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महाराष्ट्र के पुणे में दिनदहाड़े सामाजिक कार्यकर्ता की हत्या; एनसीपी विधायक के खिलाफ FIR दर्ज

पुणे: महाराष्ट्र के पुणे जिले के तलेगांव दाभाडे में एक सामाजिक कार्यकर्ता की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई। इस मामले में एनसीपी विधायक सुनील शेळके के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। शेळके के राजनीतिक प्रतिद्वंदी किशोर आवारे पर शुक्रवार को पंचायत भवन के सामने छह लोगों ने जानलेवा हमला कर दिया था। गोली मारने के बाद आवारे पर हंसिया से भी हमला किया गया। आवारे की मां सुलोचना की शिकायत पर तलेगांव पुलिस ने एनसीपी विधायक शेळके, श्याम निगाडकर, सुधाकर शेळके, संदीप गारड और तीन अन्य के खिलाफ भादंवि की धारा 302 (हत्या) और शस्त्र अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की है। आवारे की मां का कहना है कि उनका पुत्र मावल तालुका में विधायक शेळके के इशारे पर चल रही अवैध गतिविधियों का हमेशा विरोध करता था। इसलिए उसके बेटे की हत्या कर दी गई।

विधायक ने आरोपों का खंडन किया
वहीँ एनसीपी विधायक सुनील शेळके ने सभी आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने दावा किया कि उनकी छवि बिगाड़ने के लिहाज से उन पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि किशोर और मेरे बीच मतभेद थे, लेकिन वे केवल राजनीति तक ही सीमित थे। कुछ लोग जानबूझकर इस मामले को दूसरे स्तर पर ले जा रहे हैं। हमें कानून पर भरोसा है। सत्य की जीत होगी।

लोकसभा टिकट के दावेदार हैं शेळके
आगामी लोकसभा चुनाव में विधायक सुनील शेळके (48) को लोकसभा सीट का दावेदार माना जा रहा है। वर्ष 2019 तक शेळके बीजेपी में थे, उन्हें विधानसभा का टिकट नहीं मिला तो वे बगावत कर एनसीपी में चले आए। उन्होंने मावल सीट से तीन बार के बीजेपी विधायक बाला भेगडे को विधानसभा चुनाव में पराजित किया था। वह अजित पवार के करीबी नेताओं में माने जाते हैं। चिंचवड उपचुनाव में उन्हें शिवसेना के बागियों को मनाने और एनसीपी को चुनाव जिताने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। हालांकि, दोनों में उन्हें असफलता मिली।

पूरे प्रकरण पर क्या बोले- विधायक सुनील शेळके
एनसीपी विधायक सुनील शेळके ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि उन्होंने राजनीति में किशोर आवारे के साथ मिलकर काम किया है। हमारे बीच मतभेद हो सकते थे लेकिन विचारों में कोई मतभेद नहीं था। हालांकि, कुछ लोग जानबूझकर इसमें राजनीति करने की कोशिश कर रहे हैं। अगर कोई ऐसा कर रहा है तो उसे ऐसा नहीं करना चाहिए। विधायक ने इस घटना को राजनीतिक रंग न देने की अपील भी की है। उन्होंने यह भी कहा है कि मैं पुलिस व्यवस्था को पूरा सहयोग कर रहा हूं।

आवारे की बढ़ रही थी लोकप्रियता
‘जनसेवा विकास समिती’ के संस्थापक अध्यक्ष किशोर आवारे (50) एक लोकप्रिय राजनेता थे। उन्होंने हाल ही में टोल विरोधी आंदोलन चलाकर अपनी छवि और पकड़ मजबूत की थी। मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे पर सोमाटणे टोल नाके पर उनकी भूख हड़ताल का असर यह रहा कि सार्वजनिक कार्य राज्यमंत्री रवींद्र चव्हाण को यह आश्वासन देना पड़ा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जब तक मीटिंग लेकर मामला हल नहीं करते, तब तक स्थानीय लोगों से टोल नहीं वसूला जाएगा। अपनी पार्टी के बैनर तले उन्होंने मावल में छह सदस्यों को निर्वाचित करवाया था। वे तलेगांव म्यूनिसिपल परिषद के उपाध्यक्ष भी रह चुके थे।