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मुंबई: सिंचाई घोटाले में अजीत पवार को Clean Chit, देवेंद्र फड़णवीस ने साधा निशाना

राकांपा अध्यक्ष शरद पवार के साथ अजीत पवार (फाइल फोटो)

मुंबई: महाराष्ट्र में संप्रग सरकार के कार्यकाल में हुए सिंचाई घोटाले के मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने पूर्व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को क्लीन चिट दे दी है। एसीबी की तरफ से मुंबई उच्च न्यायालय को दिए शपथपत्र में कहा गया है कि आरोपित नंबर 7 अजीत पवार के विरुद्ध कोई आपराधिक मामला नहीं बनता। वहीं, करीब एक माह पहले अजीत पवार के साथ ही मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले भाजपा नेता देवेंद्र फड़णवीस ने कहा है कि मंत्रियों को बचाकर अधिकारियों को फंसाने की कोशिश की जा रही है। 19 दिसंबर को मुंबई उच्च न्यायालय में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के महानिदेशक परमवीर सिंह की ओर से विदर्भ सिंचाई घोटाले में शपथपत्र देकर राकांपा नेता अजीत पवार को बेदाग बताया गया है।
महाराष्ट्र में 70 हजार करोड़ का सिंचाई घोटाला 1999 से 2009 के बीच अजीत पवार के सिंचाई मंत्री रहते हुआ था। 2012 में एक सामाजिक संस्था जनमंच की ओर से उच्चन्यायालय की नागपुर खंडपीठ में एक जनहित याचिका दायर कर 70 हजार करोड़ के सिंचाई घोटाले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की थी। यह घोटाला उजागर होने के बाद 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इस मुद्दे को अपने चुनाव अभियान में जोर-शोर से उठाया था। तब भाजपा अध्यक्ष की भूमिका निभा रहे देवेंद्र फड़णवीस ने सत्ता में आने पर अजीत पवार से जेल में चक्की पिसवाने का वायदा किया था। अपनी सरकार आने के बाद मुख्यमंत्री बने फड़णवीस ने ही 12 दिसंबर, 2014 को इस मामले की जांच के आदेश भी दिए थे।
मामला दर्ज होने के बाद एसीबी ने विशेष जांच दल (एसआइटी) बनाकर विदर्भ के नागपुर एवं अमरावती विभाग में जांच शुरू की थी। इस मामले की जांच शुरू होते समय विदर्भ में 38 सिंचाई प्रकल्प शुरू थे। जनहित याचिका दायर करने वाली संस्था जनमंच ने एसीबी को सिंचाई घोटाले से संबंधित तमाम दस्तावेज दिए थे। इसके बावजूद जांच में तेजी न आने पर जनमंच ने उच्च न्यायालय में एक और याचिका दायर की। तब 18 फरवरी, 2016 को एसीबी के महानिदेशक ने एक शपथपत्र दायर कर उच्चन्यायालय को 400 निविदाओं की जांच शुरू होने की जानकारी दी थी। 23 फरवरी, 2016 को एवं उसके बाद एसीबी ने कई निर्माण कंपनियों के विरुद्ध आपराधिक मामले दर्ज किए थे।
महाराष्ट्र गवर्नमेंट रूल्स ऑफ बिजनेस एंड इंस्ट्रक्शन्स के नियम 10(1) के अनुसार किसी भी विभाग के तहत होनेवाले काम के लिए उस विभाग का मंत्री जवाबदेह होता है। जांच के दौरान जल संसाधन विभाग ने मई एवं जून 2019 में मामले से संबंधित तथ्य जांच एजेंसी को सौंपे थे। सितंबर 2019 में अजीत पवार को भी जांच एजेंसी ने 12 सिंचाई परियोजनाओं से संबधित प्रश्नावलियां भेजी थीं। जिसके जवाब अजीत पवार ने दिए थे।
एसीबी के महानिदेशक परमवीर सिंह का कहना है कि जांच अधिकारियों द्वारा 27 नवंबर, 2019 को दिए गए शपथपत्र का मैं समर्थन करता हूं। इसी दौरान अजीत पवार देवेंद्र फड़णवीस की 80 घंटे वाली सरकार में उपमुख्यमंत्री की भूमिका में थे। इसमें सिंचाई घोटाले से जुड़े नौ मामले बंद करने की जानकारी उच्चन्यायालय की नागपुर खंडपीठ को दी गई थी। तब भी राजनीतिक हलकों में ये आरोप उछले थे कि अजीत पवार ने भाजपा के साथ आकर खुद को बेदाग करवा लिया।