ब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई शहर

आदित्य ठाकरे ने उठाया शिंदे सरकार की योग्यता पर सवाल? कही ये बातें…

मुंबई: महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे-फडणवीस की सरकार एक तरफ जहां राज्य के विकास के लिए निवेशकों को आकर्षित करने के लिए प्रयासरत हैं, वहीं दूसरी तरफ उनके हाथ से एक के बाद एक परियोजनाएं निकलती जा रही है। हाल ही में उर्जा उपकरण बनाने की एक बड़ी परियोजना महाराष्ट्र के हाथ से निकलकर मध्यप्रदेश की झोली में आ गई है। इससे सरकार की खूब आलोचनाएं की जा रही है।
दरअसल, केंद्र सरकार से उर्जा उपकरण निर्माण क्षेत्र को हासिल करने के लिए आठ राज्यों में होड़ लगी हुई थी, जिसमें महाराष्ट्र के अलावा आंध्र प्रदेश, गुजरात, बिहार, तमिलनाडु, ओडिशा, मध्य प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्य शामिल थे, लेकिन आखिरकार सफलता मध्य प्रदेश को मिली। इस जोन के निर्माण के लिए केंद्र सरकार की तरफ से 400 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। इस निर्माण क्षेत्र के लिए महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव तक भेजा था, लेकिन आखिरकार बात नहीं बनी।

आदित्य ठाकरे ने मौजूदा सरकार पर साधा निशाना
इससे पहले वेदांत-फॉक्सकॉन प्रोजेक्ट के महाराष्ट्र के बजाय गुजरात चले जाने, बल्क दवा पार्क स्थापित करने की मंजूरी महाराष्ट्र को छोड़कर हिमाचल प्रदेश, गुजरात और आंध्र प्रदेश को दिए जाने, मेडिकल डिवाइस पार्क के हाथ से जाने और टाटा एयरबस परियोजना के महाराष्ट्र से गुजरात स्थानान्तरित होने को लेकर अब शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने मौजूदा सरकार को निशाने पर लिया है। आदित्य ठाकरे ने ट्वीट करते हुए कहा है-परियोजनाएं मुख्यमंत्री और उद्योग मंत्री की योग्यता पर निर्भर करती हैं। दोनों का ध्यान बस गंदी राजनीति करने पर है, नतीजतन महाराष्ट्र ने बीते तीन महीनों में पांच परियोजनाएं खो दी है। अपने लिए इनकी महत्वाकांक्षाएं बड़ी-बड़ी हैं, लेकिन महाराष्ट्र के आर्थिक विकास के लिए इनकी महत्वाकांक्षाएं शून्य के बराबर हैं। वह आगे लिखते हैं- महाराष्ट्र के लिए यह आर्थिक अलगाव कुछ ऐसा है जैसे कि खोके सरकार के सत्ता में आने के बाद राज्य पर प्रतिबंध लगा दिए गए हैं।
वह उर्जा उपकरण निर्माण क्षेत्र का जिक्र करते हुए कहते हैं, यह परियोजना 22 जून को एमवीए द्वारा बुटीबोरी, नागपुर के लिए प्रस्तावित की गई थी, लेकिन उद्योग मंत्री की अक्षमता के कारण हमें 5 परियोजनाओं से वंचित कर दिया गया है कुछ ही ऐसा राकांपा नेता सुप्रिया सुले का भी कहना था।
हालांकि, इसके लिए राज्य के भाजपा नेताओं ने उद्धव ठाकरे सरकार को दोषी ठहराया है। उनका कहना है कि पिछली सरकार ने परियोजना के लिए केंद्र के पास प्रस्ताव पहुंचाने में दो दिन की देरी की थी। भाजपा नेता चित्रा किशोर वाघ ने पलटवार करते हुए कहा है कि प्रस्ताव जमा कराने के वक्त महाविकास अघाड़ी गठबंधन अपनी सरकार को बचाने में व्यस्त थी। सभी अपने-अपने काम में लगे हुए थे। प्रस्ताव जमा कराने की समय सीमा 26 जून की थी, लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने उद्धव ठाकरे के इस्तीफा देने से ठीक एक दिन पहले 28 जून को प्रस्ताव पेश किया था।