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महाराष्ट्र: मातोश्री के दरवाजे हमारे लिए बंद हो चुके हैं: फडणवीस

मुंबई: शिवसेना के साथ करीब 5 वर्ष सरकार चला चुके भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस का कहना है कि अब शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के निवास मातोश्री के दरवाजे उनके लिए बंद हो चुके हैं।
नांदेड में फडणवीस ने यह बात पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कही। पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस दो दिन पहले ही मुंबई में राकांपा अध्यक्ष शरद पवार के घर जाकर उनसे मिले थे। फिर वह भाजपा छोड़कर शरद पवार की पार्टी राकांपा में जा चुके एकनाथ खडसे से भी जलगांव स्थित उनके घर जाकर मिले थे।
पत्रकारों ने इन्हीं मुलाकातों का संदर्भ लेते हुए फडणवीस से सवाल किया कि क्या वे मातोश्री जाकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से भी मिलेंगे? जिसके जवाब में फडणवीस ने कहा कि शिवसेना नेतृत्व ने उन्हें पीठ दिखाई है, मैंने नहीं। उन्होंने कहा कि पवार एवं एकनाथ खडसे से हुई मुलाकातों का संदर्भ अलग था। जहां तक मातोश्री का सवाल है, वहां हमने जाना बंद नहीं किया, बल्कि वहां के दरवाजे हमारे लिए बंद हो चुके हैं।
बता दें कि 2019 का विधानसभा चुनाव भाजपा के साथ लड़ने के बाद अपना मुख्यमंत्री बनाने के मुद्दे पर शिवसेना ने भाजपा से नाता तोड़कर कांग्रेस एवं राकांपा के साथ सरकार बना ली थी।
फडणवीस ने नांदेड के वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण द्वारा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की तारीफ किए जाने पर कहा कि हमें खुशी है कि अशोक चव्हाण ने हमारे नेता की तारीफ की। लेकिन उन्हें सिर्फ गडकरी की तारीफ ही नहीं करनी चाहिए, बल्कि उनसे कुछ सीखना भी चाहिए, ताकि लोग आपकी भी तारीफ करें।
फिलहाल, अशोक चव्हाण शिवसेनानीत महाविकास आघाड़ी सरकार में सार्वजनिक निर्माण मंत्री हैं। फडणवीस ने आज ही औरंगाबाद में कहा कि राज्य सरकार फसल बीमा का पैसा किसानों को न दिलवा पाने पर अपनी खामियां छुपाने के लिए केंद्र सरकार पर आरोप लगा रही है। उन्होंने बताया कि उनके कार्यकाल में सिर्फ 576 करोड़ रुपयों के प्रीमियम पर बीमा कंपनियों ने किसानों को 4000 करोड़ रुपयों का क्लेम दिया था। जबकि महाविकास आघाड़ी सरकार में 5,800 करोड़ रुपयों का प्रीमियम जमाकर बीमा कंपनियों ने किसानों को सिर्फ 1000 करोड़ रुपयों का क्लेम दिया है। फडणवीस के अनुसार, बीमा कंपनियों की नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार को होता है। महाविकास आघाड़ी सरकार ने बीमा कंपनियों की नियुक्त की निविदा निकालने में देरी की, जिसके कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।