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महाराष्ट्र में 2 दिनों में कर्ज से परेशान होकर किसान और खेतिहर मजदूर ने की आत्महत्या, जांच में जुटी पुलिस

औरंगाबाद: देश के सभी चुनावों में कृषि और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार सबसे बड़ा मुद्दा रहता है। सरकारें भी अक्सर अपनी कृषि सुधार योजनाओं का बखान करती रहती हैं लेकिन ये घोषणाएं और योजनाएं अक्सर फाइलों में ही दम तोड़ देती है। इसी कारण से अक्सर किसानों की आत्महत्या की खबरें आती रहती है। इसी प्रकार का एक मामला महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के सिल्लोड तालुका से आया है, जहां ऋण के बोझ तले दबे एक किसान और एक खेतिहर मजदूर ने आत्महत्या कर ली।
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, ये दोनों घटनाएं चार और छह मार्च को जिला मुख्यालय से लगभग 58 किलोमीटर दूर सिल्लोड तालुका के आंधाड़ी गांव की है। 46 वर्षीय भागीनाथ पांडव ने कथित तौर पर शुक्रवार को अपने घर के पास शेड में खुद को फांसी लगा ली। पांडव और उनके परिवार ने दो लाख रुपए का ऋण लिया था लेकिन उनकी तरबूज की फसल से उन्हें अच्छा लाभ नहीं मिल पाया।
इसी तरह 55 वर्षीय जनार्दन तायड़े ने रविवार को पेड़ से लटककर आत्महत्या कर ली। तायड़े के पास अपनी कोई जमीन नहीं थी, वह ठेके पर अन्य लोगों के खेतों में काम करता था। मृतक व्यक्ति के परिवार ने बताया कि तायड़े ने इसलिए आत्महत्या कर ली क्योंकि उन्हें पर्याप्त भुगतान नहीं मिल रहा था।

पुलिस ने दर्ज किया मामला
फ़िलहाल, पुलिस ने आकस्मिक मौत का मामला दर्ज कर लिया है और घटना की जांच की जा रही है। महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्याओं पर अकसर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप लगते रहते हैं लेकिन अब तक कोई भी सरकार इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकाल पाई है।