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कानपुर शूटआउट: यूपी पुलिस का यूटर्न/विकास दुबे गैंग के जिन 2 गुर्गों…गुड्डन और सोनू काे महाराष्ट्र ATS ने पकड़ा था, UP पुलिस ने दी क्लीनचिट दी!

गैंगस्टर विकास दुबे के साथ गुड्डन त्रिवेदी (फाइल फोटो)
त्रिवेदी और उसके ड्राइवर को 21 जुलाई तक न्यायिक हिरासत

मुंबई/कानपुर: गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद उसकी गैंग के खिलाफ ऑपरेशन चला रही यूपी पुलिस विवादों में आ गई। शनिवार काे महाराष्ट्र के ठाणे में विकास दुबे के जिन दो गुर्गों अरविंद उर्फ गुड्डन त्रिवेदी और सोनू तिवारी को महाराष्ट्र एटीएस ने पकड़ा था, उन दोनों को लेकर यूपी पुलिस ने यूटर्न लिया है। शनिवार को एक प्रेसनोट के जरिए यूपी पुलिस ने कहा कि ये दोनों लोग चौबेपुर केस में नामित अथवा वांछित नहीं हैं। जबकि 3 जुलाई को पुलिस ने अरविंद उर्फ गुड्‌डन को वांछित बताया था और उस पर 25 हजार का इनाम भी रखा था। अब कहा जा रहा है कि वह शूटआउट में शामिल नहीं था।

कानपुर पुलिस ने शूटआउट के बाद विकास गैंग के 15 साथियों की लिस्ट जारी थी। इन पर 25-25 हजार रुपए का इनाम भी रखा था। इस लिस्ट में अरविंद उर्फ गुड्डन त्रिवेदी का नाम भी था। यूपी पुलिस का कहना है कि गुड्‌डन विकास गैंग का पुराना साथी है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कानपुर पुलिस ने हड़बड़ी में वांटेड की लिस्ट जारी कर दी थी?

बताया जा रहा है कि सुशीलकुमार उर्फ सोनू तिवारी गुड्‌डन का ड्राइवर है। कानपुर पुलिस का कहना है कि दोनों की भूमिका की जांच की जा रही है। अब पुलिस गुड्डन और सोनू तिवारी को लेने के लिए मुंबई जाएगी या नहीं, अभी यह भी साफ नहीं हो सका है।

मोस्ट वांटेड की लिस्ट में था गुड्डन
कानपुर के बिकरु गांव में 2-3 जुलाई की रात आठ पुलिसवालों की हत्या के बाद पुलिस ने 15 मोस्ट वांटेड की फोटोयुक्त सूची जारी की थी। इसमें अरविन्द उर्फ़ गुड्डन त्रिवेदी की फोटो 8वें स्थान पर थी। उस पर पुलिस ने 25 हजार का इनाम भी घोषित किया था। यूपी एसटीएफ ने उसके रूरा स्थित घर पर दो बार दबिश भी दी थी। लेकिन शूटआउट के बाद से ही वह परिवार समेत फरार हो गया था। हालांकि, उसका नाम पुलिस की एफआईआर में शामिल नहीं था। लेकिन यूपी पुलिस के अलर्ट के बाद ही महाराष्ट्र एटीएस ने उसे धार दबोचा था।

त्रिवेदी ऐसे चढ़ा था एटीएस के हत्थे
महाराष्ट्र एटीएस के अनुसार, एटीएस की जुहू यूनिट को मुंबई और ठाणे में विकास के कुछ करीबियों के छिपे होने की जानकारी मिली। इसके बाद पुलिस इंस्पेक्टर और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट दया नायक के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई। इस टीम ने शनिवार सुबह ठाणे के कोलशेत रोड पर एक घर में छापा मारा। और यहां गुड्डन त्रिवेदी (46) और उसके ड्राइवर सोनूकुमार तिवारी को गिरफ्तार किया। त्रिवेदी पर 2001 में यूपी के राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या की साजिश का आरोप था।

अखिलेश यादव के साथ अरविन्द उर्फ़ गुड्डन त्रिवेदी की पुरानी तस्वीर (फाइल फोटो)

शूटआउट के बाद सपा अध्यक्ष के साथ एक तस्वीर आई थी सामने
कानपुर देहात के कुढ़वा रूरा का रहने वाला गुड्डन रूरा से जिला पंचायत सदस्य है। उसकी पत्नी कंचन कुढ़वा गांव की प्रधान है। साल 1998 में वह विकास के संपर्क में आया था। 2001 तक वह विकास के बॉडीगार्ड के तौर दिखता था। कहा जाता है कि गैंगस्टर विकास के रसूख के बल पर ही उसने क्षेत्र में अपनी पैठ बनाई और जिला पंचायत सदस्य बन गया। यह भी कहा जाता है विकास के राजनीतिक कनेक्शन की पूरी जानकारी गुड्डन को है। हाल ही में उसने एक दुकान का उद्घाटन भी विकास दुबे से कराया था।

विकास दुबे एनकाउंटर में मारा गया
कानपुर शूटआउट का मुख्य आरोपी और 5 लाख के इनामी बदमाश विकास दुबे की 9 जुलाई को मध्य प्रदेश के उज्जैन के महाकाल मंदिर से सरेंडर के अंदाज में गिरफ्तारी हुई थी। शुक्रवार सुबह कानपुर से 17 किमी पहले भौंती में पुलिस ने विकास को एनकाउंटर में मार गिराया। विकास के 5 साथी पहले ही मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं।

सरेंडर के बाद विकास का एनकाउंटर क्यों?
उज्जैन में विकास दुबे के सरेंडर के बाद ऐसा माना जा रहा था कि अब उसका एनकाउंटर नहीं होगा। लेकिन, पुलिस ने इन कयासों को धता बताते हुए विकास दुबे का एनकाउंटर कर दिया। इसके बाद राज्य में इस बात की चर्चा गरम है कि आखिर जब विकास दुबे ने सरेंडर कर दिया था तो उसका एनकाउंटर क्यों कर दिया गया?

त्रिवेदी और ड्राइवर को 21 जुलाई तक न्यायिक हिरासत
वहीं ठाणे की एटीएस कोर्ट ने अरविन्द उर्फ़ गुड्डन त्रिवेदी और उसके ड्राइवर सुशीलकुमार को 21 तारीख तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। कोर्ट में गुड्डन त्रिवेदी ने यह माना है कि वह कानपुर से फरार था और ठाणे में आकर छुपा हुआ था। गुड्डन त्रिवेदी विकास दुबे के खास गुर्गों में से एक है। त्रिवेदी और उसके ड्राइवर को एटीएस कोर्ट ने नवी मुंबई की तलोजा जेल में भेज दिया है। अब एसटीएफ की टीम को कोर्ट से ऑर्डर लेकर गुड्डन त्रिवेदी और उसके साथी को तलोजा जेल से अपनी हिरासत में लेना होगा। रविवार को एटीएस ने इन आरोपियों को कोर्ट में पेश किया क्योंकि मामला एटीएस के पास नहीं था, ऐसे में आरोपी को न्यायिक हिरासत दी गई।

एटीएस सूत्रों के अनुसार, गुड्डन और उसका साथी कानपुर से भागकर मध्य प्रदेश में दतिया तक अपने दोस्त की गाड़ी से आए। वहां से वे अलग-अलग ट्रकों से मुंबई तक आए। हकीकत यह है कि महाराष्ट्र एटीएस और मुंबई क्राइम ब्रांच ने कानपुर की 3 जुलाई की वारदात के बाद अपना समानांतर इनवेस्टिगशन शुरू कर दिया था। दोनों ही जांच एजेंसियों ने अपने अतीत के अनुभव के आधार पर यह अंदाज लगाया था कि देश में जब भी कोई बड़ी वारदात होती है, उसके आरोपी मुंबई छिपने के लिए जरूर आते हैं।