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समय की कीमत (सीख देने वाली प्रेरणादायक हिंदी कहानी)

क गांव में एक गरीब आदमी रहता था, उसके घर में उसकी पत्नी और उसकी एक बेटी और एक छोटा बेटा था। उसकी पत्नी दूसरों के घर में काम करके अपने परिवार का खर्च चलाती थी।
उसका पति रामू दिन भर नशे में डूबा रहता था और दूसरों के साथ अपना समय बर्बाद किया करता था। कहीं इधर ताश के पत्ते खेलता दिखता था तो कहीं उधर लोगों के दरवाजे बैठकर गपशप मारा करता था। अपने परिवार का ख्याल उसे बिल्कुल नहीं था। उसके माता-पिता ने उसकी शादी कराकर गलती कर दी थी।
बेचारी उसकी पत्नी दिन रात काम कर-कर अपने बच्चों का पेट पालती थी। यदि उसकी पत्नी एक भी दिन काम पर न जाए तो उसके बच्चे भूखे रह जाते थे। इसीलिए उसकी पत्नी हर दिन दूसरों के वहां काम करने जाया करती थी।
लेकिन रामू को इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता था। उसे बस अपना समय बर्बाद करके हंसी मजाक और पत्ते खेलने में बहुत मजा आता था। शाम को शराब पीकर घर आकर जोर-जोर से अपनी पत्नी को चिल्लाता था। कई बार उसने अपनी पत्नी को मारा भी लेकिन अब उसकी पत्नी करें भी तो क्या, वह तो अपने बच्चों को छोड़कर नहीं जा सकती थी।
रामू को जो कोई भी समझाता था कि रामू कुछ काम धंधा कर पैसे कामाया करो, अपने परिवार का खर्च तो उठाओ, दो बच्चे हैं, तुम्हारी पत्नी है, उनकी देखभाल करो, ऐसे अपना समय क्यों बर्बाद करते हो? रामू उसके ऊपर बिगड़ जाता था और कहता तुम्हें इससे क्या लेना-देना? मैं कुछ भी करूं यह मेरा जीवन है। मैं तुम्हारे घर में खाता हूं क्या?
इसके कारण कोई भी गांव का सदस्य उससे इस बारे में बात ही नहीं करता था। वह सुबह खाकर निकल जाता था और रात में शराब पीकर आता और अपनी बीवी के ऊपर गुस्सा उतरता था, ऐसा ही कुछ दिनों तक चलता रहा। कुछ दिनों बाद संसार में एक ऐसी बीमारी ने जन्म लिया, जो मानव जाति के लिए अत्यधिक खतरनाक थी। चारों तरफ उस बीमारी का कहर था।
आप सब जानते होंगे मैं कोरोना वायरस की बात कर रहीं हूं। जब सरकार द्वारा लॉकडाउन लगा दिया गया था तब चारों तरफ लोगों का एक दूसरे के वहां आना-जाना बंद हो गया था। सारे कार्य, सारी फैक्ट्रियां, सारी गाड़ियां इत्यादि बंद हो गए थे।
अब रामू का परिवार भूखा मरने लगा था। क्योंकि उसकी पत्नी जो रोज कमाने जाती थी, वह अब किसी के घर इसी कारण नहीं जा पाती थी कि कहीं इस बीमारी की वजह मैं न हो जाऊं, लोग उसे अब काम पर बुलाना बंद कर दिए थे। उसके परिवार में अनाज का एक दाना भी नहीं था, ना ही उसके घर में कुछ पैसे थे। अब वह क्या करता, उसका छोटा बेटा भी बीमार पड़ गया।
बच्चे की तबीयत ज्यादा खराब हो गई, तब रामू को समझ आया कि अपने परिवार का ध्यान देना चाहिए। उसने बच्चे को अस्पताल ले जाने को सोचा, परंतु उसके पास पैसे नहीं थे। वह गांव वालों से पैसे उधार मांगने गया। गांव वालों ने कहा पहले कहने पर तो हम लोगों को ही जली कटी सुना देते थे, अब इस लॉकडाउन में हमारे पास कहां से पैसा आए जो मैं तुम्हें दूँ, यही कहकर सब उसे लौटा देते थे।
रामू बहुत परेशान था। अब करें भी तो क्या करें? वह चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता था। पूरा दिन बीत गया, समय पर इलाज न मिलने के कारण उसके बेटे की तबीयत और भी ज्यादा खराब होते चली हो गई। तभी किसी तरह उसकी पत्नी, जहां काम करती थी, वहां से कुछ पैसे जुटाकर लाई और अब रामू अपने बच्चे को लेकर गांव के बाहर एक अस्पताल में पहुंचा। रामू दौड़ता हुआ डॉक्टर के पास गया, उसने कहा डॉक्टर साहेब मेरे बच्चे को बचा लीजिए। डॉक्टर साहेब ने सारे इंस्ट्रूमेंट लगाकर चेक किया तब तक उसका बेटा मर चुका था।
डॉक्टर साहब ने यह बात रामू से बताई, यदि तुम अपने बच्चे को 10-15 घंटे पहले ले आते तो मैं तुम्हारे बच्चे को बचा लेता। मुझे बहुत दुःख हो रहा है कि मैं तुम्हारे बच्चे को बचा नहीं सका।
यह सुनकर रामू के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई, वह जोरजोर से रोने लगा। और कहने लगा यह सब मेरी गलती है, मैंने जीवन में कुछ नहीं किया। सिर्फ अपने समय को बर्बाद किया। यदि आज मेरे पास पैसे होते तो मैं अपने बेटे को हॉस्पिटल जल्दी ला पाता और मेरा बेटा बच जाता। मैंने अपने जीवन में समय को बहुत बर्बाद किया है। परन्तु आज बेटे को खोने के बाद, मुझे समय की अहमियत पता चल गयी है।
तो दोस्तों, हमें इस कहानी से यह सीख मिलती है कि हमें अपने समय को बर्बाद नहीं, बल्कि उसका सदुपयोग करना चाहिए। तभी हमें जीवन मे सफलता मिल सकती है। इस कहानी में अगर रामू पहले से कोई काम करता होता तो उसके पास पैसे होते और समय पर अपने बेटे का इलाज करा पाता, जिससे उसका बेटा आज जिंदा होता।