उत्तर प्रदेशब्रेकिंग न्यूज़ ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे पूरा, हिंदू पक्ष के वकील का दावा-कुएं में मिला शिवलिंग? 16th May 2022 Network Mahanagar 🔊 Listen to this वाराणसी कोर्ट ने वाराणसी डीएम को आदेश दिया है कि जिस स्थान पर शिवलिंग प्राप्त हुआ है, उस स्थान को तत्काल प्रभाव से सील कर दिया जाए। सील किए स्थान पर किसी भी व्यक्ति को प्रवेश करने पर रोक लगाने का निर्देश दिया गया है। कोर्ट ने कहा है कि वर्जित स्थान को संरक्षित और सुरक्षित रखने की पूरी व्यक्तिगत जिम्मेदारी वाराणसी डीएम, पुलिस कमिश्नर और सीआरपीएफ कमांडेंट की होगी। वाराणसीः उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे लगातार तीन दिन चलने के बाद सोमवार को पूरा हो गया। सर्वे के बाद ज्ञानवापी मामले में सोमवार को एक नया मोड़ आया है। मस्जिद के भीतर शिवलिंग मिलने का दावा किया गया है। वजूखाने के भीतर कथित तौर पर मिले शिवलिंग को संरक्षित करने के लिए वकील हरिशंकर जैन की ओर से वाराणसी सिनियर डिविजन की कोर्ट में याचिका डाली गई थी। याचिका की तमाम दलीलों पर गौर करने के बाद पीठासीन जज रवि दिवाकर ने याचिका स्वीकार कर ली। साथ ही उन्होंने वाराणसी प्रशासन को आदेश दिया है कि वह शिवलिंग वाली जगह को सील कर उसे संरक्षित और सुरक्षित करने की जिम्मेदारी ले। कोर्ट ने आदेश में क्या कहा? राखी सिंह आदि बनाम उत्तर प्रदेश सरकार मूलवाद संख्या 693/2021 पर दिनांक 16 मई 2022 को हुई सुनवाई में कोर्ट ने बताया कि अधिवक्ता हरिशंकर जैन की ओर से प्रार्थना पत्र (78-ग) प्रस्तुत करके कहा गया है कि 16 मई 2022 को मस्जिद कॉम्प्लेक्स अंदर शिवलिंग पाया गया है। यह मामले में बहुत ही महत्वपूर्ण साक्ष्य है, इसलिए जिलाधिकारी वाराणसी को यह आदेश दिया जाए कि वह इसे सील कर दें। इसके अलावा इस खास जगह पर मुसलमानों का प्रवेश वर्जित कर दें। मस्जिद में मात्र 20 मुसलमानों को नमाज़ अदा करने की इजाजत दी जाए और उन्हें वजू करने से तत्काल रोक दिया जाए। कोर्ट के पीठासीन अधिकारी रवि दिवाकर ने कहा कि मैंने संपूर्ण पत्रावली का परिशीलन किया है। पत्रावली को देखने से स्पष्ट है कि कोर्ट ने मस्जिद परिसर के कमीशन की कार्रवाई का आदेश दिया था। वादीगणों का कहना है कि कॉम्प्लेक्स में मिले शिवलिंग को संरक्षित करना आवश्यक है, इसलिए न्यायहित में प्रार्थना पत्र 78-ग स्वीकार किए जाने के योग्य है। कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा- हरिशंकर जैन की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र 78-ग को स्वीकार किया जाता है। इसके साथ ही वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट को आदेश दिया जाता है कि जिस स्थान पर शिवलिंग मिला है, उस स्थान को तत्काल प्रभाव से सील कर दे। सील किए गए स्थान पर किसी भी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित किया जाता है। इसके अलावा वाराणसी के जिलाधिकारी, पुलिस कमिश्नर, पुलिस कमिश्नरेट और सीआरपीएफ कमांडेंट की उस स्थान को संरक्षित और सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी पूर्णतः व्यक्तिगत रूप से मानी जाएगी। कोर्ट ने कहा, ‘सील किए गए स्थान को लेकर प्रशासन की ओर से क्या-क्या किया गया है, इसके सुपरविजन की जिम्मेदारी यूपी के पुलिस महानिदेशक और यूपी शासन के मुख्य सचिव की होगी।’ कोर्ट ने अंत में कहा कि वाद लिपिक को आदेश दिया जाता है कि वह बिना देर किए इस आदेश की प्रति को संबंधित अधिकारियों को नियमानुसार भेजे। साथ ही पत्रावली पहले से निर्धारित तिथि 17 मई 2022 को कमीशन रिपोर्ट पर सुनवाई के लिए पेश किया जाए। सर्वे को देखते हुए सोमवार को सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए गए थे। गोदौलिया से मैदागिन तक की सभी दुकानें बंद करा दी गई थीं। इसके अलावा पूरे 2 किलोमीटर के दायरे में फोर्स तैनात की गई। कल के मुकाबले आज फोर्स ज्यादा तैनात की गई. बाहर यूपी पुलिस और पीएसी के जवान लगाए गए थे तो परिसर क्षेत्र में सीआरपीएफ तैनात की गई। केशव मौर्य बोले- नंदी की प्रतीक्षा पूरी, प्रकट हो गए हैं भोलेबाबा यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि काशी विश्वनाथ में नंदी की प्रतीक्षा पूरी हो गई है। उन्होंने कहा कि यह खुशी का अवसर है और आगे कोर्ट जो भी आदेश देगा वह उसका स्वागत करेंगे। मेरे लिए हर-हर महादेव भी है और नमो बुद्धाय भी है। मैं स्वयं शिवभक्त हूं। मेरे लिए यह खुशी का अवसर है। माननीय न्यायालय के आदेश से कमिश्नर वहां गए। सर्वे किया गया और सर्वे में शिवलिंग की बात निकली है। केशव ने आगे कहा कि नंदीजी प्रतीक्षारत थे कि मेरे भोले बाबा कम मुझे मिलेंगे और अब मिल गए हैं। सत्य को परेशान किया जा सकता है, परास्त नहीं किया जा सकता है। सत्यम्, शिवम्, सुंदरम्…भगवान शिव ही सत्य हैं और उनका दर्शन हो गया है। उनके प्रकट होने का समाचार आ गया है। न्यायालय का जो आदेश जारी हुआ है, उसमें भी उसका उल्लेख हुआ है। AIMIM नेता बोले- हम लोअर कोर्ट को नहीं मानते मुस्लिम पक्ष मस्जिद में शिवलिंग के दावे को निराधार बता रहा है। AIMIM के नेता वारिस पठान से जब पूछा गया कि कोर्ट के आदेश में यह बात है कि ज्ञानवापी में विवादित जगह पर शिवलिंग है, तो इस पर उन्होंने कहा कि वह लोअर कोर्ट को नहीं मानते हैं। उन्होंने कहा, संविधान ने मुझे इजाजत दी है कि मैं हाईकोर्ट में जाऊं। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी विचाराधीन है। ऐसे में इस पर यह निष्कर्ष निकालना सही नहीं है। 1991 का पूजा स्थल कानून साफ बताता है कि 15 अगस्त 1947 से पहले जो धार्मिक स्थल जिस स्थिति में था, वैसा ही रहेगा। ऐसे में आप उसे छू नहीं सकते हैं। क्या हम संसद के कानून को नहीं मानेंगे? कल सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के खिलाफ मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में कल सुनवाई भी होनी है। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच इस याचिका पर सुनवाई करेगी। ज्ञानवापी विवाद मामले में याचिकाकर्ता अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने ज्ञानवापी में सर्वे पर रोक लगाने की मांग की है। Post Views: 263