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Maharashtra: शिंदे गुट ही असली ‘शिवसेना’…इन बातों का हवाला देकर विधानसभा स्पीकर नार्वेकर ने दिया उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका!

मुंबई,(राजेश जायसवाल): महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने पिछले काफी दिनों से चर्चा का विषय बने शिंदे गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता पर आज अपना फैसला सुना दिया। इसमें उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को बड़ी राहत दी है। विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर ने उद्धव गुट की उस मांग को खारिज कर दिया जिसमें यह मांग की गई थी कि शिंदे के साथ पार्टी छोड़कर गए 16 विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाए।
विधानसभा अध्यक्ष ने अपने फैसले में अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि शिवसेना अध्यक्ष को शिंदे को नेता पद से हटाने का हक नहीं था। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे की दलील में दम नहीं है।

चुनाव आयोग के रेकॉर्ड को बनाया आधार
राहुल नार्वेकर ने शिवसेना के संविधान और तमाम दूसरे पहलुओं का उल्लेख करने के बाद अपने फैसले का ऐलान किया। शिवसेना के 16 विधायकों की अयोग्यता मामले में फैसला लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने नार्वेकर को 10 जनवरी की डेडलाइन दी थी।
राहुल नार्वेकर ने अपने फैसले में कहा कि मैंने अयोग्यता के मामले में निर्णय लेते वक्त चुनाव आयोग के फैसले को ध्यान में रखा। उन्होंने कहा कि मैं चुनाव आयोग के फैसले से बाहर नहीं जा सकता था। चुनाव आयोग के रेकॉर्ड में शिंदे गुट ही असली ‘शिवसेना’ है। नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना का 2018 का संविधान मान्य नहीं है, क्योंकि इसके बाद शिवसेना में कोई चुनाव नहीं हुआ। इसलिए पार्टी का आखिरी संविधान 1999 का ही है। स्पीकर ने कहा, शिंदे गुट ने कहा है कि उद्धव ठाकरे गुट ने 2018 का संविधान गुपचुप तरीके से लागू किया है।

महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा कि चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में एकनाथ शिंदे गुट असली शिवसेना है। नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना का 1999 का संविधान ही मान्य है। उन्होंने कहा कि संविधान में हुआ संशोधन रिकॉर्ड में नहीं है। नार्वेकर ने आगे कहा कि मैंने चुनाव आयोग के रिकॉर्ड को ध्यान में रखकर फैसला लिया। उन्होंने कहा कि 21 जून, 2022 को जो हुआ उसे समझना होगा। नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना में फैसले लेने के लिए सबसे बड़ी संस्था राष्ट्रीय कार्यकारिणी है। इसके अलावा स्पीकर ने ये भी साफ कर दिया है कि उद्धव गुट द्वारा वर्तमान में बिना राष्ट्रीय कार्यकारिणी से सलाह लिए किसी को भी बाहर नहीं किया जा सकता। ये फैसला एकनाथ शिंदे के लिए राहतभरा है क्योंकि बगावत के समय उद्धव ठाकरे उन्हें पार्टी से बाहर करने की बात कही थीं।

क्या बोले- महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर?
* विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि पार्टी के 2018 के संशोधित संविधान के अनुसार, शिवसेना के नेतृत्व ढांचे पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि 2013 और 2019 में नेतृत्व चुनने के लिए शिवसेना में कोई चुनाव नहीं हुआ। इसका कोई रिकॉर्ड भी उपलब्ध नहीं। शिंदे गुट की याचिका पर पहले सुनवाई करते हुए विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि कौन असली शिवसेना है? इसका फैसला शिवसेना के संविधान और व्हिप के आधार पर किया गया। इसी आधार पर ही अयोग्यता पर भी फैसला किया।

* शिवसेना (यूबीटी) को पहला बड़ा झटका तब लगा, जब विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिवसेना के संशोधित संविधान को मानने से इनकार कर दिया और पुराने और असंशोधित संविधान के आधार पर ही आदेश देने का फैसला किया।

* विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि ECI में पार्टी के रूप में प्रस्तुत और स्वीकार किए गए संविधान पर विचार किया जाएगा, न कि हाल ही में 2018 में किए गए संशोधित संविधान पर। उन्होंने फैसला देते समय संशोधित संविधान पर विचार करने की शिवसेना (यूबीटी) की मांग को खारिज कर दिया।

* विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने अपने आदेश में कहा कि दोनों पक्षों को सुनने के बाद, यह स्पष्ट है कि संविधान और अन्य मुद्दों पर दोनों पक्षों के बीच कोई सहमति नहीं है। निर्विवाद संविधान माना जाएगा न कि 2018 में किया गया संशोधित संविधान। यह संविधान 1999 का है।

* विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सीएम एकनाथ शिंदे सहित 16 शिवसेना विधायकों को उनकी पार्टी विरोधी गतिविधियों का हवाला देते हुए अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि समाचार पत्रों की रिपोर्ट, इन विधायकों को निष्कासित करने का आधार नहीं हो सकती और उन्हें संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता।

* विधानसभा अध्यक्ष ने सीएम एकनाथ शिंदे समेत 16 शिवसेना विधायकों को अयोग्य ठहराने से इनकार करते हुए कहा कि उन्हें अयोग्य ठहराने का कोई वैध आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे ही शिवसेना और पार्टी के असली नेता हैं। शिंदे को ‘व्हिप’ नियुक्त करने का भी अधिकार है।

* विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि शिंदे गुट के पास 37 विधायकों का समर्थन (यानी बहुमत) है, तो शिंदे गुट ही असली ‘शिवसेना’ और असली राजनीतिक दल है। इसलिए सचेतक के रूप में सुनील प्रभु की नियुक्ति को जब्त कर लिया गया है, इसलिए मुख्य सचेतक के रूप में भरत गोगावले की नियुक्ति वैध है।

* विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि एक पार्टी के रूप में नेतृत्व तय करने के लिए शिवसेना में सामग्री का अभाव है और उनका नेतृत्व राजनीतिक दल के रूप में होगा और उनकी और पार्टी की इच्छा के अनुसार उनके द्वारा नियुक्त व्हिप होगा।