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Maratha Reservation: मराठा आरक्षण विधेयक को मंजूरी, नौकरियों में 10% रिजर्वेशन का प्रावधान

किसी के साथ नहीं होगा अन्याय: सीएम

महाराष्ट्र विधानसभा के विशेष सत्र में क्या बोले सीएम शिंदे?
मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा- इस काम में उन कानूनी विशेषज्ञों की भी मदद ली जा रही है, जिन्होंने हाईकोर्ट में मराठा आरक्षण की जोरदार वकालत की है। एक टास्क फोर्स का भी गठन किया गया। हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और अन्य न्यायिक स्तरों पर मराठा समुदाय का आरक्षण कैसे बरकरार रखा जाएगा, इस पर सरकार और आयोग के बीच समन्वय बनाया गया।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा- हमने मराठा आरक्षण के पक्ष में बहस करने के लिए राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ परिषदों की एक सेना खड़ी की है। चार दिनों तक हमने मराठा समुदाय की स्थिति पर बहुत गंभीरता और धैर्य के साथ अपने विचार व्यक्त किए हैं। हमने मराठा आरक्षण को रद्द करते समय सुप्रीम कोर्ट द्वारा दर्ज किए गए निष्कर्षों पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित किया। मुझे विश्वास है कि सफलता मिलेगी।

शिंदे ने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद मुझे मराठा समाज के लिए ठोस योगदान देने का अवसर मिला। मैं इसे अपना सौभाग्य मानता हूं। जब हमारी सरकार आई तो मराठा आरक्षण हमारे एजेंडे में प्राथमिकता थी और इसलिए सितंबर 2022 में मंत्री चंद्रकांत पाटिल को उप-समिति का अध्यक्ष बनाया गया। सत्ता में आते ही यानी अगस्त 2022 में ज्यादातर पदों का सृजन किया गया। 21 सितंबर 2022 को सरकार ने फैसला लिया और इसका क्रियान्वयन शुरू कर दिया।

मुंबई,(राजेश जायसवाल): महाराष्ट्र विधानसभा के विशेष सत्र में मराठा आरक्षण बिल सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को इसे पेश किया था। इससे पहले विधानमंडल के विशेष सत्र से पहले महाराष्ट्र कैबिनेट ने शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10% मराठा आरक्षण के बिल के मसौदे को मंजूरी दे दी थी। किसी भी दल ने इसका विरोध नहीं किया।

दरअसल, मराठा आरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार ने महाराष्ट्र विधानमंडल का एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाया था। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार भी मुख्यमंत्री के साथ मौजूद थे। सरकार का मकसद है कि अन्य समुदायों के लाभों को प्रभावित किए बिना मराठा समुदाय को स्थायी आरक्षण प्रदान किया जाए।

वहीं, विधानसभा में पारित होने के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मराठा आरक्षण विधेयक को महाराष्ट्र विधान परिषद में पेश कर दिया है। अब विधान परिषद में इस पर चर्चा होगी और फिर वोटिंग कराई जाएगी।

जानें- विधेयक में क्या है?
महाराष्ट्र राज्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा विधेयक 2024 में प्रस्ताव दिया गया है कि आरक्षण लागू होने के 10 साल बाद इसकी समीक्षा की जा सकती है। विधेयक में बताया गया कि राज्य में मराठा समुदाय की आबादी 28 प्रतिशत है। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले कुल मराठा परिवारों में से 21.22 प्रतिशत के पास पीले राशन कार्ड हैं। यह राज्य के औसत 17.4 प्रतिशत से अधिक है। जनवरी-फरवरी के बीच किए गए सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि मराठा समुदाय के 84 फीसदी परिवार उन्नत श्रेणी में नहीं आते हैं। ऐसे में वे आरक्षण के लिए पात्र हैं। विधेयक में यह भी कहा गया कि महाराष्ट्र में कुल आत्महत्या करने वाले किसानों में से 94 फीसदी मराठा परिवारों से हैं।

हाल ही में सर्वेक्षण रिपोर्ट सौंपी गई थी
इससे पहले महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने शुक्रवार को मराठा समुदाय के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन पर अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट सौंपी थी। इस कवायद में लगभग 2.5 करोड़ परिवारों को शामिल किया गया। मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) ने बताया था कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे से अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल खत्म करने का आग्रह किया है।

सर्वेक्षण 23 जनवरी को पूरे महाराष्ट्र में शुरू हुआ, जिसमें राज्य सरकार के 3.5 लाख से चार लाख कर्मचारियों ने हिस्सा लिया। सरकार ने इसी तरह की एक कवायद में कुनबी रिकॉर्ड खंगालने भी शुरू कर दिए हैं। कृषक समुदाय में आने वाले कुनबी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में आते हैं और जरांगे सभी मराठों के लिए कुनबी प्रमाण पत्र की मांग कर रहे हैं।

मनोज जरांगे बोले- मूर्ख बना रही है सरकार, जताई निराशा!
इस बीच मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल ने कहा कि सरकार का यह फैसला चुनाव और वोटों को ध्यान में रखकर लिया गया है। यह मराठा समुदाय के साथ धोखा है। मराठा समुदाय आप पर भरोसा नहीं करेगा। हमारा फायदा तभी होगा, जब हमारी मूल मांगें पूरी की जाएं। इस आरक्षण से काम नहीं चलेगा। सरकार अब झूठ बोलेगी कि आरक्षण दे दिया गया है।
बता दें कि मनोज जरांगे फिलहाल, मराठा आरक्षण को लेकर जालना जिले में अपने पैतृक स्थान पर 10 फरवरी से अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं। बिल को मंजूरी ऐसे समय में मिली है जब मनोज जरांगे लगातार 11वें दिन भूख हड़ताल पर हैं।

जरांगे ने स्लाइन निकाल कर फेंका!
मराठा आरक्षण विधेयक को मंजूरी मिलने पर मनोज जरांगे पाटिल ने कहा- हमने समय दिया है, धैर्य दिया है, आपके पास आपत्ति करने का एक तंत्र है। कल दोपहर 12 बजे के अंतराल में निर्णायक बैठक होगी। आंदोलन की अगली दिशा तय कर ली गयी है। साथ ही उन्होंने यह कहते हुए स्लाइन भी फेंक दिया कि मैं अब अपना इलाज बंद कर रहा हूं। उन्होंने यह भी कहा कि हमें जो आरक्षण चाहिए वो मिलेगा।

मौजूदा आरक्षण ढांचे को कायम रखने की प्रतिबद्धता
पिछले हफ्ते, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अन्य समुदायों के लिए मौजूदा आरक्षण कोटा में बदलाव किए बिना मराठा समुदाय को आरक्षण देने की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।
हालाँकि, मराठा आरक्षण के वर्गीकरण को लेकर, विशेष रूप से ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) श्रेणी के तहत इसे शामिल करने को लेकर, महाराष्ट्र सरकार के भीतर मतभेद उभर आए हैं। वरिष्ठ एनसीपी नेता छगन भुजबल ने कुंभी श्रेणी के तहत आरक्षण की गारंटी देने पर विरोध जताया है।

विधेयक के मसौदे के अनुसार, आयोग ने 16 फरवरी 2024 को अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी थी, जो इस तरह हैं…
1. मराठा समुदाय में माध्यमिक शिक्षा और स्नातक, स्नातकोत्तर, व्यावसायिक शिक्षा पूरी करने की संख्या निम्न स्तर पर है।
2. आर्थिक पिछड़ापन शिक्षा में सबसे बड़ी बाधा है।
3. अपर्याप्त शिक्षा अक्सर गरीबी और अपर्याप्त शिक्षा का कारण बनती है।
4. गरीबी रेखा से नीचे और पीले राशन कार्ड वाले मराठा परिवार 21.22 प्रतिशत हैं।
5. गरीबी रेखा से नीचे खुली श्रेणी के परिवार 18.09 प्रतिशत हैं।
6. मराठा परिवार का प्रतिशत राज्य के औसत (17.4%) से अधिक है जो दर्शाता है कि यह आर्थिक रूप से पिछड़ा है।
7. सार्वजनिक रोजगार (सरकारी) के सभी क्षेत्रों में मराठा समुदाय का अपर्याप्त प्रतिनिधित्व है।
8. इसलिए ये सेवाओं में पर्याप्त आरक्षण प्रदान करने के लिए विशेष सुरक्षा के हकदार हैं।
9. कमजोर मराठा समुदाय के आर्थिक आंकड़ों से पता चलता है कि मराठा समुदाय की आर्थिक स्थिति गैर-खुली श्रेणी की तुलना में भी कम है।
10. किसानों की आत्महत्या के आंकड़े बताते हैं कि आत्महत्या करने वालों में 94 फीसदी मराठा समुदाय से हैं।
11. कमजोर मराठा समुदाय की आय का वित्तीय स्रोत कम हो रहा है और मराठा समुदाय को मथाडी श्रमिकों, कुलियों, सिपाहियों, सफाई कर्मचारियों, सहायकों, घरेलू श्रमिकों, कैबमैन, ड्राइवरों आदि द्वारा प्रदान किए जाने वाले काम पर निर्भर रहना होगा।
रिपोर्ट में कहा गया कि कृषि से कम रिटर्न, जोत का विखंडन, कृषि से जुड़ी प्रतिष्ठा की हानि आदि कारकों के कारण मराठा समुदाय की आर्थिक स्थिति खराब हो गई।
12. आयोग द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों में प्रचलित आरक्षण के मामलों की जांच की जाए तो कई राज्यों द्वारा आरक्षण की सीमा कुछ राज्यों द्वारा बढ़ा दी गई है।
बिहार ने रिक्ति और सेवा आरक्षण संशोधन विधेयक पारित कर दिया है, जबकि तमिलनाडु में 69 प्रतिशत आरक्षण है।
13. आयोग ने 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण देने वाले राज्यों के आंकड़ों की जांच की है. कुछ असाधारण परिस्थितियां होने पर 50 प्रतिशत की सीमा बढ़ाई जा सकती है।
14. भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत 50 प्रतिशत से अधिक का ऐसा आरक्षण प्रदान किया जा सकता है।
5. आयोग का मानना ​​है कि वंचित मराठा समुदाय एक ऐसा वंचित वर्ग है जिसे मौजूदा पिछड़े वर्गों से अलग वर्गीकृत करने की आवश्यकता है।
16. आयोग ने पाया है कि मराठा समुदाय कुल जनसंख्या का 28 प्रतिशत है।
17. लगभग 52 प्रतिशत आरक्षण वाली कई जातियाँ, समूह पहले से ही आरक्षित श्रेणी में हैं. राज्य में 28 फीसदी आबादी वाले मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में रखना अनुचित होगा।
18. आयोग का मानना ​​है कि यह समुदाय संविधान के अनुच्छेद 342C के साथ-साथ संशोधित अनुच्छेद 366(26C) के अनुसार सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग है।
19. कमजोर मराठा समुदाय के लिए आरक्षण समय की मांग है. यदि यह शीघ्रता से नहीं किया गया तो इसके परिणामस्वरूप समाज में पूर्णतः असंतुलन, सामाजिक बहिष्कार,बढ़ती असमानता तथा सामाजिक अन्याय की घटनाओं में वृद्धि के साथ-साथ समाज का पतन होगा।

आयोग की सिफारिशें…
1. मराठा समुदाय को सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के नागरिकों के रूप में घोषित करने की सिफारिश की गई है।
2. मराठा समुदाय को संविधान के अनुच्छेद 342C और अनुच्छेद 366(26C) के तहत सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के रूप में अधिसूचित करने की आवश्यकता है।
3. मराठा समुदाय को मौजूदा आरक्षित जाति से भिन्न और स्वतंत्र प्रतिशत का एक अलग सामाजिक घटक बनाने की आवश्यकता है।
3. मराठा समुदाय को मौजूदा आरक्षित जाति से भिन्न और स्वतंत्र प्रतिशत का एक अलग सामाजिक घटक बनाने की आवश्यकता है।
4. आरक्षण के लाभ की समय-समय पर हर दस साल में समीक्षा की जा सकती है।
5. राज्य सरकार इसके लिए पर्याप्त प्रतिशत प्रदान कर सकती है।

मराठा आरक्षण बिल में राज्य सरकार का प्रस्ताव
1. आयोग की रिपोर्ट, निष्कर्षों पर राज्य सरकार द्वारा सावधानीपूर्वक विचार किया गया है और स्वीकार किया गया है।
2. मराठा समाज सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा हुआ है। संविधान के अनुच्छेद 342(सी) एवं अनुच्छेद 15(4), 15(5) अनुच्छेद 16(6) के अनुसार उस वर्ग के लिए आरक्षण दिया जाना चाहिए।
3. मराठा समुदाय को 50 प्रतिशत से अधिक की सीमा तक आरक्षण देने वाली असाधारण स्थिति का अस्तित्व।
4. मराठा समुदाय को सार्वजनिक सेवाओं में 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की उम्मीद है और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में भी 10 प्रतिशत आरक्षण की आवश्यकता है।
5. सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए सार्वजनिक सेवाओं में अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के अलावा अन्य शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए आरक्षण प्रदान करने का प्रावधान कानून द्वारा अपेक्षित है।
6. संविधान के 342 सी का खंड (3) राज्य को राज्य के उद्देश्यों के लिए सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की सूची तैयार करने और बनाए रखने के लिए कानून बनाने का अधिकार देता है।
7. महाराष्ट्र सरकार का मानना ​​है कि इस उद्देश्य के लिए एक नया अधिनियम बनाना वांछनीय है।