दिल्लीब्रेकिंग न्यूज़शहर और राज्य

अहमदाबादः पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों पर वित्त मंत्री बोलीं- कब कम होंगी ये बता पाना ‘धर्म संकट’

अहमदाबादः तेल की लगातार बढ़ती कीमतों को लेकर विपक्षी दल सरकार पर हमलावर है तो वहीं सरकार इस मामले को लेकर अपना पल्ला झाड़ ले रही है. विपक्षी दल तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर सरकार को घेर रहे हैं तो वहीं सरकार का कहना है कि कीमत बढ़ाने घटाने को लेकर उनके हाथ में कुछ नहीं है. सरकार का कहना है कि तेल की कीमत सरकार नहीं तेल कंपनियां तय कर रही है. कई ऐसे मौके आए हैं जब-जब सरकार के मंत्री यह कहते दिखाई पड़े कि तेल की कीमत तय करना ईंधन कंपनियों के हाथ में है.
तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर इस बार केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बयान दिया है. अहमदाबाद में एक कॉन्फ्रेंस के दौरान जब उनसे पूछा गया कि तेल की बढ़ती कीमतों पर सरकार लगाम कब लगाएगी? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा- ‘कब होगा…इसके बारे में मैं कह नहीं सकती. अभी इस पर कुछ भी कहना धर्म संकट की तरह है.’
यह पूछे जाने पर कि क्या केंद्र उपभोक्ताओं को ऊंची कीमतों से राहत के लिए उपकर या अन्य करों को कम करने पर विचार कर रहा है? सीतारमण ने कहा कि इस सवाल ने उन्हें ‘धर्म-संकट’ में डाल दिया है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि उपभोक्ताओं पर बढ़े दामों के बोझ को कम करने के लिए केंद्र और राज्यों को बात करनी चाहिए.
सीतारमण ने कहा कि यह तथ्य छिपा नहीं है कि इससे केंद्र को राजस्व मिलता है. राज्यों के साथ भी कुछ यही बात है. मैं इस बात से सहमत हूं कि उपभोक्ताओं पर बोझ को कम किया जाना चाहिए.इससे पहले दिन में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा कि पेट्रोल और डीजल पर करों को कम करने के लिए केंद्र और राज्यों के बीच समन्वित कार्रवाई की जरूरत है.

क्या कहा था धर्मेंद्र प्रधान ने?
इससे पहले केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था, तेल उत्पादक देशों ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान उत्पादन बंद कर दिया या इसे कम कर दिया. मांग और आपूर्ति में इस असंतुलन के कारण ईंधन की कीमतों पर दबाव देखा गया.
ईंधन की कीमतों को लेकर धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था, अंतर्राष्ट्रीय कीमत तो पैमाना है ही पर ऐसा नहीं है कि सारे टैक्स और ड्यूटी केंद्र सरकार की ओर से वसूला जाता है. इसमें राज्य सरकार भी वसूलती है. सबको विकास और अन्य योजनाएं चलानी हैं और इसका पैसा इधर से भी आता है और सालों से सरकारें ऐसा करती रही हैं. लेकिन ये कीमत बाजार ही तय करता है.”