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नए साल में सेना प्रमुख एमएम नरवणे बोले- देश की रक्षा के लिए तैयार

नयी दिल्ली: सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे आज (बुधवार) सुबह दिल्ली स्थित युद्ध स्मारक पहुंचे। जहां उन्होंने शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद सेना ने एमएम नरवणे को गार्ड ऑफ आनर दिया। नरवणे ने मंगलवार को थलसेना के 28वें अध्यक्ष के रूप में अपना पदभार ग्रहण किया है।
नरवणे ने कहा कि मैं वाहेगुरु जी से प्रार्थना करता हूं कि वे मुझे सेना के प्रमुख के रूप में अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए साहस और शक्ति दें। तीनों सेवाएं देश की रक्षा के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, हमारी प्राथमिकता हर समय ऑपरेशनल तरीके से तैयार रहने की होगी। हम मानवाधिकारों के सम्मान पर विशेष ध्यान देंगे।
इससे पहले मंगलवार को जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने पाकिस्तान को आतंकवाद को लेकर कड़ी चेतावनी दी है। जनरल नरवणे ने कहा, हमारा पड़ोसी हमारे खिलाफ प्रॉक्सी वॉर करने के एक तरीके के रूप में आतंकवाद को स्टेट पॉलिसी के टूल के रूप में उपयोग करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, ऐसा ज्यादा समय तक नहीं चल सकता, क्योंकि आप सभी लोगों को हर समय मूर्ख नहीं बना सकते। नरवणे ने कहा राज्य प्रायोजित आतंकवाद से ध्यान हटाने के लिए पाकिस्तान की सेना की सभी कोशिशें पूरी तरह विफल रही हैं और धारा 370 के निरस्त होने के बाद कश्मीर में स्थिति में काफी सुधार हुआ है। यह पूछे जाने पर कि वह पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से कैसे निपटेंगे, उन्होंने कहा, हमारे पास प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के लिए विकसित रणनीति है। चीन के साथ 3,500 किलोमीटर सीमा पर सुरक्षा चुनौतियों को लेकर जनरल नरवणे ने कहा कि अब हम पश्चिमी सीमा से उत्तरी सीमा पर अपना फोकस कर रहे हैं। यह प्राथमिकताओं के संतुलन की प्रक्रिया है
बता दें लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवणे जून 1980 में सिख लाइट इन्फैंट्री की 7वीं बटालियन में कमीशन बने थे। वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और भारतीय सैन्य अकादमी के पूर्व छात्र भी हैं। नरवणे ने देश के पूर्वोत्त हिस्से, जम्मू-कश्मीर और श्रीलंका में सुरक्षा बल के सदस्य के रूप में काम किया है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन और पूर्वी मोर्चे पर इन्फैंट्री बिग्रेड की कमान संभाली है। नरवणे अभी तक सेना के उपप्रमुख का पद संभाल रहे थे। जनरल मनोज नरवणे देश के 28वें सेना प्रमुख हैं। नरवणे आर्मी चीफ बनते ही दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में शामिल 13 लाख थल सैनियों के प्रमुख बन गए। सेना के उपप्रमुख से पहले लेफ्टिनेंट जनरल मनोज नरवणे इस्टर्न कमांड के प्रमुख थे। इस्टर्न कमांड भारत-चीन की 400 किलोमीटर लंबी सीमा की रखवाली करती है।