दिल्लीब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई शहरशहर और राज्य

महाराष्ट्र में ‘ब्‍लैक फंगस’ महामारी घोषित, अब तक 2,245 मामले!

मुंबई: कोरोना महामारी के बीच ‘ब्लैक फंगस’ को लेकर लोगों में दहशत है। जिसे देखते हुए महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने बताया कि महाराष्ट्र सरकार ने ‘ब्‍लैक फंगस’ को महामारी घोषित कर दिया है। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री टोपे के मुताबिक, महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना के तहत ब्‍लैक फंगस के मरीजों का सरकारी अस्‍पताल में मुफ्त इलाज किया जाएगा। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने बताया कि राज्‍य में वर्तमान समय में पॉजिटिविटी रेट 12% है और रिकवरी रेट 93 फीसदी है। राज्य में ब्लैक फंगस के 2,245 मामले हैं।
कोरोना वैक्सीन को लेकर स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि हमें वैक्सीन खरीद के लिए वैश्विक निविदा पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। हम केंद्र सरकार से निविदा जारी करने और हमें टीके उपलब्ध कराने का अनुरोध कर रहे हैं।

इन राज्‍यों में पहले ही ब्‍लैक फंगस महामारी घोषित
बता दें कि कोरोना संक्रमित मरीजों में ब्‍लैक फंगस के लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। जिसे देखते हुए देश के कई राज्‍य पहले ही ब्‍लैक फंगस को महामारी घोषित कर चुके हैं। गुजरात, पंजाब, ओडिशा, तमिलनाडु, बिहार राजस्‍थान, तेलंगाना, चंडीगढ़, उत्‍तराखंड समेत लगभग 15 राज्‍यों में इस बीमारी को महामारी घोषित किया जा चुका है।

महामारी घोषित होने के बाद इन गाइडलाइन का पालन जरूरी
गौरतलब है कि जो राज्‍य किसी बीमारी को महामारी घोषित कर देते हैं उन्‍हें उसके बाद उस बीमारी का पूरा हिसाब रखना पड़ता है। बीमारी के केस, दवा, इलाज और बीमारी से होने वाली मौत के आंकड़े दर्ज करने होते हैं। इसकी रिपोर्ट चीफ मेडिकल अधिकारी को भेजी जाती है। इसके अलावा केंद्र सरकार और आईसीएमआर की गाइडलाइन का पालन भी करना आवश्‍यक होता है।

सोनिया गांधी की पीएम मोदी से अपील
ब्‍लैक फंगस महामारी के बढ़ रहे मामलों को देखते हुए कुछ दिन पहले सोनिया गांधी ने दवा की कथित कमी पर चिंता जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था। सोनिया गांधी ने अपने पत्र में पीएम मोदी से आग्रह किया था कि ब्‍लैक फंगस के मरीजों को राहत देने के लिए तुरंत जरूरी कदम उठाये जायें।

छुआछूत से नहीं फैलता ब्लैक फंगस
स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि ब्लैक फंगस संक्रामक बीमारी नहीं है। इम्यूनिटी की कमी ही ब्लैक फंगस का कारण है। ये साइनस, राइनो ऑर्बिटल और ब्रेन में असर करता है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि एक ही फंगस को अलग-अलग रंगों के नाम से अलग पहचान देने का कोई अर्थ नहीं है। ये संक्रमण यानी छुआछूत कोरोना की तरह नहीं फैलता है। उन्होंने कहा कि साफ-सफाई का ध्यान रखें। उबला हुआ पानी पिएं।
नाक के अंदर दर्द-परेशानी, गले में दर्द, चेहरे पर संवेदना कम हो जाना, पेट में दर्द होना इसके लक्षण हैं। रंग के बजाय लक्षणों पर ध्यान दें। इलाज जल्दी हो तो फायदा और बचाव जल्दी व निश्चित होता है।