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महाराष्ट्र कैबिनेट विस्तार: टूट रहा विधायकों का सब्र, अब निर्दलीय विधायक आशीष जायसवाल बोले- कोई कैबिनेट विस्तार नहीं, सिर्फ ‘तारीख पे तारीख’

नागपुर: शिवसेना (शिंदे गुट) का समर्थन करने वाले निर्दलीय विधायक आशीष जायसवाल ने एक साल से अधिक समय तक कैबिनेट विस्तार करने में विफल रहने और एनसीपी विधायकों को तुरंत मंत्री बनाए जाने पर राज्य सरकार पर गुस्सा निकाला है.
शनिवार को मीडिया से बातचीत करते हुए रामटेक सीट से विधायक जायसवाल ने कहा कि कोई भी भविष्यवाणी नहीं कर सकता कि कैबिनेट विस्तार कब होगा. जायसवाल एमवीए सरकार के सत्ता में रहने के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत करने वाले पहले विधायक थे.

विधायक जायसवाल ने कहा कि अभी तो यह केवल तारीख पे तारीख है. अब सभी आशावान विधायकों ने अपने चुनाव क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया है, क्योंकि अगले साल होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए बहुत कम समय बचा है. चुनाव से पहले आचार संहिता भी लग जाएगी. राज्य में राजनीतिक घटनाक्रम के अलावा केंद्रीय कैबिनेट में फेरबदल की भी चर्चा है. इसलिए सिर्फ हमारे वरिष्ठ ही इस मुद्दे पर सटीक तारीखें बता सकते हैं.

IPL की तर्ज पर हो सर्वश्रेष्ठ टीम का चयन
यह संकेत देते हुए कि कैबिनेट विस्तार में किसी भी तरह की देरी से जनता में नकारात्मक संदेश जाएगा, विधायक ने कहा कि अब समय आ गया है कि सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार ‘इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की तर्ज पर सर्वश्रेष्ठ टीम का चयन करें, जो नतीजे देगी.’
बता दें कि जायसवाल ने 2019 के चुनावों में भाजपा के मल्लिकार्जुन रेड्डी के लिए सीट छोड़ने के उद्धव ठाकरे के फरमान को नहीं माना और टिकट से इनकार किए जाने के बाद निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा था. बाद में वह शिवसेना में लौट आए और एकनाथ शिंदे के पक्ष में बगावत कर दी.

एडवोकेट जायसवाल ने आगे कहा कि ये तीनों अच्छे प्रशासक हैं और इसलिए उन्हें विधायकों को उनकी क्षमता और प्रदर्शन के आधार पर मंत्री पद देना चाहिए. उन्हें वरिष्ठता को भी ध्यान में रखना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि क्षेत्रीय संतुलन बना रहे. यहां तक कि अन्य समर्थक दलों और निर्दलीय विधायकों को भी समायोजित किया जाना चाहिए.
जब एमवीए सरकार के वित्त मंत्री अजीत पवार धन आवंटित नहीं कर रहे थे तो विधायक जायसवाल ने विरोध की आवाज उठाई थी. उन्होंने कहा कि अब भी सरकार में तीन दल हैं. आगे बढ़ने का रास्ता सभी के बीच सहयोग ही है और यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी विधायक या क्षेत्र के खिलाफ कोई भेदभाव और अन्याय न हो.

नतीजों से अच्छी तरह वाकिफ
जायसवाल ने कहा कि तीनों वरिष्ठों के पास व्यापक अनुभव है और उन्हें समानता सुनिश्चित करनी होगी. अगर वे विफल होते हैं, तो हम फिर से अपनी आवाज उठाएंगे. क्योंकि हम मतदाताओं के प्रति जवाबदेह हैं. वरिष्ठ लोग इसके नतीजों से अच्छी तरह वाकिफ हैं. यह दावा करते हुए कि विदर्भ के छह जिलों में कभी भी शिवसेना के मंत्री नहीं थे,
जायसवाल ने कहा कि 1995 में जब से शिवसेना-भाजपा सरकार सत्ता में है, तब से अन्याय हो रहा है. उन्होंने कहा कि 2014, 2019 और 2022 में भी इन जिलों से किसी भी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया.