दिल्लीब्रेकिंग न्यूज़राजनीतिशहर और राज्य सत्ता के नशे में चूर सरकार, नहीं सुन रही करोड़ों किसानों की आवाज: कांग्रेस 30th November 2020 networkmahanagar 🔊 Listen to this नयी दिल्ली: विपक्षी कांग्रेस ने रविवार को सरकार पर सत्ता के नशे में चूर रहने और किसानों की आवाज नहीं सुनने का आरोप लगाया। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा, सरकार सत्ता के नशे में चूर है। केंद्रीय कृषि मंत्री और गृहमंत्री कहते हैं कि 3 दिसंबर से पहले किसानों से कोई बात नहीं होगी। इस कड़ाके की ठंड में दोनों मंत्रियों के पास पांच दिनों तक किसानों से मुलाकात करने का समय नहीं है।कांग्रेस नेता ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी को खुद किसानों के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत करनी चाहिए। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को सार्वजनिक रूप से किसानों को आतंकवादी कहने और उनके खिलाफ फर्जी मामले दर्ज करने के लिए माफी मांगनी चाहिए।उन्होंने कहा, मोदी सरकार ने एक और झूठ बोला था कि किसान अपने फसलों को दूसरे राज्यों में बेचने में भी सक्षम होंगे। भारत में जहां 86 प्रतिशत से ज्यादा किसानों के पास 5 एकड़ से कम जमीन है। इनमें से 80 प्रतिशत किसानों के पास केवल 2 एकड़ जमीन है। अगर उनके पास अपने जिले से बाहर कृषि उत्पादों को बेचने की क्षमता नहीं है तो वे अपने उत्पादों को अन्य राज्य में कैसे बेचेंगे।मोदी ने हालांकि रविवार को कहा कि वह मेहनतकश किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं और केंद्र सरकार की ओर से लाए गए नए किसान कानून इसी दिशा में उठाया गया एक कदम है। किसान आंदोलन सोमवार को 5वें दिन जारी, सिंघू बॉर्डर पर डटे हुए हैं प्रदर्शनकारीकेंद्र सरकार द्वारा लागू नये कृषि कानून के विरोध में किसानों का आंदोलन सोमवार को पांचवें दिन जारी है। देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डटे प्रदर्शनकारी किसान नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। किसान नेताओं ने बताया कि विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों की कोर कमेटी की थोड़ी देर में बैठक होने वाली है जिसमें आगे की रणनीति तय होगी। उधर, प्रदर्शनकारी किसानों के बुराड़ी ग्राउंड आने के अगले ही दिन उनसे बातचीत करने के सरकार के प्रस्ताव को किसान नेताओं द्वारा ठुकरा देने के बाद रविवार को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के आवास पर इस सिलसिले में एक बैठक हुई जिसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी मौजूद थे।बता दें कि गृहमंत्री ने शनिवार को किसानों से दिल्ली के बुराड़ी ग्राउंड आकर प्रदर्शन करने की अपील करते हुए उन्हें आश्वासन दिया था कि बुराड़ी ग्राउंड शिफ्ट होने के दूसरे दिन ही भारत सरकार उनके साथ चर्चा के लिए तैयार है। मगर, किसानों ने उनकी इस अपील को शर्तिया प्रस्ताव बताते हुए इसे मानने से इंकार कर दिया और दिल्ली की सीमाओं पर ही डटे रहने का फैसला लिया। किसानों का यह आंदोलन अब पांचवें दिन में प्रवेश कर गया है और इसका दायरा धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। किसानों के धरना-प्रदर्शन के चलते उत्तर भारत का मुख्य मार्ग जीटी रोड पर यातायात बाधित है। किसान नेताओं ने दिल्ली में प्रवेश करने वाले अन्य मार्गों को भी बंद करने का एलान किया है।भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरेंद्र सिंह लाखोवाल ने आईएएनएस से कहा कि सभी किसान संगठनों ने फैसला लिया है कि वे यहीं (सिंघू बोर्डर) बैठे रहेंगे और आने वाले दिनों में दिल्ली की ओर जाने वाली अन्य सड़कों को भी जाम करेंगे।मोदी सरकार द्वारा लागू तीन नये कृषि कानूनों में कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून 2020, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन व कृषि सेवा पर करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 शामिल हैं। प्रदर्शनकारी किसान नेताओं का कहना है कि इन तीनों कानूनों से किसानों को कोई फायदा नहीं है, बल्कि इनका फायदा कॉरपोरेट को होगा, इसलिए वे इन्हें वापस लेने की मांग कर रहे हैं। किसानों ने ठुकराया बातचीत का प्रस्ताव, दिल्ली जाम करने की दी चेतावनी, नड्डा के घर देर रात हुई बैठकनए कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों ने अब दिल्ली को ब्लॉक करने का ऐलान कर दिया है। नये कृषि कानूनों के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर पिछले चार दिन से प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने प्रदर्शनकारियों के उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी स्थित मैदान में जाने के बाद बातचीत शुरू करने के केंद्र के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और कहा कि वे कोई सशर्त बातचीत स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि वे राष्ट्रीय राजधानी में आने वाले सभी पांच प्रवेश मार्गो को बंद कर देंगे। बता दें कि रविवार तक सिर्फ सिंघु बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर ब्लॉक थे, मगर अब गुरुग्राम, गाजियाबाद और फरीदाबाद से राजधानी को जोड़ने वाले हाईवे को किसानों द्वारा ब्लॉक किया जाएगा। किसानों ने प्रदर्शन के लिए बुराड़ी जाने से मना कर दिया तो देर रात भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर पर उच्चस्तरीय बैठक हुई जो करीब 2 घंटे तक चली। गृहमंत्री शाह की पेशकश मंजूर नहींगृह मंत्रालय ने भी किसान संगठनों को आश्वासन दिया कि केंद्रीय मंत्रियों का एक उच्चस्तरीय दल प्रदर्शनकारियों के बुराड़ी मैदान पहुंचने के बाद उनसे बातचीत करेगा। किसानों के 30 से अधिक संगठनों की रविवार को हुई बैठक में किसानों के बुराड़ी मैदान पहुंचने पर तीन दिसंबर की तय तारीख से पहले वार्ता की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की पेशकश पर बातचीत की गयी, लेकिन हजारों प्रदर्शनकारियों ने इस प्रस्ताव को स्वीकारने से मना कर दिया और सर्दी में एक और रात सिंघु तथा टिकरी बार्डरों पर बिताने की बात कही। उनके प्रतिनिधियों ने कहा कि उन्हें शाह की यह शर्त स्वीकार नहीं है कि वे प्रदर्शन स्थल बदल दें। उन्होंने दावा किया कि बुराड़ी मैदान एक ‘खुली जेल’ है। विपक्षी पार्टियों ने भी इस बात पर जोर दिया कि सरकार को किसानों के साथ बिना शर्त बातचीत शुरू करनी चाहिए। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) की पंजाब इकाई के अध्यक्ष सुरजीत एस फूल ने कहा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा रखी गई शर्त हमें स्वीकार नहीं है। हम कोई सशर्त बातचीत नहीं करेंगे। हम सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हैं। घेराव खत्म नहीं होगा। हम दिल्ली में प्रवेश के सभी पांच रास्तों को बंद करेंगे। उन्होंने कहा, बातचीत के लिए शर्त किसानों का अपमान है। हम कभी बुराड़ी नहीं जाएंगे। वह पार्क नहीं है बल्कि खुली जेल है। निरंकारी समागम मैदान में जारी है प्रदर्शनउधर, शनिवार को बुराड़ी में निरंकारी समागम मैदान पहुंचे किसानों ने वहां अपना प्रदर्शन जारी रखा। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने शनिवार को 32 किसान संगठनों को भेजे गए पत्र में ठंड के मौसम और कोविड-19 की परिस्थितियों का हवाला देते हुए कहा कि किसानों को बुराड़ी मैदान जाना चाहिए, जहां उनके लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। भल्ला ने कहा, ‘मैं आपसे निवेदन करता हूं कि सभी किसानों को लेकर आप दिल्ली की सीमा से बुराड़ी मैदान पहुंचें, जहां उनके लिए सभी सुविधाओं का प्रबंध किया गया है और वे शांतिपूर्वक अपना विरोध-प्रदर्शन करें तथा पुलिस इसकी अनुमति देगी। उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं पर विस्तृत चर्चा के लिए केंद्र सरकार ने किसानों के प्रतिनिधिमंडल को तीन दिसंबर को आमंत्रित किया है। गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों से बुराड़ी मैदान में आकर प्रदर्शन करने की अपील की है और कहा कि वे जैसे ही निर्धारित स्थान पर जाएंगे, उसी समय केंद्र वार्ता को तैयार है। अमित शाह ने कहा कि किसानों के प्रतिनिधिमंडल को चर्चा के लिए तीन दिसंबर को आमंत्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि कुछ किसान संगठनों ने तत्काल वार्ता करने की मांग की है और केंद्र बुराड़ी के मैदान में किसानों के स्थानांतरित होते ही वार्ता को तैयार है। मन की बात में पीएम मोदी ने क्या कहाप्रधानमंत्री ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में रविवार को कहा, ‘भारत में खेती और उससे जुड़ी चीजों के साथ नए आयाम जुड़ रहे हैं। बीते दिनों हुए कृषि सुधारों ने किसानों के लिए नई संभावनाओं के द्वार भी खोले हैं। उन्होंने कहा, ‘किसानों की वर्षों से कुछ मांगें थीं और उन्हें पूरा करने के लिए हर राजनीतिक दल ने कभी न कभी वादा किया था, लेकिन वे कभी पूरी नहीं हुईं। प्रधानमंत्री ने कहा, संसद ने काफी विचार-विमर्श के बाद कृषि सुधारों को कानूनी स्वरूप दिया। इन सुधारों से न सिर्फ किसानों के अनेक बंधन समाप्त हुए हैं, बल्कि उन्हें नए अधिकार और अवसर भी मिले हैं। इन अधिकारों ने बहुत कम समय में किसानों की परेशानियों को कम करना शुरू कर दिया है। सीमा पर डटे हैं किसानहालांकि किसान नेताओं ने दावा किया कि हरियाणा और पंजाब से और अधिक प्रदर्शनकारी इसमें शामिल होंगे। हरियाणा के दादरी से निर्दलीय विधायक और ‘सांगवान खाप के प्रमुख सोमबीर सांगवान ने कहा कि हरियाणा की अनेक खापों ने किसानों के प्रदर्शन को समर्थन दिया है और वे राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च करेंगे। भारी पुलिस बल की मौजूदगी के बीच किसान दिल्ली की सीमाओं पर सरकार के खिलाफ नारे लगा कर अपना विरोध जता रहे हैं। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (डीएसजीएमसी) प्रदर्शन कर रहे किसानों को भोजन मुहैया करा रही है। नड्डा ने अमित शाह-राजनाथ के साथ की बैठकइधर, किसान आंदोलन को लेकर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रविवार रात गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ उच्च स्तरीय बैठक की है। किसान आंदोलनकारियों के अड़ियल रुख को देखते हुए सभी संभावित उपायों पर बैठक में चर्चा की गई है। सरकार इस मामले का हल निकालने के लिए सोमवार को महत्वपूर्ण पहल कर सकती है। दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान आंदोलनकारियों द्वारा शनिवार को की गई गृह मंत्री अमित शाह की अपील को ठुकरा दिए जाने के बाद हालात बिगड़ने की आशंका को देखते हुए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों ने सभी पहलुओं पर व्यापक विचार विमर्श किया है। आज फिर पहल की संभावनासूत्रों के अनुसार, किसानों के आंदोलन को जल्द समाप्त करने के लिए सरकार सोमवार को नए सिरे से पहल कर सकती है। सरकार आंदोलनकारियों से बिना शर्त चर्चा के लिए तैयार है। उसकी कोशिश है कि किसान आंदोलनकारी जितना जल्दी हो सके हाईवे से हट जाएं ताकि आवाजाही हो सके सुनिश्चित हो सके। सोमवार को दिल्ली और आसपास बहुत सारी शादियों को देखते हुए भी दिक्कत है बढ़ने की आशंका है। इस दौरान कोई बड़ी समस्या खड़ी ना हो, इसके लिए भी कानून व्यवस्था को दुरुस्त किया जा रहा है। Post Views: 225