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74वां स्वतंत्रता दिवस: लाल किले के प्राचीर से पीएम मोदी के भाषण की ये 10 बड़ी बातें…

नयी दिल्ली: भारत आज अपना 74वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुबह सात बजकर 18 मिनट पर लाल किले के प्राचीर से ध्वजारोहण किया. इससे पहले प्रधानमंत्री राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने राजघाट पहुंचे थे.
प्रधानमंत्री ने तिरंगा फहराने के बाद राष्ट्र को संबोधित किया- अपने डेढ़ घंटे के संबोधन की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों को 74वें स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी. इससे पहले उन्होंने ट्वीट करके भी देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामना दी थी.

पीएम मोदी के भाषण की 10 ख़ास बातें…
भारत एक बार ठान लेता है तो करके रहता है. हमारे युवाओं और महिलाओं में अप्रतिम क्षमता है. हम आत्मविश्वास से भरा भारत चाहते हैं. हम आत्मनिर्भर भारत चाहते हैं. हमारे लिए विश्व एक परिवार है. आर्थिक विकास हो लेकिन मानवता के लिए जगह होनी चाहिए. आज दुनिया जुड़ी हुई है इसलिए समय की मांग है कि विश्व अर्थव्यवस्था में भारत का योगदान बढ़ना चाहिए. अगर भारत का योगदान बढ़ाना है तो भारत को आत्मनिर्भर होना होगा. हमारे देश में अथाह प्राकृतिक संपदा है. हमारे पास क्या नहीं है. हम दुनिया को कब तक कच्चा माल भेजते रहेंगे. हम कच्चा माल भेजते हैं और फिर उससे बनी चीज़ें ख़रीदते हैं. ये खेल कब तक चलेगा?

मेक इन इंडिया के साथ-साथ मेक फ़ॉर वर्ल्ड
भारत को आधुनिकता की तरफ़, तेज़ गति से ले जाने के लिए, देश के कुल मिलाकर इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट को एक नई दिशा देने की ज़रूरत है. ये ज़रूरत पूरी होगी- नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन प्रोजेक्ट से. इस पर देश 100 लाख करोड़ रुपए से ज़्यादा खर्च करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. अलग-अलग सेक्टर्स के लगभग 7 हज़ार प्रोजेक्ट्स की पहचान भी की जा चुकी है. ये एक तरह से इंफ्रास्ट्रक्चर में एक नई क्रांति की तरह होगा.

आत्मनिर्भर कृषि, आत्मनिर्भर किसान, आत्मनिर्भर भारत
देश के किसानों को आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर देने के लिए कुछ दिन पहले ही एक लाख करोड़ रुपए का ‘एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड’ बनाया गया है. इसी लाल क़िले से पिछले वर्ष मैंने ‘जल जीवन मिशन’ का ऐलान किया था. आज इस मिशन के तहत अब हर रोज एक लाख से ज़्यादा घरों को पानी के कनेक्शन से जोड़ने में सफलता मिल रही है. साल 2014 से पहले देश की सिर्फ़ पाँच दर्जन पंचायतें ऑप्टिकल फाइबर से जुड़ी थीं. बीते पांच साल में देश में डेढ़ लाख ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा गया है. आने वाले 1000 दिन में देश के हर गांव को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा जाएगा.

महिलाओं ने देश का नाम रोशन किया
भारत में महिलाशक्ति को जब-जब भी अवसर मिले, उन्होंने देश का नाम रोशन किया, देश को मज़बूती दी है. आज भारत में महिलाएं अंडरग्राउंड कोयला खदानों में काम कर रही हैं तो लड़ाकू विमानों से आसमान की बुलंदियों को भी छू रही हैं. देश के जो 40 करोड़ जनधन खाते खुले हैं, उसमें से लगभग 22 करोड़ खाते महिलाओं के ही हैं. कोरोना के समय में अप्रैल-मई-जून, इन तीन महीनों में महिलाओं के खातों में क़रीब-क़रीब 30 हजार करोड़ रुपए सीधे ट्रांसफर किए गए हैं.

कोरोना की तीन वैक्सीन बना रहा है भारत
जब कोरोना शुरू हुआ था तब हमारे देश में कोरोना टेस्टिंग के लिए सिर्फ़ एक लैब थी.आज देश में 1,400 से ज़्यादा लैब हैं. आज भारत में कोराना की एक नहीं, दो नहीं, तीन-तीन वैक्सीन इस समय टेस्टिंग के अलग-अलग चरण में हैं. जैसे ही वैज्ञानिकों से हरी झंडी मिलेगी, देश की तैयारी उन वैक्सीन की बड़े पैमाने पर उत्पादन की है.

नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन
देश में एक और बहुत बड़ा अभियान शुरू होने जा रहा है. ये है नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन. नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन, भारत के हेल्थ सेक्टर में नई क्रांति लेकर आएगा. इसके तहत सभी देशवासियों को हेल्थ आईडी दी जाएगी. हर टेस्ट, हर बीमारी, आपको किस डॉक्टर ने कौन सी दवा दी, कब दी, आपकी रिपोर्ट्स क्या थीं, ये सारी जानकारी इसी एक हेल्थ में समाहित होगी.

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए महत्वपूर्ण वर्ष
ये एक साल जम्मू-कश्मीर की एक नई विकास यात्रा का साल है. ये एक साल जम्मू कश्मीर में महिलाओं, दलितों को मिले अधिकारों का साल है. ये जम्मू-कश्मीर में शरणार्थियों के गरिमापूर्ण जीवन का भी एक साल है. बीते वर्ष लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाकर, वहां के लोगों की बरसों पुरानी मांग को पूरा किया गया है. हिमालय की ऊंचाइयों में बसा लद्दाख आज विकास की नई ऊंचाइयों को छूने के लिए आगे बढ़ रहा है.

सीमा मिलने वाले देश ही पड़ोसी नहीं बल्कि दिल मिलने वाले देश भी भारत के पड़ोसी
हमारे पड़ोसी चाहे ज़मीन से जुड़े हों या समंदर से. हम उन सभी पड़ोसी देशों को जोड़ रहे हैं. हम अपने पड़ोसी देशों के साथ आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जुड़ाव को और गहरा कर रहे हैं. दक्षिण एशिया में दुनिया की एक चौथाई आबादी रहती है. दक्षिण एशिया के नेताओं को इस विशाल आबादी के विकास में साथ मिलकर काम करने की ज़रूरत है. इस पूरे इलाक़े में जितनी शांति होगी उतनी ही यह मानवता के हित में होगा. आज सिर्फ़ पड़ोसी वही नहीं हैं जिनसे हमारी भौगोलिक सीमाएं मिलती हैं बल्कि वो भी हैं जिनसे दिल मिलता है. बीते कुछ समय में भारत ने अपने संबंधों को और मज़बूत किया है. पश्चिम एशिया से हमारे संबंध और गहरे हुए हैं. इन देशों के साथ ऊर्जा क्षेत्र में भागीदारी बहुत अहम है.

भारत की संप्रभुता का सम्मान हमारे लिए सर्वोच्च
पीएम मोदी ने चीन का नाम लिए बिना साधा निशाना. कहा, ‘देश के लिए हमारे वीर जवान क्या कर सकते हैं, दुनिया ने ये लद्दाख में देख लिया है.’ LOC से लेकर LAC तक, देश की संप्रभुता पर जिस किसी ने आँख उठाई है, देश ने, देश की सेना ने उसका उसी भाषा में जवाब दिया है. भारत के जितने प्रयास शांति और सौहार्द के लिए हैं, उतनी ही प्रतिबद्धता अपनी सुरक्षा के लिए, अपनी सेना को मजबूत करने की है. भारत अब रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए भी पूरी क्षमता से जुट गया है.

भारत को नई नीति और नई रीति के साथ ही आगे बढ़ना होगा
आज भारत ने असाधारण समय में असंभव को संभव किया है. इसी इच्छा शक्ति के साथ प्रत्येक भारतीय को आगे बढ़ना है. वर्ष 2022, हमारी आजादी के 75 वर्ष का पर्व, अब बस आ ही गया है. 21वीं सदी के इस दशक में अब भारत को नई नीति और नई रीति के साथ ही आगे बढ़ना होगा. अब साधारण से काम नहीं चलेगा.

अपने भाषणों के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी ड्रेस के लिए भी जाने जाते हैं. मोदी अलग-अलग राज्यों में अपनी यात्रा के दौरान भी वहां के स्थानीय परिधान पहनते हैं. स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर उनके भाषणों के साथ ही उनका पारंपरिक परिधान भी हर बार चर्चा का विषय रहता है. 74वें स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी एक अलग अंदाज में नजर आए. इस बार उन्होंने केसरिया व पीले रंग का साफा पहना रखा था.