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तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं को मिली आजादी

अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह बिल दो बार लोकसभा से पास हो चुका था, लेकिन राज्यसभा में अटक गया था

नयी दिल्ली, लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी मंगलवार को तीन तलाक बिल पास हो गया। वोटिंग के दौरान बिल के पक्ष में 99 और विरोध में 84 वोट पड़े। अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने तलाक-ए-बिद्दत यानी एक बार में तीन तलाक को असंवैधानिक और गैर-कानूनी करार दिया था। इसके बाद 2 साल में यह बिल 2 बार लोकसभा से पारित होने के बाद राज्यसभा में अटक गया। आम चुनाव के बाद तीसरी बार यह विधेयक 25 जुलाई को लोकसभा से पारित हुआ। 5 दिन बाद ही यह राज्यसभा से भी पास हो गया। अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून बन जाएगा। तीन तलाक देने के दोषी पुरुष को 3 साल की सजा सुनाई जाएगी। पीड़ित महिलाएं अपने और नाबालिग बच्चों के लिए गुजारे-भत्ते की मांग कर सकेंगी।
बिल में 3 साल की सजा के प्रावधान का कांग्रेस ने विरोध किया। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि 3 साल की सजा का प्रावधान ठीक उसी तरह है, जैसे किसी को अपमानित करने या धमकाने के जुर्म में जेल भेज दिया जाए। इसलिए हम इस बिल को सिलेक्ट कमेटी के पास भेजना चाहते थे।

पीएम मोदी ने कहा- पूरे देश के लिए ऐतिहासिक दिन
राज्यसभा में तीन तलाक बिल पास होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पूरे देश के लिए आज ऐतिहासिक दिन है। आज करोड़ों मुस्लिम माताओं-बहनों की जीत हुई। उन्हें सम्मान से जीने का हक मिला। सदियों से तीन तलाक की कुप्रथा से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को आज न्याय मिला है। इस ऐतिहासिक मौके पर मैं भी सभी सांसदों का आभार व्यक्त करता हूं।

...अब तीन तलाक देने के दोषी पुरुष को होगी 3 साल की सजा
मुस्लिम महिलाओं के चेहरे पर बिखरी मुस्कान

आइए जानते हैं कि सरकार ने किस तरह से विपक्ष में लगाई सेंध और कैसा रहा वोटिंग का समीकरण…
दरअसल, NDA की सहयोगी जेडीयू ने तीन तलाक बिल का विरोध किया। इससे NDA की स्ट्रेंथ 113 से घटकर 107 पर आ गई। आपको बता दें कि इस समय राज्यसभा में तीन सीट खाली रहने के कारण कुल स्ट्रेंथ 242 है। जेडीयू वोटिंग के दौरान अनुपस्थित रही। उधर, तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (TRS) ने भी वोटिंग से दूर रहने का फैसला किया। इससे राज्यसभा सदस्यों की कुल संख्या 236 पर आ गई। इतना ही नहीं, राज्यसभा में कम से कम 14 सदस्य मौजूद नहीं थे, जिनमें बीजेपी के अरुण जेटली, कांग्रेस के ऑस्कर फर्नांडीज और NCP के शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल भी शामिल हैं। इससे राज्यसभा की प्रभावी स्ट्रेंथ 216 रह गई।

AIADMK, जेडीयू और टीआरएस से मिली बड़ी मदद
अब सरकार को तीन तलाक बिल पास कराने के लिए केवल 109 का आंकड़ा छूने की जरूरत थी। इस पर बीजू जनता दल ने तीन तलाक बिल पर समर्थन देने की घोषणा कर दी। ऐसे में इस बिल पर NDA की स्ट्रेंथ राज्यसभा में बढ़कर 113 सांसदों की हो गई। आखिर में जब वोटिंग शुरू हुई तो सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों तरफ से वोट कम पड़े। सत्तारूढ़ गठबंधन से AIADMK और JDU वोटिंग से नदारद रहे। गैर-NDA, गैर-UPA पार्टियों में TRS ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया।

बड़ी संख्या में गैर-हाजिरी से भी बढ़त
AIADMK ने काफी बाद में वॉकआउट करने का फैसला किया, जो सरकार के पक्ष में गया। आपको बता दें कि AIADMK के राज्यसभा में 11 सांसद हैं। इस समय राज्यसभा में जेडीयू के 6, टीआरएस के 6, बीएसपी के 4 और पीडीपी के 2 सांसद हैं। ये सभी सांसद वोटिंग के वक्त राज्यसभा में मौजूद नहीं थे। इसके अलावा एसपी के भी कुछ सांसद वोटिंग में शामिल नहीं हुए। 242 सदस्यों वाली राज्यसभा में बीजेपी के 78 और कांग्रेस के 48 सांसद हैं। बिल को पास कराने के लिए एनडीए को 121 सदस्यों का समर्थन चाहिए था लेकिन बड़ी संख्या में अनुपस्थिति की वजह से सदन में बीजेपी की स्थिति मजबूत हो गई। वोटिंग आम आदमी पार्टी के तीनों सांसदों ने भी बिल के खिलाफ वोटिंग की।
राज्यसभा में पर्ची से इस विधेयक के लिए वोटिंग कराई गई। इससे पहले विपक्ष ने बिल को सिलेक्ट कमिटी को भेजना का प्रस्ताव रखा था लेकिन यह 100/84 से गिर गया। इसके बाद विधेयक के लिए वोटिंग हुई तो पक्ष में 99 वोट पड़े और विपक्ष में 84 वोट ही पड़े। इस तरह राज्यसभा में आसानी से यह बिल पास हो गया।
बीजेपी में राज्यसभा में उपस्थित रहने के लिए अपने सांसदों को विप जारी की थी। जेडीयू और एआईएडीएमके के वॉकआउट के बाद बिल का रास्ता और भी सरल हो गया। इन दोनों दलों के वॉकआउट के बाद सदन में 213 सदस्य बचे थे। बाद में टीआरएस, बीएसपी और पीडीपी सांसद भी सदन से बाहर चले गए। वोटिंग के वक्त संसद में 183 सदस्य ही मौजूद थे। बता दें कि पिछली बीजेपी सरकार ने भी बिल को पास कराने की कोशिश की गई थी लेकिन राज्यसभा में अल्पमत में होने की वजह से यह बिल गिर गया था।

उच्च सदन में साढ़े 4 घंटे चली बिल पर बहस
राज्यसभा में इस बिल पर तक़रीबन साढ़े चार घंटे बहस चली। कंग्रेस और बीएसपी समते पीडीपी और एआईडीएमके ने भी इस बिल का विरोध किया। एआईएडीएमके ने बिल को सिलेक्ट कमिटी को भेजने की मांग करते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया। इसके बाद पीडीपी सांसद मोहम्मद फैयाज ने भी बिल का विरोध किया। बीएसपी के सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि वह बिल के खिलाफ हैं और इसे सिलेक्ट कमिटी को भेजना चाहिए। हालांकि चर्चा में बिल का विरोध करने वाले ये दल वोटिंग के समय सदन से नदारद हो गए।