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रक्षा मंत्री बोले- पूर्वी लद्दाख में युद्ध की तैयारियों में सेना की फुर्ती से दुश्मनों को कड़ा संदेश

नयी दिल्ली: चीन ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को बदलने की चाहत में बाहुबल का प्रदर्शन करना चाहा, लेकिन भारतीय सेना की त्वरित प्रतिक्रिया ने उसके मंसूबे पर पानी फेर दिया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन को मुंहतोड़ जवाब देने में भारतीय वायुसेना की तत्परता के लिए उसकी पीठ थपथपाई और चीन का नाम लिए बिना कहा कि अग्रिम ठिकानों पर युद्ध की तैयारियों में सेना ने जो फुर्ती दिखाई, उससे विरोधियों को कड़ा संदेश गया। रक्षा मंत्री ने यह बात ऐसे समय में की है जब कुछ ही दिनों राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप भारत पहुंच रही है और उसे पूर्वी लद्दाख में तैनात किया जा सकता है।
रक्षा मंत्री ने वायुसेना की तारीफ करते हुए पाकिस्तान के बालाकोट में भी उसके साहसिक ऑपरेशन का जिक्र किया। रक्षा मंत्री ने बुधवार को कहा कि बालाकोट में वायुसेना के हमले और मौजूदा युद्धक तैयारियों ने विरोधियों (पाकिस्तान और चीन) को कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने भारतीय वायुसेना के शीर्ष कमांडरों के तीन दिवसीय सम्मेलन को पहले दिन संबोधित करते हुए कहा कि अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए राष्ट्र का संकल्प अडिग है और देश के लोगों को अपनी सशस्त्र सेनाओं की क्षमताओं पर पूरा भरोसा है।

रक्षा मंत्री ने उस ‘पेशेवर अंदाज’ के बारे में भी बात की जिससे वायुसेना ने पिछले साल पाकिस्तान के बालाकोट में हवाई हमला किया था। उन्होंने बीते कुछ महीनों में परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने में वायुसेना की सक्रिय प्रतिक्रिया की सराहना की। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, उन्होंने (राजनाथ ने) कहा कि जिस पेशेवर तरीके से वायुसेना ने बालाकोट में हवाई हमला किया और पूर्वी लद्दाख की मौजूदा स्थिति के मद्देनजर अग्रिम ठिकानों पर वायुसेना के संसाधनों की त्वरित तैनाती की गई उससे विरोधियों को कड़ा संदेश गया। उन्होंने कहा कि अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए राष्ट्र का दृढ़ संकल्प लोगों का अपनी सशस्त्र सेनाओं की क्षमताओं पर पूरा भरोसा होने से अडिग है।

किसी भी चुनौती से निपटने को तैयार रहे एयरफोर्स
राजनाथ सिंह ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करने के लिये जारी प्रयासों का भी उल्लेख किया और वायुसेना से किसी भी चुनौती को संभालने के लिए तैयार रहने को कहा। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने कहा कि वायुसेना अल्पकालिक और रणनीतिक खतरों के मुकाबले के लिये तैयार है और सभी इकाइयां विरोधियों के किसी भी आक्रामक कार्रवाई का मुकाबला करने के लिए ‘समान रूप से तैयार’ हैं। उन्होंने कहा कि बलों की तैनाती और तैयारी सुनिश्चित करने में सभी कमानों की फुर्ती सराहनीय है। उन्होंने अल्पकालिक सूचना पर भी प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने की स्थिति के लिए तैयारी पर जोर देने की जरूरत बताई। रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में टेक्नॉलजी में बदलाव के लिए वायुसेना की भूमिका को भी स्वीकार किया। उन्होंने नैनो टेक्नॉलजी, कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), साइबर और अंतरिक्ष क्षेत्र जैसी उभरती क्षमताओं को भी अपनाने के बारे में बात की।

सम्मेलन में राफेल लड़ाकू विमानों की तैनाती पर होगी बात
मंत्रालय ने कहा कि रक्षा मंत्री ने कमांडरों को आश्वस्त किया कि सशस्त्र बलों की सभी आवश्यकताएं, चाहे वित्तीय हों या किसी अन्य तरह की, पूरी की जाएंगी। सम्मेलन में भारतीय वायुसेना के कमांडर देश की वायु रक्षा प्रणाली की गहन समीक्षा करेंगे जिसमें राफेल लड़ाकू विमानों के पहले जत्थे की लद्दाख क्षेत्र में तैनाती भी शामिल है।

सूत्रों ने कहा कि कमांडरों के सम्मेलन का मुख्य मुद्दा पूर्वी लद्दाख में संपूर्ण स्थिति पर चर्चा और सभी संवेदनशील क्षेत्रों, जिनमें चीन से लगने वाली अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और उत्तराखंड से लगने वाली सीमा भी आती हैं, में वायुसेना की युद्धक तैयारियों को बढ़ाने पर जोर देना है। सूत्रों ने कहा कि कमांडरों की बैठक में खास तौर पर करीब छह राफेल लड़ाकू विमानों के पहले जत्थे की अगले महीने के शुरू में लद्दाख सेक्टर में तैनाती पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। इन लड़ाकू विमानों के 29 जुलाई को भारतीय वायुसेना के युद्धक बेड़े में शामिल होने की उम्मीद है।