा था। बाद में बहू को टिकट मिला और बात आई गई हो गई। यह डायरी बुधवार को उनके निधन पर भी लोग तलाशते रहे। अब ठहाके लगाने वाले गौर सदैव के लिए मौन हो गए हैं। बहरहाल, 90 साल, दो महीने और 19 दिन के स्व. गौर के साथ एक राजनीतिक युग का समापन हो गया। देश में कोई ऐसा नेता नहीं, जिसने लगातार 10 बार विधायक का चुनाव जीता और 44 साल तक विधायकी की।
इस दौरान नेता प्रतिपक्ष, मुख्यमंत्री और मंत्री तक रहे। लंबे राजनीतिक सफर में उनके साथ ढेरों लोगों की यादें हैं, लेकिन सभी ने एक बात दोहराई कि उनके जैसे बिंदास नेता व सदैव मुस्कुराने व हंसने वाला राजनेता नहीं। गत 7 अगस्त को ऐसे ही सहृदय गौर की तबीयत खराब हुई और उन्हें नाजुक हालत में निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। वेंटीलेटर पर रहे। सोमवार को एक किडनी ने काम करना बंद किया तो डायलिसिस हुआ। मंगलवार देर रात हार्ट ने काम करना बंद कर दिया। मल्टी ऑर्गन फेलियर के कारण बुधवार तड़के उनका निधन हो गया। उस समय बहु कृष्णा समेत परिवार वहां मौजूद रहा। पार्थिव शरीर सुबह पहले 74 बंगले स्थित निवास पर और बाद में भाजपा दफ्तर लाया गया। राज्यपाल लालजी टंडन, मुख्यमंत्री कमलनाथ, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर व थावरचंद गेहलोत, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष समेत कई बड़े नेताओं ने श्रद्धासुमन अर्पित किए। अंतिम यात्रा दोपहर बाद सुभाष नगर विश्रामघाट पहुंची, जहां राजकीय सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि की गई।

मप्र की कांग्रेस सरकार ने स्व. बाबूलाल गौर के निधन पर तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। साथ ही बुधवार दोपहर बाद आधे दिन का शासकीय अवकाश दे दिया। प्रदेश में राजकीय शोक के दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। इस दौरान शासकीय कार्यक्रम स्थगित रहेंगे।