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Mumbai: महिला सशक्तीकरण के लिए छोड़ी नौकरी! पारंपरिक में मिलती है ये ख़ास किस्म की रोटियां

भारतीय नारी आज सिर्फ चूल्हे-चौके तक ही सीमित नहीं रह गई है। अपनी कड़ी मेहनत से कॉर्पोरेट जगत में भी नारी ने अपनी अमिट छाप छोड़ी है। आज हम एक ऐसी ही नारी अनिता मोरे की बात करने जा रहे हैं जो कि १७ वर्ष तक असिस्टेंट मैनेजर की नौकरी करने के बाद कई महिलाओं को रोजी-रोटी देने के लिए खुद चौका-बेलन हाथ में उठा लिया। उनकी मेहनत रंग लाई और कई बेरोजगार महिलाओं को आज दो जून की रोटी नसीब हो रही है।

अनिता मोरे
अनिता मोरे

मुंबई के सायन स्थित सरदार नगर नं. १ में ‘पारंपरिक’ संस्था की अनिता मोरे बताती हैं कि कोरोना के दौरान उन्होंने अपने एडवोकेट पति और बहन अक्षता बेलोसे के सहयोग से रोटी बनाने की मशीन खरीदी और ‘पारंपरिक’ नामक संस्था बनाकर रोटी बनाने का काम शुरू कर दिया। अनिता कहती हैं कि मैंने ये बिजनेस सिर्फ पैसे कमाने के उद्देश्य से नहीं शुरू किया, बल्कि इस काम के जरिए लोगों की सीधी सेवा और संतुष्टि से मैं जुड़ गई हूं। जॉब के दौरान मैंने अनुभव किया कि मुंबई की लाइफ में नौकरी से अपनी जीविका चलानेवाले व्यक्ति को काम के चक्कर में दो वक्त की अच्छी रोटी भी नसीब नहीं हो पाती। हालांकि, इस काम में मेहनत बहुत है। हम सुबह १० से रात १० बजे तक बंद पंखे के नीचे खड़े होकर रोटियां तैयार करते रहते हैं। आज हम प्रतिदिन अपने सैकड़ों रेगुलर ग्राहकों के अलावा कई बड़े कैंटीन, होटलों और जोमैटो-स्विगी जैसे फ्लेटफॉर्म के माध्यम से ब्रांडेड आटे से बनी हुई रोटियां परोसते हैं। अनिता बताती हैं कि हमारे यहां गेहूं, मक्के, ज्वार, बाजरे, नाचनी, चावल के आटे की रोटी, बेसन की रोटी तथा मिक्स अनाज की रोटी भी बनाई जाती है। सबसे खास बात यह है कि ‘पारंपरिक’ की रोटी हेल्थ को कोई नुकसान नहीं पहुंचाती है। इसे बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी बड़े ही चाव से खा सकते हैं। हम सभी रोटियों को लोहे के तवे पर बनाते हैं, जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर मिलता है, जो आसानी से डाइजेस्ट हो जाती हैं। उच्च क्वालिटी के आटे से बनी ये रोटियां एकदम सॉफ्ट और काफी देर तक फ्रेश बनी रहती हैं। अनिता पूरे विश्वास के साथ कहती हैं कि आपको मुंबई में इस तरह की रोटियां नहीं मिलेंगी।

इस कार्य से उत्साहित अनिता बताती हैं कि वे महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और इसके विस्तार के लिए बहुत ही जल्द ‘पारंपरिक’ की अन्य शाखा खोलने और फ्रेंचाइजी प्रदान करने का काम भी शुरू करने जा रही हैं। यहां बता दें कि महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने और ‘पारंपरिक’ की स्थापना करनेवाली अनिता मोरे को कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है।