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अर्णब गोस्वामी को SC ने दी गिरफ़्तारी से तीन हफ़्ते की राहत

नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ़ अर्णब गोस्वामी को तीन हफ़्तों के लिए गिरफ़्तारी से अंतरिम राहत दे दी है। अर्णब गोस्वामी के ख़िलाफ़ कई राज्यों में एफ़आईआर दर्ज हुई थी।
ये एफ़आईआर पालघर में दो साधुओं और एक ड्राइवर की हुई लिंचिंग मामले पर अर्णब के टीवी शो में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के ख़िलाफ़ ‘आपत्तिजनक भाषा’ को लेकर हुई थी। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की बेंच ने अर्णब की याचिका पर वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिए सुनवाई हुई।
अर्णब गोस्वामी ने देश के कई राज्यों में दर्ज हुई एफ़आईआर निरस्त करने की मांग की थी। अर्णब गोस्वामी की तरफ़ से अदालत में सीनियर वकील मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ भटनागर ने दलील दी।
अर्णब गोस्वामी की तरफ़ दलील देते हुए मुकुल रोहतगी ने कहा कि उनके क्लाइंट के ख़िलाफ़ जो शिकायतें दर्ज करावाई गई हैं उनका कोई आधार नहीं है। रोहतगी ने कहा कि उनके ख़िलाफ़ दर्ज कराई गई एफ़आईआर प्रेस की स्वतंत्रता को दबाने के लिए है। रोहतगी ने कहा, टीवी पर सियासी बहसें होंगी सवाल पूछे जाएंगे।
मुकुल रोहतगी की दलीलों का जवाब देते हुए सीनियर वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि अभिव्यक्ति और प्रेस की स्वतंत्रता के नाम पर आप सांप्रदायिक नफ़रत नहीं फैला सकते हैं।

कपिल सिब्बल ने कहा, अगर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने एफ़आईआर दर्ज कराई है तो इसमें क्या समस्या है? क्या गोस्वामी स्पेशल हैं कि उनसे कोई सवाल नहीं होगा? क्या एफ़आईआर दर्ज नहीं होनी चाहिए? कांग्रेस नेता राहुल गांधी मानहानि के मुक़दमे में अदालत में पेश हो चुके हैं। यहां किसी को बचाने का क्या मतलब है?
बता दें कि अर्णब गोस्वामी के ख़िलाफ़ छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना, पंजाब और पश्चिम बंगाल में एफ़आईआर दर्ज हुई है। वह तीन हफ्ते में अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल कर सकते हैं। न्यायालय ने अर्णब गोस्वामी के खिलाफ एक एफआईआर को छोड़कर सभी को निरस्त कर दिया है। यह एफआईआर नागपुर में दायर की गई थी और उसे अब मुंबई स्थानांतरित कर दिया गया है। शीर्ष अदालत ने मुंबई के पुलिस आयुक्त को निर्देश दिए हैं कि वह अर्णब गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी को सुरक्षा प्रदान करें।

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि उनके खिलाफ दो हफ्ते तक कोई भी सख्त कार्रवाई नहीं की जाएगी। पीठ ने याचिकाकर्ता को जांच में सहयोग करने का आदेश दिया है।