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महाराष्ट्र: कांग्रेस के मंत्रियों ने की सोनिया गांधी व राहुल से मुलाकात

मुंबई: महाराष्ट्र में सोमवार को उद्धव सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के बाद कांग्रेस के मंत्रियों ने पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की। मंत्रियों के साथ पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, के.सी. वेणुगोपाल और पार्टी सचिव आशीष दुआ भी थे। बालासाहेब थोरात और अशोक चव्हाण सहित सोमवार को शपथ ग्रहण करने वाले वरिष्ठ मंत्रियों ने भी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की।
प्रदेश कांग्रेस के भीतर असंतोष की बात सामने आई है और कुछ वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार में उनकी अनदेखी की गई है। दो बार के विधायक मुंबई के अमीन पटेल कैबिनेट में जगह मिलने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन उनसे जूनियर विधायकों असलम शेख और वर्षा गायकवाड को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया, और उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया। वरिष्ठ पार्टी नेताओं ने पार्टी नेतृत्व को अपनी नाराजगी से अवगत कराया है।
सूत्रों ने बताया कि विधानसभा चुनाव में चौथे स्थान पर रही कांग्रेस अब वरिष्ठ नेताओं को पार्टी में पद और संगठनात्मक जिम्मेदारी देने की योजना बना रही है। जहां एक नेता ने कहा कि बैठक का उद्देश्य राज्य में पार्टी की पहुंच बढ़ाने के कार्यक्रम पर चर्चा करना था और गठबंधन पर फीडबैक देना था। वहीं एक मंत्री ने कहा कि यह बैठक पार्टी अध्यक्ष को धन्यवाद देने और राज्य में आगे कैसे काम किया जाए, इस पर शीर्ष नेतृत्व से निर्देश लेने के लिए थी। मंत्रिमंडल में कांग्रेस को 12 सीटें मिली है और वे कुछ प्रमुख विभागों पर नजर बनाए हुए हैं। पार्टी को नया प्रदेशाध्यक्ष भी चुनना है, क्योंकि बालासाहेब थोरात मंत्रिमंडल में शामिल हो गए हैं। विधानसभा अध्यक्ष के लिए सबसे आगे चल रहे पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण को अब पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाने पर विचार चल रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण अब मंत्रिमंडल में शामिल हो गए हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस के कई अन्य वरिष्ठ नेता भी उद्धव सरकार के कैबिनेट विस्तार को लेकर नाराज हैं। बताया जा रहा है कि सुशील कुमार शिंदे, पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण जैसे सीनियर वरिष्ठ नेता भी मंत्री पद के बंटवारे में अपनी अनदेखी को लेकर नाराजगी जाहिर की है। वहीं, मंत्री पद पाए कांग्रेसियों में भी अपने कैबिनेट पोर्टफोलियों को लेकर नाराजगी की खबरें सामने आ रही हैं।
सूत्रों की मानें तो पीडब्ल्यूडी मंत्रालय को लेकर कांग्रेस-एनसीपी आमने सामने हैं। इसे लेकर दोनों दलों के नेताओं ने सीएम उद्धव ठाकरे से संपर्क साधने की कोशिश की है, और अपील की है कि पार्टी के बड़े नेताओं को उनके कद के मुताबिक मंत्री पद आवंटित किए जाएं।

सोनिया के सामने दर्ज कराई शिकायत
इसके अलावा कांग्रेस के अन्य विधायक जिन्होंने सार्वजनिक तौर पर कुछ नहीं बोला उन्होंने पार्टी के समक्ष अपनी शिकायतों को दर्ज कराया है। कुछ विधायकों ने कहा है कि वे स्थिति से अवगत कराने के लिए सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मिलेंगे। हालांकि नई दिल्ली के हस्तक्षेप से परिणाम यह हुआ है कि प्रणीति शिंदे ने पार्टी के साथ किसी तरह के मतभेद से इनकार किया है और वहीं संग्राम थोपटे ने कहा है कि वह पार्टी के साथ हैं।
इससे पहले मंगलवार को कांग्रेस के मंत्रियों ने मल्लिकार्जुन खड़गे, के.सी.वेणुगोपाल और पार्टी सचिव आशीष दुआ के साथ सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात की और स्पष्ट रूप से असंतोष के बारे में बात की। बालासाहेब थोरात और अशोक चव्हाण सहित वरिष्ठ मंत्रियों ने भी शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की। राज्य में कांग्रेस कुछ वरिष्ठ नेताओं के साथ आंतरिक मतभेदों का सामना कर रही है। उनका कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार में उनकी अनदेखी की गई है।
मुंबई से दो बार के विधायक रहे अमीन पटेल को कैबिनेट में जगह मिलने की उम्मीद थी, लेकिन असलम शेख और वर्षा गायकवाड को मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया।

मंत्रिमंडल में शामिल न किये जाने नाराज़ पूर्व मंत्री आरिफ नसीम खान ने कहा कि भाजपा की अगुआई वाली केंद्र सरकार का यह कानून देश के संविधान के खिलाफ है। संविधान में धर्म के आधार पर नागरिकता देने का प्रावधान नहीं है इसके बावजूद सभी नियमों को दरकिनार कर यह कानून बनाया गया। कानून के खिलाफ देशभर के लोग सड़कों पर उतरें हैं और इसका विरोध हो रहा है। नसीम खान ने कहा कि केरल सरकार ने एक दिन का विधानसभा का अधिवेशन बुलाकर एकमत से विवादित नागरिकता सुधार कानून को रद्द करने का प्रस्ताव पास किया। महाराष्ट्र की आघाड़ी सरकार को भी इसी तरह एक दिन का विशेष सत्र बुला कर इस कानून को रद्द करने का प्रस्ताव पास करना चाहिए।