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अंधेरी अस्पताल में आग : मीडिया में आई खबर के चलते मिला न्याय..

मुंबई के अंधेरी में मरोल स्थित ईएसआईसी कामगार अस्पताल में विरार के कपल अनिल और ललिता के जुड़वां बच्चे भी भर्ती थी। वेंटिलेटर पर रखी बच्ची को लगभग 45 मिनट तक बिना वेंटिलेटर के रखा गया। आरोप है कि इसके चलते बच्ची की मौत हो गई थी। हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को विभाग ने दस-दस लाख रुपये मुआवजा दिया जबकि बच्ची के माता-पिता को सिर्फ दो लाख का चेक यह कहते हुए दिया गया कि बच्ची पहले से ही मर रही थी। विभाग ने बच्ची के माता-पिता को दस लाख की जगह दो लाख रुपये मुआवजा दिया था। अधिकारियों ने उनसे कहा था कि बच्ची वैसे भी मर ही रही थी। यह मामला मीडिया में आने के बाद विभाग ने अपनी भूल मानी और बच्ची के माता-पिता को दस लाख रुपये का चेक सौंपा।
बता दें कि मरोल अस्पताल में 17 दिसंबर को आग लगी थी। हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को विभाग ने दस-दस लाख रुपये मुआवजा दिया जबकि बच्ची के माता-पिता को सिर्फ दो लाख का चेक यह कहते हुए दिया गया कि बच्ची पहले से ही मर रही थी !