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‘मोरबी ब्रिज’ हादसे में मृतक संख्या 135 हुई! पीएम मोदी आज एक बजे लेंगे घटनास्थल का जायजा; मृतकों के परिजनों से करेंगे मुलाकात

गुजरात,(राजेश जायसवाल): गुजरात के ‘मोरबी पुल’ हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 135 हो गयी। अस्पताल में इलाज के दौरान एक और शख्स ने दम तोड़ दिया। इस तरह मरने वालों का आंकड़ा 135 पहुंच गया है। जबकि अब भी कई लोग लापता बताये जा रहे हैं। लापता लोगों की तलाश में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। हादसे में घायल 14 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया हैं, जिनका इलाज जारी है। बताया जा रहा है कि हादसे के वक्त पुल पर 500 से अधिक लोग मौजूद थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज मोरबी का दौरा करने वाले हैं। पीएम मोदी वहां पहुंचकर घटनास्थल का जायजा और हादसे के बारे में पूरी जानकारी लेंगे। इसके बाद घायलों से मिलेंगे। प्रधानमंत्री के गुजरात दौरे का आज तीसरा दिन है। गुजरात में बुधवार को एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है।

पीएम मोदी ने सोमवार देर रात गांधीनगर राजभवन में मोरबी पुल हादसे को लेकर एक समीक्षा बैठक की। बैठक में प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, गृह राज्यमंत्री हर्ष संघवी और आला अधिकारियों से हादसे की जानकारी ली और लोगों की पूरी मदद करने के निर्देश दिए। बैठक में दो नवंबर को प्रदेश में राजकीय शोक रखने का फैसला किया गया।
पीएम मोदी आज मंगलवार को एक बजे मोरबी पीड़ित परिवारों से मिलने पहुँच रहे हैं। इस हादसे के बाद सोमवार को मोदी ने अपना रोड शो भी रद्द कर दिया। वहीं, दूसरी और कांग्रेस ने भी ‘परिवर्तन यात्रा’ एक दिन के लिए स्थगित कर दी। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह आदि नेता सोमवार को मोरबी पीड़ितों से मिलने पहुंचे थे।
गौरतलब हो कि मच्छु नदी पर बने ‘मोरबी पुल’ हादसे को लेकर पुलिस ने गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज करते हुए अब तक 9 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें ओरेवा ग्रुप (अजंता मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड) के दो प्रबंधक शामिल हैं, जिस कंपनी को नगरपालिका द्वारा पुल के रख-रखाव का ठेका दिया गया था। इनके अलावा दो टिकट क्लर्क, पुल मरम्मत कार्य के लिए कंपनी द्वारा लगाए गए दो ठेकेदार, और तीन सुरक्षा गार्ड भी शामिल हैं। जबकि हादसे की जांच SIT ने शुरू कर दी है।

क्या है पूरा मामला?
रविवार (30 अक्टूबर) को गुजरात के मोरबी में मच्छू नदी पर बने केबल ब्रिज के टूट जाने की वजह से यह बड़ा हादसा हुआ है। हादसे में अब तक 134 लोगों की मौत हुई थी। इस बीच, अस्पताल में इलाज के दौरान एक और शख्स ने दम तोड़ दिया। इस तरह मरने वालों का आंकड़ा 135 पहुंच गया है। मरने वालों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। राहत तथा बचाव कार्य में एनडीआरएफ के साथ ही सेना की मदद ली जा रही है। 233 मीटर लंबा यह पुल करीब सौ वर्ष पुराना था। हेल्प लाइन नंबर 02822-243300 जारी किए गए हैं। हादसे के वक्त पुल पर 500 से अधिक लोग मौजूद थे।

गुजरात के गृहमंत्री हर्ष संघवी ने बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन रात भर चला। पुल का प्रबंधन देखने वाले लोगों के खिलाफ धारा 304, 308 और 114 के तहत केस दर्ज कर लिया गया है। मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन कर दिया गया है।
गृहमंत्री ने सोमवार सुबह प्रेस कॉन्फ्रेंस में बतााया कि रातभर सभी ने काम किया। नेवी, एनडीआरएफ, वायुसेना और सेना तेजी से पहुंच गई। पूरी रात (खोज और बचाव कार्यों के लिए) 200 से अधिक लोगों ने काम किया है। उनके मुताबिक, हादसे के समय पुल पर करीब 210 लोग सवार थे।

गुजरात में रविवार शाम को हुए मोरबी पुल हादसे में मारे गए लोगों की पीड़ा को लफ्जों में बयां नहीं किया जा सकता। इस हादसे में राजकोट से भाजपा सांसद मोहनभाई कल्याणजी कुंदरिया के परिवार के 12 सदस्यों की भी मौत हो गई।
सांसद ने अपने एक बयान में कहा कि मैंने दुर्घटना में अपने परिवार के 12 सदस्यों को खो दिया है, जिनमें पांच बच्चे भी शामिल हैं। मैंने परिवार के सदस्यों को खो दिया जो मेरी बहन के परिवार से थे।
सांसद ने कहा कि एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन खोज और बचाव अभियान चला रहे हैं। हादसे में 177 लोगों को बचा लिया गया है और मच्छू नदी में फंसे लोगों के शवों को निकालने के प्रयास जारी हैं और बचाव नौकाएं भी मौके पर हैं। एनडीआरएफ, सेना, एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन की 5 टीमें युद्धस्तर पर तलाशी व बचाव अभियान चला रही हैं।

गुजरात में है पीएम मोदी का तीन दिवसीय दौरा
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के तीन दिनी दौरे पर हैं। सोमवार को सरदार पटेल की जयंती के मौके पर पीएम मोदी केवड़िया पहुंचे थे। यहां अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी भावुक हो गए। उन्होंने कहा, मैं एकता नगर में हूं, मेरा मन मोरबी के पीड़ितों से जुड़ा है। शायद ही जीवन में मैंने बहुत कम ऐसी पीड़ा अनुभव की होगी। एक तरफ करूणा से भरा पीड़ित दिल है तो दूसरी ओर कर्त्तव्य पथ है। जिन लोगों को अपना जीवन गंवाना पड़ा हैं, मैं उनके परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर, 14 नवंबर को होगी सुनवाई
मोरबी हादसे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गयी है। जिस पर 14 नवंबर को सुनवाई होगी। दायर याचिका में जांच शुरू करने के लिए एक सेवानिवृत्त शीर्ष अदालत के न्यायाधीश की देखरेख में एक न्यायिक आयोग को तुरंत नियुक्त करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी हादसे पर जताया दु:ख
गुजरात के मोरबी में हुए हादसे का दर्द पूरी दुनिया में महसूस किया जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी इस दर्दनाक हादसे पर दु:ख जताया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने पुल टूटने की घटना पर सोमवार को संवेदना व्यक्त की। राष्ट्रपति ने लिखा-‘इस मुश्किल घड़ी में हम भारतीय लोगों के साथ खड़े रहेंगे और उनका समर्थन करते रहेंगे’।

जानिए- मोरबी पुल का इतिहास
मोरबी के मच्छू नदी पर बना यह पुल 143 साल पुराना है। ये तत्कालीन इंजीनियरिंग का एक शानदार उदाहरण है। इस पुल का निर्माण मुंबई की इंजीनियरिंग कंपनी ‘रिचर्डसन एंड क्रूड्स’ ने किया था। ये कंपनी साल 1858 में बनायी गई थी। इस पुल को बनाने में उपयोग की गई सामग्री इंग्लैंड से मंगवाई गई थी। तब गुजरात भी बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा हुआ करता था।
साल 2010 में मोरबी नगरपालिका की एक किताब के मुताबिक, साल 1887 में मोरबी में बने इस पुल पर एक साथ सिर्फ 15 लोगों के जाने की ही इजाजत दी गई थी। इस पुल को तत्कालीन राजा वाघाजी ठाकोर ने बनवाया था। इस किताब में ये भी लिखा है कि, जब लोग इस पुल पर चलते थे, तो यह इतना झुक जाता था कि चलने वालों को बहुत सावधानी बरतनी पड़ती थी। एक समय में केवल सीमित संख्या में लोगों को ही पुल पर जाने की अनुमति थी और इसलिए ही एक रुपये का नगरपालिका शुल्क लगाया गया था।
दरबारगढ़ (महल) और नज़रबाग को जोड़ने के लिए 1870 से 1922 तक मोरबी पर शासन करने वाले वाघाजी ठाकोर के शासनकाल के दौरान 1887 में निर्मित, इस पुल की सामग्री इंग्लैंड से आयात की गई थी। नगर निगम के प्रकाशन के मुताबिक, यह पुल 765 फीट लंबा और लगभग चार फीट चौड़ा है। जब विपरीत किनारे पर एक रेलवे कार्यशाला थी, जहाँ पहुंचने के लिए श्रमिकों को 15 रुपये में मासिक पास दिया जाता था। मरम्मत के अभाव में पुल को ज्यादातर बार बंद किया गया है।

कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक, ‘रिचर्डसन एंड क्रूडस’ (1972) लिमिटेड भारी उद्योग मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक अनुसूची-सी सीपीएसई है। यह साल 1858 में स्थापित की गई थी और वर्ष 1972 में संसद के एक अधिनियम से पारित किया गया था। आर एंड सी एक बड़ी इंजीनियरिंग कंपनी है और इस पर 100% सरकार का स्वामित्व है। यह विद्युत क्षेत्र, इस्पात विनिर्माण संयंत्रों, रेलवे, तेल एवं गैस, उर्वरक, चीनी उद्योग, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, जल और सीवेज उपचार संयंत्रों की पारेषण लाइन टावरों के निर्माण और गैल्वनाइजिंग परीक्षण की जरूरतों को पूरा करने वाले विभिन्न प्रक्रिया उपकरणों के निर्माण के व्यवसाय में है। ट्रांसमिशन लाइन टावरों आदि क्षेत्रों में काम करती है।

ताजा खबर यह है कि गुजरात के मोरबी ब्रिज हादसे को लेकर चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। वर्तमान में मोरबी के इस ऐतिहासिक पुल की मरम्मत की जिम्मेदारी स्थानीय नगरपालिका ने घड़ी और बल्ब बनाने वाली ‘अजंता ओरेवा ग्रुप ऑफ कंपनीज’ को दे दी थी। इतना ही नहीं काम पूरा होने के बाद कंपनी ने खुद ही इसे आम लोगों के लिए खोल दिया। वेरिफिकेशन और फिटनेस सर्टिफिकेट तक नहीं लिया गया। अफसर भी सोते रहे। हादसे के बाद सोमवार को पुलिस ने 9 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।