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महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट से कहा- राज्य के लोगों के 700 करोड़ रुपये फर्जीवाड़े से निकाले गए

मुंबई: महाराष्ट्र सरकार ने गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट को यह बताया कि राज्य की छह यूनिवर्सिटी के हजारों नॉन टीचिंग स्टाफ के नाम पर करीब सात करोड़ रुपये फर्जीवाड़े कर निकाले गए।
एडवोकेट जनरल आशुतोष कुंभकोणी ने जस्टिस धर्माधिकारी और जस्टिस आर.आई. चांगला को बताया कि कई नॉन टीचिंग स्टाफ के पोस्ट बढ़ाकर और फर्जीवाड़े से प्रस्ताव की स्वीकृति दिलाकर वेतन निकाले गए। कुंभकोणी ने बताया- जो हमने पाया है वह राज्य के लोगों के साथ धोखा है। ये मामले राज्य की छह यूनिवर्सिटीज में हुए हैं।
हायर एंड टेक्नीकल एजुकेशन डिपार्टमेंट के हलफनामे का मुताबिक, सावित्रीबाई फूले, पुणे यूनिवर्सिटी, डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर मराठवाड़ा यूनिवर्सिटी, शिवाजी यूनिवर्सिटी, कोल्हापुर, जलगांव की नॉर्थ महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी, संत गडगेबाबा यूनिवर्सिटी, अमरावती और गढ़चिरौली की गोंडवाणा यूनिवर्सिटी ने फर्जीवाड़े के तहत इसका फायदा उठाया है।
कुंबकोणी ने बताया कि राज्य सरकार की तरफ से 2014 में नए स्टाफिंग पैटर्न लाने के फैसले के बाद इन यूनिवर्सिटीज की तरफ से कई नॉन टीचिंग स्टाफ के नॉमेनक्लेचर बदलने का प्रस्ताव हायर और टेक्निकल एजुकेशन डिपार्टमेंट में डेस्क ऑफिसर को भेजा गया था। डेस्क ऑफिसर ने इस प्रस्ताव की इस आधार पर स्वीकृति दिलाई कि इससे कोई अतिरिक्त वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा। इसलिए, वित्तीय विभाग से इसकी मंजूरी नहीं ली गई।
एडवोकेट जनरल ने कहा- यूनिवर्सिटीज की तरफ से न सिर्फ नोमेनक्लेचर बदले गए बल्कि उनकी पे स्केल भी बढ़ा दी गई। नॉन टीचिंग स्टाफ और उनकी ड्यूटी में कोई परिवर्तन नहीं हुआ लेकिन उनके वेतन बढ़ा दिए गए। उन्होंने बताया कि मामले यहीं पर नहीं थे और कई कर्मचारियों ने अतिरिक्त पैसों की निकासी की। उन्होंने कहा- जिसके चलते कुल 700 करोड़ रुपये ज्यादा अतिरिक्त रकम दी गई है।