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महाराष्ट्र सरकार ने प्रवासी मजदूरों के हेल्थ सर्टिफिकेट का आदेश लिया वापस, अब ट्रेन में होगी जांच

अब महाराष्ट्र से गावं जाने वाले प्रवासी मजदूरों को नहीं लेना होगा हेल्थ सर्टिफिकेट

नयी दिल्ली/महाराष्ट्र: पूरे देश में 17 मई तक लागू राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण दूर-दराज फंसे मजदूर अपने-अपने राज्य लौटना चाहते हैं। केंद्र ने लगातार दबाव के बाद ऐसे मजदूरों के लिए एक मई से श्रमिक ट्रेन भी चला दी। लेकिन ट्रेन के लिए जारी गाइडलाइंस ही मजदूरों के लिए मुश्किलों का सबब बन गईं। जैसे महाराष्ट्र सरकार ने गांव जाने वाले मजदूरों के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट की अनिवार्यता की शर्त रखी।इससे भ्रष्टाचार होने लगा। अब महाराष्ट्र सरकार ने यह शर्त वापस ले ली है।
महाराष्ट्र सरकार ने गांव लौटने वाले मजदूरों के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट की अनिवार्यता की शर्त समाप्त कर दी है। राज्य सरकार ने गांव लौटने वाले प्रवासी मजदूरों के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट होना अनिवार्य किया था। इसका फॉर्म पुलिस के पास जमा होता था। आरोप के मुताबिक कई प्राइवेट डॉक्टरों ने पैसे लेकर बिना चेकअप किए ही मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने का धंधा शुरू कर दिया।
जब मिडिया में खबर आई कि डॉक्टरों द्वारा कैसे गलत तरीके से मेडिकल सर्टिफिकेट बनाया जा रहे हैं। एक ही आदमी कई लोगों के सर्टिफिकेट बनवा सकता है और उसके लिए डॉक्टर्स मोटी रकम ले रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस मेडिकल सर्टिफिकेट का कोरोना वायरस से किसी भी तरीके का कोई संबंध नहीं है।