उत्तर प्रदेशदिल्लीब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई शहरशहर और राज्य …अब कोरोना के ठीक हुए मरीजों से होगा ‘कोरोना’ का इलाज! 24th April 2020 networkmahanagar 🔊 Listen to this नयी दिल्ली: कोरोना वायरस के खिलाफ जारी लड़ाई में भारत को बड़ी कामयाबी मिलती दिखाई दे रही है। दिल्ली के अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी (Plasma Therapy) का ट्रायल सफल रहा है। हालांकि ये सिर्फ शुरुआती सफलता है लेकिन अच्छी बात ये है कि जिन-जिन मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल किया गया, उनमें से ज्यादातर मरीजों की तबीयत में तेजी से सुधार हुआ है।कोरोना का इलाज ढूंढने में जुटी पूरी दुनिया के सामने भारत की ये उपलब्धि एक बड़ा कदम मानी जा सकती है। हालांकि कोरोना संक्रमित मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल चीन, अमेरिका और साउथ कोरिया में पहले से हो रहा है लेकिन भारत में अपने पहले ही ट्रायल में प्लाज्मा थेरेपी से मरीज का पूरी तरह कोरोना मुक्त हो जाना, इस संकटकाल में भारत की बड़ी जीत कही जा सकती है। कोरोना संक्रमित मरीज़ों पर ये ट्रायल राजधानी दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में किया गया था। जहां चार मरीजों को ठीक हो चुके कोरोना संक्रमितों के खून से लिया प्लाज्मा चढ़ाया गया जिसके बाद उनकी हालत में सुधार भी देखने को मिला।LNJP अस्पताल एमडी डॉ. जेसी पस्सी का कहना है ‘डोनर के लिए हमने उन मरीजों से बात की थी, जो मरीज हमारे अस्पताल से रिकवर हो कर गए थे। कुछ मरीज थोड़े से हिचकिचा रहे थे। उनके घर वाले उनसे कह रहे थे कि अभी तो ठीक हो कर आए हो, फिर खून देने की क्या जरूरत है, लेकिन कुछ मरीजों को हमने तैयार कर लिया।’ जानें- क्या है प्लाज्मा ट्रीटमेंट?प्लाज्मा थेरेपी यानी खून से प्लाज्मा निकालकर दूसरे बीमार व्यक्ति में डाल देना। ये मेडिकल साइंस की बेहद बेसिक तकनीक है, जिसका इस्तेमाल दुनियाभर में करीब 100 वर्षों से हो रहा है। ठीक हो चुके कोरोना मरीज के खून से प्लाज्मा निकालकर दूसरे बीमार व्यक्ति में डाल देते हैं। इससे मरीज के खून में वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बन जाते हैं। ये एंटीबॉडी वायरस से लड़कर उन्हें मार देते हैं या कमजोर कर देते हैं। ये एंटीबॉडी ज्यादातर खून के प्लाज्मा में रहते हैं। इस तकनीक में जरूरी ये है कि ठीक हुए व्यक्ति के खून से प्लाज्मा निकालकर स्टोर कर लिया जाए। फिर इसे दूसरे मरीज को दिया जाए। ये प्लाज्मा किसी मरीज के ठीक होने के 2 हफ्ते बाद ही लिया जा सकता है। कोरोना के खिलाफ ‘रामबाण’ इलाज है प्लाज्माएक व्यक्ति से औसतन 400 से 500 मिलीलीटर प्लाज्मा लेना मुमकिन है। प्लाज्मा थेरेपी से गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों का इलाज किया जाता है। इस थेरेपी से 48 से 72 घंटों में मरीज की हालत में सुधार आने लगता है। SARS, MERS और H1N1 में भी इसका इस्तेमाल हो चुका है।प्लाज्मा थेरेपी का फायदा ये है कि मरीज बिना किसी वैक्सीन के ही बीमारी से लड़ने की क्षमता विकसित कर लेता है। कई मामलों में इससे फायदा होता देखा गया है। कोरोना के मरीजों में भी ये संजीवनी की तरह असर दिखा रहा है। Post Views: 190