दिल्लीब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई शहर शिवसेना नाम और सिंबल के बाद उद्धव गुट को एक और बड़ा झटका, विधानसभा में पार्टी का ऑफिस भी शिंदे गुट को मिला 20th February 2023 Network Mahanagar 🔊 Listen to this मुंबई: चुनाव आयोग के फैसले से उद्धव ठाकरे गुट को तगड़ा झटका लगा है। पहले उद्धव गुट से पार्टी का नाम और सिंबल छिना, इसके बाद पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल और youtube से ब्लू टिक हट गया। अब उद्धव ठाकरे को एक और झटका लगा है। महाराष्ट्र विधानसभा में मौजूद शिवसेना के ऑफिस को भी एकनाथ शिंदे गुट को दे दिया गया है। एकनाथ शिंदे गुट के समर्थक विधायकों ने स्पीकर राहुल नार्वेकर से मुलाकात कर इसकी मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट से भी लगा झटका! सुप्रीम कोर्ट से भी उद्धव गुट को झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट में उद्धव ठाकरे गुट ने इस मामले में तत्काल सुनवाई की मांग की थी। हालांकि, सीजेआई ने कहा कि इस मामले में तत्काल सुनवाई नहीं की जा सकती है। याचिकाकर्ताओं को तय प्रक्रिया के तहत आना चाहिए। सीजेआई ने कहा कि यह मामला सुनवाई के लिए मेंशन नहीं है। उन्होंने कहा कि कल इस मामले को सुनवाई के लिए लिस्ट में मेंशन किया जाए, इसके बाद इस पर सुनवाई की जाए। उधर, एकनाथ शिंदे गुट ने भी इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर दी है। गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह एकनाथ शिंदे गुट को दे दिया है। वहीँ शिवसेना पर एकनाथ शिंदे का कब्जा होने के बाद उद्धव ठाकरे की राजनीति पहले से बदली हुई दिखी। शनिवार को वो अपने कार्यकर्ताओं से रूबरू हुए तो कार की Sunroof पर दिखे। वे कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ा रहे थे। उनका मकसद साफ था कि लड़ाई अब लड़नी है और जीतनी भी। बालासाहेब ठाकरे को जो लोग करीब से जानते हैं उनका मानना है कि उद्धव ठाकरे का ताजा कदम दिखा रहा है कि वो पिता के नक्शे कदम पर बढ़ चुके हैं। हालांकि, उद्धव ने जब शिवसेना की कमान हाथ में संभाली तो उनका अंदाज पूरी तरह से अपने पिता से जुदा था। वो अलग तरह की राजनीति करने में यकीन रखते थे। उनके हाव-भाव और तेवरों से ये बात दिखी भी कि वो हार्डलाइनर नहीं बनना चाहते। लेकिन पिछले कुछ समय में घटना घटित हुई, उसने उन्हें पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। शिवसेना हाथ से गई तो उद्धव को आभास हुआ कि बालासाहेब की तरह तेवर नहीं अपनाए तो देर हो जाएगी। 60के दशक में दिखा था बालासाहेब का अनूठा अक्स 60के दशक में बालासाहेब जब शिवसेना की जड़ों को मजबूत करने में लगे थे तो उनके तेवर देखने लायक होते थे। तब उनके पास फिएट कार थी। बालासाहेब फिएट की छत से लोगों तक अपनी बात पहुंचाते थे। उनका अंदाज सबसे जुदा था। वो हर चीज हासिल करने में यकीन रखते थे। बाद के मौकों पर वो अंबेसडर कार की छत पर भी दिखे। शिवसेना के नेताओं के दिमाग में बालासाहेब का वो अक्स आज भी बरकरार है। यही वजह रही कि जब उद्धव ठाकरे कार की Sunroof पर दिखे तो कुछ ने वो तस्वीरें भी शेयर कीं जिनमें बालासाहेब कार की छत पर दिख रहे थे। गेटवे ऑफ इंडिया पर अंबेसडर कार की छत से स्पीच दे रहे बालासाहेब का अक्स आज भी लोगों के जहन में है। जब पहली बार जेल की सलाखों के पीछे गए बालासाहेब! 7 फरवरी 1969 को बालासाहेब की उस स्पीच को लोग आज भी याद करते हैं जब तत्कालीन उप प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई मुंबई (बांबे) में थे और कर्नाटक महाराष्ट्र के मुद्दे पर बालासाहेब ठाकरे सरकार से गुत्थम गुत्था होने के लिए तैयार थे। माहिम में खुली जीप से दी गई स्पीच लोग आज तक नहीं भूले। उसके बाद हुए दंगों में बताते हैं कि 59 लोगों की जान गई। बालासाहेब पहली दफा जेल की सलाखों के पीछे भी गए। लेकिन वो वाकया उनके राष्ट्रीय राजनीति में एंट्री के तौर पर देखा जाता है। कार की छत से बालासाहेब की स्पीच शिवसेना के लिए बेहद खास है। यही वजह है कि 2022 में जब शिवाजी पार्क मैदान में उद्धव ठाकरे की दशहरा रैली को बीएमसी ने अनुमति देने से इनकार किया तो वहां कार की छत पर बैठे बालासाहेब की तस्वीरें भी मौजूद थीं। लेकिन फिलहाल, अब ये देखना दिलचस्प होगा कि कार की छत से दी गई स्पीच क्या उद्धव ठाकरे को फिर से पहले की तरह से खड़ा कर पाएगी या नहीं? Post Views: 164