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UP: पीएम मोदी ने विश्वनाथ मंदिर में की पूजा, दीप प्रज्ज्वलित कर किया ‘देव दीपावली’ का आगाज, रोशनी में नहाई काशी!

वाराणसी, (राजेश जायसवाल): उत्तर प्रदेश की सबसे प्रसिद्ध धर्मनगरी वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहला दीप प्रज्ज्वलित कर ‘देव दीपावली’ पर्व का आगाज किया। देव दीपावली हर साल कार्तिक महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। वाराणसी में यह पर्व खासतौर पर काफी लोकप्रिय है। पवित्र गंगाजी के किनारे घाटों पर हर साल लाखों लोग दीये जलाकर देव दीपावली का पर्व मनाते हैं। इस दिन काशी का सौंदर्य बेहद दिव्य और अद्भुत नजर आता है।

खुजरी की जनसभा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ नौका विहार कर काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचे। उन्होंने वहां पूजा-अर्चना की। प्रधानमंत्री यहां काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के कामों का भी निरीक्षण करेंगे। पीएम मोदी काशी विश्वनाथ पहुंचने के लिए डोमरी घाट से ललिता घाट तक नाव से पहुंचे थे।

पीएम मोदी ने बटन दबाकर सिक्स लेन का लोकार्पण किया। 73 किलोमीटर का यह मार्ग प्रयागराज व वाराणसी को जोड़ेगा। दिसंबर 2014 से इस मार्ग का निर्माण कार्य शुरू किया गया था। प्रधानमंत्री क्रूज से विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर पहुंचकर बाबा विश्‍वनाथ की पूजा की और जल मार्ग से राजघाट पहुँचकर दीप जलाकर ‘देव दीपावली’ का शुभारंभ किया। इसके साथ ही शिव आराधना के साथ ही सांस्‍कृतिक कार्यक्रम शुरू हो गया। इस दौरान काशी के 84 घाटों पर लगभग 11 लाख से अधिक दीये रोशन किये गए हैं।
राजघाट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनारसी अंदाज में अपने संबोधन की शुरुआत की। उन्‍होंने कार्तिक माह में काशी में गंगा नहान की चर्चा ठेठ बनारसी अंदाज में की। पीएम मोदी ने कहा कि, काशी जीवंत है, अविनाशी काशी की गलियां ऊर्जावान है। आज काशी गंगा तट पर प्रकाश गंगा का उत्‍सव मना रही है।

स्वामीनाथन आयोग का फायदा किसानों को पहुंचाया
कृषि बिलों पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि नए कृषि सुधारों से किसानों को नए विकल्प और नए कानूनी संरक्षण दिए गए हैं। पहले मंडी के बाहर हुए लेन-देन ही गैरकानूनी थे। अब छोटा किसान भी मंडी से बाहर हुए हर सौदे को लेकर कानूनी कार्रवाई कर सकता है। किसान को अब नए विकल्प भी मिले हैं और धोखे से कानूनी संरक्षण भी मिला है। पीएम ने कहा कि हमने वादा किया था कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुकूल लागत का डेढ़ गुणा एमएसपी देंगे। ये वादा सिर्फ कागज़ों पर ही पूरा नहीं किया गया, बल्कि किसानों के बैंक खाते तक पहुंचाया गया है। पीएम मोदी ने कहा कोविड 19 ने बहुत चीजों को बदला है, लेकिन काशी की ऊर्जा, भक्ति और शक्ति को कोई नहीं बदल सकता है।

किसानों को ढाई गुणा ज्यादा पैसा
पीएम मोदी ने दावा किया कि सिर्फ दाल की ही बात करें तो साल 2014 से पहले के 5 सालों में लगभग साढ़े 6 सौ करोड़ रुपए की ही दाल किसान से खरीदी गई लेकिन इसके बाद के 5 सालों में हमने लगभग 49 हज़ार करोड़ रुपए की दालें खरीदी हैं यानि लगभग 75 गुणा बढ़ोतरी की है। साल 2014 से पहले के 5 सालों में पहले की सरकार ने 2 लाख करोड़ रुपए का धान खरीदा था लेकिन इसके बाद के 5 सालों में 5 लाख करोड़ रुपए धान के एमएसपी के रूप में किसानों तक हमने पहुंचाए हैं। यानि लगभग ढाई गुणा ज्यादा पैसा किसान के पास पहुंचा है। उन्होंने कहा कि अगर मंडियों और MSP को ही हटाना था, तो इनको ताकत देने और इन पर इतना निवेश ही क्यों करते?

गंगाजल जैसी पवित्र नीयत से काम
मोदी ने कहा कि हमारी सरकार मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। मुझे एहसास है कि दशकों का छलावा किसानों को आशंकित करता है, लेकिन अब छल से नहीं बल्कि गंगाजल जैसी पवित्र नीयत के साथ काम किया जा रहा है।

किसान आंदोलन पर पीएम मोदी का विपक्ष पर निशाना
किसान आंदोलन को लेकर पीएम मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, अगर सरकार का कोई फैसला पसंद नहीं आता तो पहले विरोध किया जाता था। लेकिन अब विरोध का आधार फैसला नहीं, बल्कि भ्रम फैलाकर आशंकाएं फैलाकर उसको आधार बनाया जा रहा है। फैसला तो ठीक है लेकिन पता नहीं इससे आगे चलकर क्या होगा। फिर कहते हैं कि ऐसा होगा, जो अभी हुआ ही नहीं है। जो अभी हुआ ही नहीं जो कभी होगा ही नहीं, ऐसी बातें की जा रही हैं।

काले चावल की खेती ला रही समृद्धि-पीएम मोदी
अपने संबोधन में पीएम मोदी बोले-वाराणसी की यहां की ताजा सब्जी दुबई और लंदन पहुंची है। यह एक्सपोर्ट हवाई मार्ग से हुआ है। छोटे से छोटे किसान को भी लाभ हो रहा है। किसानों की उपज का ट्रांसपोर्ट अधिक से अधिक कैसे हो इस पर भी काम हो रहा है। सरकार के प्रयासों और आधुनिक इंफ्रास्टॅक्चर से किसानों का कितना लाभ हो रहा है जिसका बेहतरीन उदाहरण चंदौली का काला चावल है।
पीएम मोदी ने आगे कहा, यह चावल किसानों के घर पर समृद्धि ला रहा है। दो साल पहले काले चावल के प्रयोग किया गया था। 400 किसानों को उगाने के लिए दिया गया था। सामान्य चावल 35-40 किलो बिकता है। 300 रुपये तक बिक रहा है। ब्लैक राइस को विदेशी बाजार भी मिल गया है। पहली बार ऑस्ट्रेलिया को यह चावल निर्यात हुआ है। जहां धान का एमएसपी 1800 रुपये है वहीं काले चावल 8500 प्रति क्विंटल बिका है। इस बार के सीजन में 1000 किसान परिवार काले चावल की खेती कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने रिमोट से बटन दबाकर किया उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बटन दबा कर सिक्स लेन (नैशनल हाइवे 19) का लोकार्पण किया। 73 किलोमीटर का यह मार्ग प्रयागराज व वाराणसी को जोड़ेगा। दिसंबर 2014 से इस मार्ग का निर्माण कार्य शुरू किया गया था। इस सड़क के निर्माण में 2447 करोड़ रुपये की लागत आई है। इस मार्ग में आवाजाही शुरू होने के बाद वाराणसी-प्रयागराज की दूरी तय करने में एक घंटा कम समय लगेगा। इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीएम मोदी का स्वागत करते हुए कहा कि वह यहां पर दो प्राचीन शहरों को जोड़ने के लिए आए हैं। पीएम दोपहर 2 बजे वाराणसी पहुंचे, इसके बाद उन्होंने खजुरी में जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उनके साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे।

नेशनल हाईवे के उद्घाटन के बाद पीएम मोदी का संबोधन
* मुझे याद है कि 2013 में मेरी पहली जनसभा इसी मैदान पर हुई थी। तब यहां से गुजरने वाला हाइवे 4 लेन का था। आज बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद से ये 6 लेन का हो गया है।
* इस हाइवे के चौड़ा होने से काशी और प्रयागराज के बीच आना जाना और आसान हो गया है। कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ियों और इस क्षेत्र के लोगों को होने वाली परेशानियां समाप्त हो जाएंगी। इसका लाभ कुंभ के दौरान भी मिलेगा।
* बीते वर्षों में काशी के सुंदरीकरण के साथ-साथ यहां की कनेक्टिविटी में जो काम हुआ है, उसका लाभ अब दिख रहा है। नए हाइवे बनाना हो, पुल-फ्लाई ऑवर बनाना हो, जितना काम बनारस और आस-पास के क्षेत्रों में अब हो रहा है, उतना आजादी के बाद कभी नहीं हुआ।
* पहले उत्तर प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थिति क्या थी, ये आप भली-भांति जानते हैं। आज उत्तर प्रदेश की पहचान एक्सप्रेस प्रदेश के रूप में हो रही है।
* 3-4 साल पहले यूपी में सिर्फ दो बड़े एयरपोर्ट प्रभावी रूप से काम कर रहे थे। आज करीब एक दर्जन एयरपोर्ट यूपी में सेवा के लिए तैयार हो रहे हैं। वाराणसी के एयरपोर्ट के विस्तार का काम चल रहा है।
* जब किसी क्षेत्र में आधुनिक कनेक्टिविटी का विस्तार होता है, तो इसका बहुत लाभ हमारे किसानों को होता है। बीते वर्षों में ये प्रयास हुआ है कि गांवों में आधुनिक सड़कों के साथ भंडारण, कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्थाएं खड़ी की जाएं। इसके लिए 1 लाख करोड़ रुपए का फंड भी बनाया गया है।
* देश के इतिहास में पहली बार किसान रेल शुरु की गई है। इन प्रयासों से किसानों को नए बाजार मिल रहे हैं, बड़े शहरों तक उनकी पहुंच बढ़ रही है। उनकी आय पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
* वाराणसी में पेरिशेबल कार्गो सेंटर बनने के कारण अब यहां के किसानों को अब फल और सब्जियों को स्टोर करके रखने और उन्हें आसानी से बेचने की बहुत बड़ी सुविधा मिली है। इस स्टोरेज कैपेसिटी के कारण पहली बार यहां के किसानों की उपज बड़ी मात्रा में निर्यात हो रही है।
* आज बनारस का लंगड़ा और दशहरी आम लंदन और मिडिल ईस्ट में अपनी खुशबू बिखेर रहा है। अब बनारस के आम की मांग विदेशों में भी निरंतर बढ़ रही है।
* सरकार के प्रयासों औऱ आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से किसानों को कितना लाभ हो रहा है, इसका एक बेहतरीन उदाहरण चंदौली का काला चावल-ब्लैक राइस है। ये चावल चंदौली के किसानों के घरों में समृद्धि लेकर आ रहा है।
* सामान्य चावल जहां 35-40 रुपए किलो के हिसाब से बिकता है, वहीं ये बेहतरीन चावल 300 रुपए तक बिक रहा है। बड़ी बात ये भी है कि ब्लैक राइस को विदेशी बाज़ार भी मिल गया है। पहली बार ऑस्ट्रेलिया को ये चावल निर्यात हुआ है, वो भी करीब साढ़े 800 रुपए किलो के हिसाब से।
* बीते सालों में फसल बीमा हो या सिंचाई, बीज हो या बाजार, हर स्तर पर काम किया गया है। पीएम फसल बीमा योजना से देश के करीब 4 करोड़ किसान परिवारों की मदद हुई है। पीएम कृषि सिंचाई योजना से 47 लाख हेक्टेयर जमीन माइक्रो इरिगेशन के दायरे में आ चुकी है।
* अगर किसान को ऐसा कोई खरीददार मिल जाए, जो सीधा खेत से फसल उठाए और बेहतर दाम दे, तो क्या किसान को उसकी उपज बेचने की आजादी मिलनी चाहिए या नहीं?:
* भारत के कृषि उत्पाद पूरी दुनिया में मशहूर हैं। क्या किसान की इस बड़े मार्केट और ज्यादा दाम तक पहुंच नहीं होनी चाहिए? अगर कोई पुराने सिस्टम से ही लेनदेन ही ठीक समझता है तो, उस पर भी कहां रोक लगाई गई है?
* पहले मंडी के बाहर हुए लेनदेन ही गैरकानूनी थे। ऐसे में छोटे किसानों के साथ धोखा होता था, विवाद होता था। अब छोटा किसान भी, मंडी से बाहर हुए हर सौदे को लेकर कानूनी कार्यवाही कर सकता है। किसान को अब नए विकल्प भी मिले हैं और धोखे से कानूनी संरक्षण भी मिला है।
* सरकारें नीतियां बनाती हैं, कानून-कायदे बनाती हैं। नीतियों और कानूनों को समर्थन भी मिलता है तो कुछ सवाल भी स्वभाविक ही है। ये लोकतंत्र का हिस्सा है और भारत में ये जीवंत परंपरा रही है।
पहले होता ये था कि सरकार का कोई फैसला अगर किसी को पसंद नहीं आता था तो उसका विरोध होता था। लेकिन बीते कुछ समय से हम देख रहे हैं कि अब विरोध का आधार फैसला नहीं बल्कि भ्रम फैलाकर आशंकाओं को बनाया जा रहा है।
* अपप्रचार किया जाता है कि फैसला तो ठीक है लेकिन इससे आगे चलकर ऐसा हो सकता है। जो अभी हुआ ही नहीं, जो कभी होगा ही नहीं, उसको लेकर समाज में भ्रम फैलाया जाता है। ये वही लोग हैं जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ लगातार छल किया है।
* पहले MSP तो घोषित होता था लेकिन MSP पर खरीद बहुत कम की जाती थी। सालों तक MSP को लेकर छल किया गया। किसानों के नाम पर बड़े-बड़े कर्जमाफी के पैकेज घोषित किए जाते थे। लेकिन छोटे और सीमांत किसानों तक ये पहुंचते ही नहीं थे।
* किसानों के नाम पर बड़ी-बड़ी योजनाएं घोषित होती थीं। लेकिन वो खुद मानते थे कि 1 रुपए में से सिर्फ 15 पैसे ही किसान तक पहुंचते थे।
* हमने कहा था कि हम यूरिया की कालाबाजारी रोकेंगे और किसान को पर्याप्त यूरिया देंगे। बीते 6 साल में यूरिया की कमी नहीं होने दी। पहले यूरिया ब्लैक में लेना होता था, यूरिया लेने आए किसानों पर लाठीचार्ज तक होता था।
हमने वादा किया था कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुकूल लागत का डेढ़ गुना MSP देंगे। ये वादा सिर्फ कागज़ों पर ही पूरा नहीं किया गया, बल्कि किसानों के बैंक खाते तक पहुंचाया है।
* सिर्फ दाल की ही बात करें तो 2014 से पहले के 5 सालों में लगभग साढ़े 600 करोड़ रुपए की ही दाल किसान से खरीदी गईं। लेकिन इसके बाद के 5 सालों में हमने लगभग 49,000 करोड़ रुपए की दालें खरीदी हैं यानि लगभग 75 गुना बढ़ोतरी।
* 2014 से पहले के 5 सालों में पहले की सरकार ने 2 लाख करोड़ रुपए का धान खरीदा था। लेकिन इसके बाद के 5 सालों में 5 लाख करोड़ रुपए धान के MSP के रूप में किसानों तक हमने पहुंचाए हैं। यानि लगभग ढाई गुना ज्यादा पैसा किसान के पास पहुंचा है।
* अब आप ही बताइए कि अगर मंडियों और MSP को ही हटाना था, तो इनको ताकत देने के लिए, इन पर इतना निवेश ही क्यों करते? हमारी सरकार तो मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है।
* आपको याद रखना है, यही लोग हैं जो पीएम किसान सम्मान निधि को लेकर ये लोग सवाल उठाते थे। ये अफवाह फैलाते थे कि ये मोदी है इसलिए ये चुनाव को देखते हुए 2 हजार रूपये दिया जा रहा है और चुनाव के बाद इस पैसे को ब्याज सहित वापस देना पड़ेगा।
* एक राज्य में तो वहां की सरकार, अपने राजनीतिक स्वार्थ के चलते आज भी किसानों को इस योजना का लाभ नहीं लेने दे रही है। देश के 10 करोड़ से ज्यादा किसान परिवारों के बैंक खाते में सीधी मदद दी जा रही है। अब तक लगभग 1 लाख करोड़ रुपए किसानों तक पहुंच भी चुका है।
* मुझे ऐहसास है कि दशकों का छलावा किसानों को आशंकित करता है। लेकिन अब छल से नहीं गंगाजल जैसी पवित्र नीयत के साथ काम किया जा रहा है।
* वादों को जमीन पर उतारने के इसी ट्रैक रिकॉर्ड के बल पर किसानों के हित में नए किसान सुधार कानून लाये गए हैं। किसानों को न्याय दिलाने में ये कितने काम आ रहे हैं, ये आने वाले दिनों में हम जरूर अनुभव करेंगे। मुझे विश्वास है कि मीडिया में भी इसकी सकारात्मक चर्चाएं होंगी।
* आप ही बताइए कि अगर मंडियों और MSP को ही हटाना था, तो हम इनको इतनी ताकत क्यों देते ? इन पर इतना निवेश ही क्यों करते? हमारी सरकार तो मंडियों को आधुनिक और मजबूत बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है।
* पहले सरकार का कोई फैसला अगर किसी को पसंद नहीं आता था तो उसका विरोध होता था। लेकिन अब विरोध का आधार फैसला नहीं बल्कि आशंकाओं को बनाया जा रहा है। ऐतिहासिक कृषि सुधारों के मामले में भी यही खेल खेला जा रहा है। ये वही लोग हैं जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ लगातार छल किया है।