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कोरोना के खौफ पर कवि सुरेश मिश्र की कविता…

एहसान मेरे दिल पे तुम्हारा है कोरोना,
ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है कोरोना।

बीवी को चाहे माल, मॉल जाने के लिए,
मैं हो गया कंगाल, मुस्कुराने के लिए,
अब माल बंद हो गया सारा ही क्या रोना?
ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है कोरोना।

साड़ी खरीदी बंद है, गाड़ी भी बंद है,
साले साहब घर आए थे, ताड़ी भी बंद है,
खूब खा रहा हूं घर में ‘छोहारा’ व निमोना,
ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है कोरोना।

वो कहती थी विदेश में हमको घुमाइये,
मैंने भी कह दिया कि जाके चीन आइए,
अब खुद ही कह रही है, पिया ज्यादा फिरो ना
ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है कोरोना।

जब देखिए मोदी विदेश जाइ रहे थे,
बिनु आग के विपक्ष को जलाइ रहे थे,
अब मम्मी कह रही है,”नमो” इटली चलो ना
ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है कोरोना।

सब मॉल, सिनेमैक्स व बाजार बंद है,
दिवालिया होने का सारा द्वार बंद है,
दंगे के बाद लाया भाईचारा सलोना
ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है कोरोना।

पिसता नहीं हूं आजकल विरार ट्रेन में
बायो के लिए ‘टेंश’ न होवे है ब्रेन में,
पच्चीस निकष से भी छुटकारा है मरो ना।
ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है कोरोना।

पग-पग पे डाक्टर खड़े, खुद को बचाइए,
कोई कहे कि नीम की पत्ती चबाइए,
कोई कहे गोमूत्र, पेट भरके पियो ना
ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है कोरोना।

हर घंटे हाथ धोइए, मत हाथ मिलाओ,
दूरी बना के भीड़ से, अब मास्क लगाओ,
दिख जायं यदि मरीज तो फिर दूर चलो ना
ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है कोरोना।

सुरेश मिश्र (हास्य कवि मुंबई)