ब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई शहरशहर और राज्य

महाराष्ट्र: अनिल देशमुख मामले में NIA कोर्ट ने दी सचिन वाझे से पूछताछ की इजाजत

मुंबई: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत ने गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ दर्ज मनी लांड्रिंग मामले में मुंबई पुलिस के बर्खास्त अधिकारी सचिन वाझे से पूछताछ की इजाजत दे दी। सचिन वाझे को (NIA) ने उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर (एंटीलिया) के पास एक विस्फोटक लदी कार खड़ी किए जाने व ठाणे के कारोबारी मनसुख हिरेन की हत्या मामले में मार्च में गिरफ्तार किया था। बचाव पक्ष के वकील ने बताया कि नवी मुंबई स्थित तलोजा जेल में बंद वाझे से पूछताछ के लिए ईडी को तीन दिनों का समय मिला है। ईडी इस मामले में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता देशमुख के निजी सचिव संजीव पलांडे व निजी सहायक कुंदन शिंदे को गिरफ्तार कर चुकी है।
केंद्रीय एजेंसी का दावा है कि दोनों आरोपितों ने स्वीकार किया है कि वाझे ने मुंबई के आर्केस्ट्रा बार मालिकों से 4.70 करोड़ रुपये वसूले और दो किस्तों में शिंदे को सौंपा। वाझे से पूछताछ की इजाजत की मांग करते हुए ईडी ने कहा था कि वह मुंबई पुलिस की अपराध शाखा के पूर्व सहायक निरीक्षक तथा पलांडे व शिंदे से एक साथ पूछताछ करना चाहती है।

गौरतलब है कि वाझे की गिरफ्तारी व मुंबई पुलिस आयुक्त पद से हटाए जाने के बाद परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि तत्कालीन गृहमंत्री देशमुख ने सचिन को बार व रेस्तरां से 100 करोड़ रुपये प्रतिमाह वसूली का लक्ष्य दिया था। हालांकि, अनिल देशमुख ने आरोपों से इंकार किया था।

गौरतलब है कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा था कि उसे उम्मीद है कि महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ दायर FIR के सिलसिले में CBI अपनी जांच का दायरा बढ़ाएगी। अदालत ने यह भी कहा कि प्रशासन का प्रमुख निर्दोष होने का दावा नहीं कर सकता और वह समान रूप से जिम्मेदार है। जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस एनजे जमादार की खंडपीठ ने कहा कि अगर हाईकोर्ट के 5 अप्रैल के आदेश को सही मायनों में देखा जाए तो हर व्यक्ति की भूमिका की जांच करनी होगी। पांच अप्रैल को हाईकोर्ट ने देशमुख के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों के खिलाफ सीबीआई को प्रारंभिक जांच के आदेश दिए थे। अदालत देशमुख की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सीबीआई द्वारा 24 अप्रैल को उनके खिलाफ भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग के आरोप में दर्ज एफआईआर को रद करने की मांग की गई थी। यह एफआईआर हाईकोर्ट के आदेश पर की गई प्रारंभिक जांच के बाद दर्ज की गई थी।