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अगले स्थापना दिवस पर पार्टी का CM विराजमान होगा : शिवसेना

युवा नेता आदित्य ठाकरे और शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ( फाइल फोटो )

मुंबई, सितम्बर में होने जा महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर शिवसेना का बयान सामने आया है। अपने स्थापना दिवस पर शिवसेना ने सामना में लिखे संपादकीय के जरिए मुख्यमंत्री पद को लेकर मंशा जाहिर की है। पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना में कार्यकर्ताओं से शिवसेना का सीएम बनाने के संकल्प पर काम शुरू करने की अपील की है।
बता दें कि 19 जून 1966 को शिवसेना की स्थापना हुई थी। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी और शिवसेना इस बार ढाई-ढाई साल के सीएम फॉर्म्युले पर विचार कर रही हैं।
सामना में लिखा गया, ‘महाराष्ट्र और देश की राजनीति में शिवसेना आज धारदार तलवार के तेज से चमक रही है। बीजेपी से युति (गठबंधन) अवश्य है लेकिन शिवसेना अपने तेवरवाला संगठन है। एक संकल्प लेकर शिवसेना आगे बढ़ी है। इसी संकल्प के आधार पर हम कल विधानसभा को भगवा करके छोड़ेंगे और शिवसेना के 54वें स्थापना दिवस समारोह में शिवसेना का मुख्यमंत्री विराजमान होगा। चलिए, यह संकल्प लेकर काम शुरू करें!’

ढाई-ढाई साल के लिए CM फॉर्म्युला?
लोकसभा चुनाव के बाद शिवसेना और बीजेपी आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव भी साथ लड़ने जा रही है। 10 जून को शिवसेना के युवा नेता और आदित्य ठाकरे के कजन वरुण सरदेसाई ने ट्वीट कर कहा था, शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे साहेब और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने फैसला किया है कि महाराष्ट्र सीएम का पद ढाई साल के लिए दोनों का होगा। लोग जो इस समझौते के लिए मौजूद नहीं थे, वे गठबंधन को अपने फायदे के लिए बिगाड़ें नहीं। हालांकि किसी वरिष्ठ नेता ने अभी इस बात की पुष्टि नहीं की है।

144 सीटें चाहती है शिवसेना?
दिलचस्प बात यह है कि हाल ही ऐसी खबरें थीं कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पार्टी का मुख्यमंत्री बनाने को लेकर अडिग हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक शाह ने बीजेपी की कोर कमिटी को यह बात दिल्ली में हुई बैठक में स्पष्ट की थी। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ने यह प्रस्ताव रखा है कि दोनों पार्टियां राज्य की 135-135 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। बाकी सीटें क्षेत्रीय गठबंधन दलों को दे दी जाएंगी। हालांकि, शिवसेना को यह मंजूर नहीं। पार्टी नेताओं का कहना है कि शिवसेना विधानसभा की 288 में से आधी यानी 144 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है।

‘शिवसेना का वट वृक्ष आज पल्लवित’
सामना के संपादकीय में आगे कहा गया है, मराठी मानुस और हिंदुत्व के लिए 19 जून को सौभाग्य दिवस माना जाना चाहिए। इसी दिन शिवसेना नामक एक तूफान का जन्म हुआ। तूफान और बवंडर अकसर आते-जाते रहते हैं लेकिन शिवसेना नामक तूफान पिछले 52-53 वर्षों से लगातार उफान पर है। जिस मराठी अस्मिता के लिए शिवसेना की स्थापना हुई और शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने जीवन के 50 वर्षों की आहुति दी, उस त्याग, संघर्ष और उतार-चढ़ाव को नई पीढ़ी ने नहीं देखा है। लेकिन शिवसेना ने चार पीढ़ियां बनाई और शिवराय का भगवा पिछली पीढ़ी से अगली पीढ़ी तक जा रहा है, यह महत्वपूर्ण है। शिवसेना का वट वृक्ष आज पल्लवित हो चुका है।

क्षेत्रीय अस्मिता की राजनीति का जिक्र
शिवसेना के मुखपत्र में पार्टी की नीतियों की तारीफ करते हुए लिखा गया, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी शिवसेना की ही भूमिपुत्रों वाली नीति अपना रही हैं। दक्षिण के कई राज्य और पार्टियां क्षेत्रीय अस्मिता की राजनीति कर रही हैं। राष्ट्रीय पार्टियां भी क्षेत्रीय पार्टियों से गठबंधन करके अपना संख्या बल बढ़ा रही हैं। शिवसेना प्रमुख ने क्षेत्रीय अस्मिता का विचार रखा, जिसे देश ने स्वीकार किया और उन्होंने हिंदुत्व का बीजारोपण किया वे भी अंकुरित हुए। देशभर में हिंदुत्व को जगाने का काम शिवसेना प्रमुख ने किया।