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मुंबई: रिपब्लिक भारत के कंसल्टिंग एडिटर प्रदीप भंडारी को पुलिस हिरासत के बाद छोड़ा गया!

मुंबई: मुंबई पुलिस ने शनिवार को ‘रिपब्लिक भारत’ के कंसल्टिंग एडिटर प्रदीप भंडारी को हिरासत में ले लिया, जबकि एक दिन पहले ही उनको कोर्ट ने अग्रिम जमानत दी थी।
दरअसल, अभिनेत्री कंगना रनौत के कार्यालय में पिछले महीने मुंबई महानगरपालिका की ओर से ध्वस्तीकरण किए जाने के दौरान लोकसेवक के कार्य में व्यवधान डालने के आरोप में प्रदीप भंडारी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। इस पर शुक्रवार को एक सत्र अदालत ने उनको अग्रिम जमानत दी थी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मुंबई पुलिस ने शनिवार को प्रदीप भंडारी को दूसरे दौर की पूछताछ के लिए बुलाया था। आठ घंटे की पूछताछ के बाद मुंबई पुलिस की ओर से उनको हिरासत में ले लिया गया। इस पर भंडारी ने ट्वीट किया है कि उनका फोन जब्त किया जा रहा था क्योंकि पुलिस अधिकारियों ने उन्हें घेर लिया था। सूत्रों का कहना है कि पुलिस ने उन्हें थाने से बाहर जाने पर गिरफ्तार करने की चेतावनी दी है। हालांकि 9 घंटे के बाद उन्हें छोड़ दिया गया।

इस मामले में कोर्ट ने दी थी अग्रिम जमानत
बता दें कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आर एम सदरानी ने प्रदीप भंडारी को अग्रिम जमानत दी थी। इस दौरान अभियोजन पक्ष का कहना था कि जहां ध्वस्तीकरण किया जा रहा था वहां आरोपी ने पैसे देकर 15-20 लोगों को जमा किया था। अभियोजक के अनुसार इन लोगों ने शोर मचाया और पुलिसकर्मियों को ड्यूटी करने से रोका। भंडारी ने अपनी याचिका में कहा था कि इस मामले में उन पर धारा 353 लागू नहीं होती क्योंकि उन्होंने किसी लोक सेवक पर हमला नहीं किया। अदालत ने अपने आदेश में इस बात का संज्ञान लिया कि अभियोजक ने भीड़ के विरुद्ध आरोप लगाया है।

प्राथमिकी दर्ज करने के एक सप्ताह बाद जोड़ी गई धारा 353
अदालत ने कहा कि प्राथमिकी में जो दर्ज है उससे यह उजागर नहीं होता कि किसी लोक सेवक को उसकी ड्यूटी करने से रोकने के लिए उस पर हमला किया गया। अदालत ने यह भी कहा कि प्राथमिकी दर्ज करने के एक सप्ताह बाद उसमें धारा 353 जोड़ी गई। अदालत ने कहा कि इसलिए यह स्पष्ट है कि जब प्राथमिकी दर्ज की गई तब लोक सेवक को यह पता नहीं था कि उसे सार्वजनिक दायित्व का निर्वहन करने से रोका गया। भंडारी की ओर से भीड़ को पैसा दिए जाने के आरोप के संबंध में अदालत ने कहा कि जनता को नारे लगाने के लिए पैसा देना यहां अपराध नहीं है।

फर्जी टीआरपी घोटाले में छठी गिरफ्तारी
मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने शुक्रवार को ‘टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट’ (टीआरपी) घोटाले में छठी गिरफ्तारी की। अधिकारियों ने बताया कि अंधेरी निवासी उमेश मिश्रा को अपराध शाखा की टीम ने विरार इलाके से पकड़ा। उन्होंने बताया कि मिश्रा उन लोगों को कथित तौर पर लोकप्रिय चैनल देखने के लिए रिश्वत देता था जिनके घर पर दर्शक आंकड़ा संग्रह करने के लिए मीटर लगे हुए हैं। उल्लेखनीय है कि कथित टीआरपी घोटाले का खुलासा तब हुआ जब ‘ब्रॉडकॉस्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ (बार्क) ने हंसा रिसर्च ग्रुप के जरिये पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और आरोप लगाया कि विज्ञापन के लालच में कुछ चैनल टीआरपी की संख्या में धोखाधड़ी कर रहे हैं।